केन्द्र और राज्य के अधिकारियों को नोटिस जारी करने के साथ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
नई दिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट ने उस याचिका पर केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है, जिसमें संबंधित अधिकारियों को सभी दस्तावेज एवं प्रमाण पत्रों में मां का नाम दर्ज करने के लिए अलग से कॉलम देने के निर्देश का अनुरोध किया गया है। हाईकोर्ट की पीठ में तिरुचेंदर के अधिवक्ता बी. रामकुमार आदित्यन की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू हुई।
केन्द्र और राज्य के अधिकारियों को नोटिस जारी करने के साथ पीठ ने मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। याचिका में अनुरोध किया गया है कि अदालत केन्द्रीय गृह मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और तमिलनाडु के मुख्य सचिव को निर्देश दे कि वह सभी मंत्रालयों और विभागों को आवेदनों, प्रमाण पत्रों, लाइसेंस में पिता के साथ मां का नाम भी दर्ज करने के लिए अनिवार्य रूप से कॉलम दें।
याचिकाकर्ता ने कहा कि बच्चे के विकास में मां की भूमिका अहम है, लेकिन सरकारी दस्तावेज में सिर्फ पिता के नाम का कॉलम पितृसत्तात्मक सोच का दर्शाता है। इसलिए सरकारी दस्तावेजों में पिता के साथ मां के नाम का भी कॉलम होना चाहिए।
याचिका में यह भी प्रार्थना की गई है कि सरकारी विभागों में सिंगल पेरेंट या अविवाहित माता को अकेले अपना नाम लिखने की भी अनुमति दी जानी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि इन दिनों तलाक एक आम बात बन चुका है। कृत्रिम गर्भाधान, संतान गोद लेना तथा सिंगल पेरेंटिंग भी ऐसी ही कुछ चीजें हैं जो आज के समाज में सामान्य है और इन्हें ध्यान रखते हुए माता के नाम का उल्लेख नहीं करना भारतीय संविधान की धारा 14 में दिए गए महिला के मूल अधिकारों का हनन हैं। अत: इसे रोका जाना चाहिए।