नई दिल्ली। बेंगलुरु में विपक्ष की दो दिन की बैठक मंगलवार शाम 4 बजे खत्म हो गई। इसके बाद दिल्ली के अशोका होटल में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में शामिल 38 दलों की मीटिंग हुई। बैठक में पीएम मोदी ने कहा- सभी नेताओं ने एनडीए को मजबूती देने का काम किया है। हमारे साथ आज बादल जी और बाला साहेब के सच्चे अनुयायी मौजूद हैं।
राज्यों के विकास से राष्ट्र का विकास के मंत्र को NDA ने सशक्त किया है। पुराने साथियों का मैं अभिनंदन करता हूं। नए साथियों का भविष्य के लिए स्वागत करता हूं। NDA के 25 सालों की यात्रा के साथ सुखद सहयोग जुड़ा है।
भारतीय आज नए संकल्पों की ऊर्जा से भरे हैं। NDA में N का मतलब न्यू इंडिया है, D का मतलब है विकसित राष्ट्र ओर A का अर्थ है लोगों की आकांक्षा है। आज युवा, महिलाएं, मध्यम वर्ग, दलित और वंचितों को NDA पर भरोसा है।
हमारा संकल्प पॉजिटिव है, एजेंडा पॉजिटिव है, रास्ता भी पॉजिटिव है। सरकारें बहुमत से बनती हैं, देश सबके साथ से चलती है। आज हम विकासशील भारत के निर्माण में जुड़े हैं। देश में राजनीतिक गठबंधन का पुराना इतिहास है, लेकिन नकारात्मक विचार से बने गठबंधन सफल नहीं हुए।
NDA का लक्ष्य सत्ता हासिल करना नहीं था। NDA किसी के विरोध में नहीं बना था। NDA किसी को सत्ता से हटाने के लिए नहीं बना था। इसका गठन देश में स्थिरता लाने के लिए हुआ था। जब देश में स्थिर सरकार होती है तो देश कालजली फैसले करता है।
ये हमने अटलजी के दौर में भी देखा और पिछले 9 सालों में बार-बार देख रहे हैं। आज पूरे विश्व का भारत पर भरोसा बढ़ा है। NDA की एक और विशेषता रही हैं, विपक्ष में भी हमने सकारात्मक राजनीति की कभी नकारात्मक राजनीति का रास्ता नहीं चुना। विपक्ष में रहकर सरकार का विरोध किया, उनके घोटालों को सामने लाए, लेकिन जनादेश का विरोध नहीं किया। हमने सरकार के विरोध के लिए विदेशी मदद नहीं ली।
आज हम देखते हैं केंद्र की योजनाओं को विपक्ष की कई सरकारें अपने यहां लागू नहीं होने देती। ये योजनाएं लागू होती हैं तो उन्हें रफ्तार नहीं पकड़ने देते। वो सोचते हैं कि अगर मोदी की योजना का लाभ गरीबों को मिला तो उनकी राजनीति कैसे चलेगी।
केंद्र की योजनाओं के लिए मुझे कई बार विपक्षी नेताओं को चिट्ठियां लिखनी पड़ती हैं, लेकिन यह अपनी राजनीति के लिए लोगों के बारे में नहीं सोचते। जब गठबंधन परिवारवाद का हो, क्षेत्रवाद को ध्यान में रखकर किया गया हो तो वह देश का बहुत नुकसान करता है।
हमारी सरकार से पहले का गठबंधन बड़ी मुश्किल से 10 साल सरकार चला पाई, लेकिन देश को क्या मिला। पीएम पद के ऊपर एक शख्स, निर्णय लेने में अक्षमता… पिछली सरकार में क्रेडिट लेने के लिए सब आगे आते थे, लेकिन गलती होने पर दोष सहयोगियों पर डाल देते थे। उनके लिए गठबंधन मजबूरी थी। लेकिन हमारे लिए गठबंधन मजबूरी नहीं मतबूती का प्रतीक।
इसमें क्रेडिट भी सबका है और दायित्व भी सबका है। इसमें कोई दल छोटा या बड़ा नहीं है। हम सब एक लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं। 2014 हो या 2019 में बीजेपी को बहुमत से ज्यादा सीटें मिलीं, लेकिन सरकार NDA की ही रही।
NDA में हमारा लक्ष्य देश के हर घर तक लाभ पहुंचाने का है। NDA में जितने भी दल हैं वो ऐसे वर्गों के बीच काम करते हैं जो वंचित रहे हैं। हमारे पास दलित, वंचितों के साथ काम करने वाले नेता है। NDA में ऐसे दल हैं जिनकी पहले दिल्ली में सुनवाई नहीं होती थी।
NDA देश की क्षेत्रीय आकांक्षाओं का इंद्रधनुष हैं। NDA की विचारधारा है, एमपॉवरमेंट ऑप पीपुल फस्ट। NDA में हमने संकल्प लिया था कि हम देश की गरीबों को दूर करेंगे। हमने गरीब को सुरक्षा का अहसास दिया, उन्हें विश्वास दिया कि आपके हर प्रयास के पीछे NDA सरकार खड़ी है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में पता चला कि कैसे पिछले कुछ सालों में 40-42 करोड़ लोगों ने कैसे गरीबों को दूर किया है, देश में अति गरीबी की स्थिति खत्म होने वाली है। जब किसी गरीब को अच्छा घर मिलता है तो यह सिर्फ उसे छत नहीं देता, यह उसके सपनों को पंख देता है।
जब उन्हें बैंक से लोन की गारंटी सरकार देती है तो उन्हें सहारा मिलता है। जब हम उन्हें मुफ्त इलाज का भरोसा देते हैं तो उससे परिवार ही नहीं, आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित हो जाता है। पहले ऐसे परिवारों के पास बीमारी में दो विकल्प होते थे। या अपनों को बीमारी से जूझते देखे या घर मकान गिरबी रखे।
गरीबों को पीढ़ियों दर पीढ़ी गरीब रखने की इस अवधारणा को NDA ने तोड़ दिया। हम जो कर रहे हैं यही सच्चा न्याय है। NDA में गरीबों, रेहड़ी पटरी वालों को मदद मिल रही है।
विश्वकर्मा समाज को भरोसा मिला है कि उन्हें भी मदद मिल सकती है। पहले हमारी माता बहनों के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने का चलन कम था। वे समाज से कटी थीं, आधी आबादी का ये हाल हो तो गरीबी से पार पाना मुश्किल था। उन्हें लोन मिला, घर मिला तो तस्वीर बदलने लगी।
2015 से 2016 तक 15.3 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर हो गए हैं। NDA सरकार ने महिलाओं की तकलीफ कम करने को प्राथमिकता दी, गैस सिलेंडर मिला, शौचालय मिला तो उनकी परेशानी कम हुई, समय बचा। इसे वे परिवार के साथ, कमाई बढ़ाने में इस्तेमाल कर रही है।
देश को पहली महिला राष्ट्रपति देने का सौभाग्य NDA को मिला है। 9 साल में हमने एक लक्ष्य से काम किया, गरीब, वंचितों को जीवन बेहतर कर सकें। अकेडमी से जुडे लोग रिसर्च करें कि सरकार की योजना बनाने, काम करने की गति क्या है। इसमें NDA सरकार टॉप पर होगी।
हमारे लिए बहुत आसान था कि आजादी के 75 साल पूरे होने पर हम कोई स्मारक बनवा देते, लेकिन हम देश के कोने कोने में एक लाख अमृत सरोवर बना रहे हैं। हमारी स्पीड, उद्देश्य अभूतपूर्व है। हम मेक इन इंडिया पर भी बल दे रहे हैं और देश के पर्यावरण पर भी ध्यान दे रहे हैं।
बीते 9 साल में हमने भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास किया। पहले हर गली में बिचौलिए घूम रहे थे वो खत्म हो गए।
देश में 10 करोड़ फर्जी लाभार्थी थे, जिनका जन्म ही नहीं हुआ था उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा था, वो हमारे दलित, आदिवासियों का था। आदी 30 लाख करोड़ रुपए डीबीटी के जरिए लाभार्थियों के खाते में पहुंचे। 3 लाख करोड़ रुपए गलत हाथों में जाने से बचाया है।
राजनीति में प्रतिस्पर्धा हो सकती है शत्रुता नहीं हो सकती। विपक्ष ने आज अपनी पहचान बना ली है हमें गाली देना नीचा दिखाना। इसके बावजूद हमने राजनीति दो देश से ऊपर नहीं रखा। हमने प्रणव दा को भारत रत्न दिया, वे जीवन भर कांग्रेस में रहे, लेकिन उन्हें सम्मान देने में हमने संकोच नहीं किया।
हमने शरद पवार, मुलायम सिंह जैसे कई नेताओं को पद्म सम्मान दिया है, वे कभी NDA में नहीं थे। इस समय भारत जी20 को होस्ट कर रहा है, इससे जुड़े प्रोग्राम देश में हो रहे हैं। इनका वेन्यू तय करते समय हमने नहीं सोचा कि कहां किसकी सरकार है।
कोरोना में हमने हर पार्टी के हर राज्य के सीएम से बात की, उन्हें हर संभव मदद दी।
हम देश के लोगों को जोड़ते हैं वो देश के लोगों को तोड़ते हैं। विपक्ष जिस गलती को दोहरा रहे हैं, वो देश के सामान्य मानवीय की समझदारी को, लेकिन देश की जनता देश की जनता सब देख रही है और समझ रही है।
देश देख रहा है कि ये लोग क्यों एकत्र हो रहे हैं। लोग देख रहे हैं कि केरल में लेफ्ट और कांग्रेस एक दूसरे के खून के प्यासे हैं, लेकिन बेंगलूरु में हाथ पकड़कर हंस रहे हैं।
बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस लड़ रहे हैं, लेकिन बेंगलुरु में साथ खड़े हैं। जनता जानती है ये मिशन नहीं मजबूरियां है। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ये पास-पास तो आ सकते हैं, लेकिन साथ नहीं आ सकते। इन्हें अपने कार्यकर्ताओं की भी चिंता नहीं।
ये कार्यकर्ताओं से उम्मीद करते हैं कि जीवनभर जिसका अपमान किया उनका अचानक सम्मान करने लगें। उनके कार्यकर्ता भी भ्रमित हैं कि क्या करें।