Farmer Protest 13 महीनों से चल रहा किसान आंदोलन अभी खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। भले ही केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हों, लेकिन अब भी किसान अपनी कुछ मांगों को लेकर अड़े हैं। शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है जो आगे सरकार से बातचीत करेगी
नई दिल्ली। तीनों कृषि कानून वापसी के बाद भी किसान आंदोलन ( Farmer Protest ) खत्म होगा या नहीं इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ( Sanyukt Kisan Morcha ) की बड़ी बैठक सिंघु बॉर्डर ( Singhu Border ) पर हुई। इस बैठक में ये फैसला लिया गया कि अभी आंदोलन खत्म नहीं होगी। इसके अलावा एमएसपी पर बातचीत के लिए पांच किसानों की एक समिति की गठन किया गया है। ये समिति सरकार को तय समय के मुताबिक आगे की सभी तरह की बातचीत करेगी और इस बातचीत के आधार पर ही आगे के फैसले भी लिए जाएंगे।इसके साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक 7 दिसंबर को आयोजित की जाएगी। इस बैठक में आगे की रूप रेखा पर विचार होगा। बता दें कि शनिवार को आयोजित बैठक में 42 किसान संगठनों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया।
ये पांच लोग कमेटी में शामिल
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार की गई पांच सदस्यी कमेटी में जो लोग शामिल हैं। उनमें बालवीर सिंह राजेवाल, अशोक धवले, शिवकुमार कका, हरियाणा किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी और युद्धवीर सिंह हैं। खास बात यह है कि एमएसपी पर बातचीत के लिए बनाई गई इस समिति में किसान नेता राकेश टिकैत को शामिल नहीं किया गया है।
दर्ज केस वापस लेने के साथ अन्य मांगों पर अड़े किसान
बैठक में चर्चा के दौरान किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए हजारों केसों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं। किसानों का कहना है कि सिर्फ हरियाणा में 48 हजार केस दर्ज किए गए हैं, इसके अलावा देशभर में अलग-अलग जगह केस दर्ज हैं। किसान नेता रणजीत सिंह ने कहा कि तीन कानून वापस हो गए हैं, लेकिन एमएसपी की गारंटी समेत 6 मुद्दे अभी बाकी हैं। अहम बात यह है कि हरियाणा सरकार के साथ किसानों की बैठक में सरकार ने मुआवजा देने से इनकार दिया है।
जब सरकार ने 15 दिन पहले किसानों से माफी मांगकर कानून वापस ले लिए हैं तो अब बाकी मांगें क्यों नहीं मानी जा रही। 702 किसानों की मृत्यु का आंकड़ा भी सरकार को भेज दिया गया है। बता दें कि कुछ किसान संगठन कृषि कानून वापस होने के बाद से घर वापसी करना चाहते हैं। लेकिन राकेश टिकैत ने साफ कर दिया है कि जब तक एमएसपी और किसानों पर दर्ज केस वापस नहीं होते, शहीद किसानों को मुआवजा नहीं मिल जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा।