जनता बोली – जल, जमीन और जंगल बचाने की लड़ाई में राजनीतिक दल दें साथ

सिरोही। पिण्डवाड़ा क्षेत्र में करीब 800 हेक्टेयर जमीन पर प्रस्तावित चुना पत्थर खनन परियोजना को लेकर विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। गुरुवार को खनन संघर्ष समिति के सदस्यों ने कांग्रेस नेता पूर्व सीएम के बेटे वैभव गहलोत और भाजपा नेताओं ने राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री को ज्ञापन सौंपकर परियोजना को निरस्त करवाने की मांग उठाई।

खनन संघर्ष समिति के सदस्यों ने सिरोही जालौर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि प्रस्तावित परियोजना वाटेरा, भीमाना, भारजा और रोहिड़ा ग्राम पंचायतों की भूमि पर आधारित है, जहां अधिकतर किसान गरीब व भू-निर्भर हैं। खनन शुरू होने पर उनकी आजीविका समाप्त हो जाएगी और क्षेत्र का पर्यावरण भी गंभीर रूप से प्रभावित होगा।
संघर्ष समिति ने वैभव गहलोत से अनुरोध किया कि वे इस मामले में क्षेत्रवासियों की आवाज बनें और चाहे कानूनी माध्यम से या सरकार स्तर पर दबाव बनाकर, इस परियोजना को रद्द करवाने में सहयोग करें। समिति ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द निर्णय नहीं लिया तो क्षेत्र में जनआंदोलन तेज किया जाएगा।
वहीं दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और ग्राम पंचायत प्रशासकों ने भी राजस्थान सरकार में केबिनेट मंत्री जोगेश्वर गर्ग को रेवदर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ज्ञापन सौंपा। भाजपा प्रतिनिधियों ने भी परियोजना के दुष्परिणामों को विस्तार से बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग रखी।
ज्ञापन में बताया गया कि इस परियोजना से क्षेत्र का भूजल स्तर नीचे जाएगा, खेती योग्य भूमि बंजर होगी और सुकली नदी सहित आसपास के जलस्रोत प्रदूषित हो जाएंगे। स्थानीय प्रतिनिधियों ने मंत्री से आग्रह किया कि सरकार स्तर पर तुरंत हस्तक्षेप कर इस परियोजना को निरस्त किया जाए।
परियोजना को लेकर इन दिनों क्षेत्र के गांवों में लगातार बैठकें, विरोध प्रदर्शन और नदी बचाओ आंदोलन चल रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर अपने खेत, पानी और पर्यावरण को नष्ट नहीं होने देंगे।
वाटेरा, भीमाना, भारजा और रोहिड़ा ग्राम पंचायत क्षेत्र में कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड जयपुर द्वारा प्रस्तावित यह चुना पत्थर खनन परियोजना निजी कंपनी द्वारा शुरू की जानी है। परियोजना के तहत हजारों बीघा भूमि पर खनन कार्य प्रस्तावित है। ग्रामीणों का कहना है कि यह योजना उनके जीवन और पर्यावरण दोनों के लिए खतरा है, इसलिए वे इसे किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं करेंगे। और इसका विरोध जारी रहेगा.
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