बूंद-बूंद के सदुपयोग की परम्परा को आत्मसात कर जल संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास करें-जलदाय एवं भूजल मंत्री
जयपुर@जागरूक जनता। भूजल एवं जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि प्रदेश में जल की एक-एक बूंद का सांगोपांग उपयोग करने की सुदीर्घ परम्परा रही है। प्रदेश में गिरते भू-जल स्तर की स्थिति में सुधार के लिए सभी नागरिकों को अपने दैनिक जीवन में इसके अनुरूप व्यवहार करते हुए जल की बचत एवं संरक्षण के उपायों को अपनाने की आवश्यकता है।
डॉ. कल्ला मंगलवार को दुर्गापुरा स्थित राज्य कृषि प्रबंधन संस्थान में अटल भूजल योजना पर दो दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
डॉ. कल्ला ने कहा कि देश के कुल क्षेत्रफल का 10 प्रतिशत भू-भाग राजस्थान में है, लेकिन भूजल की मात्रा पूरे देश की तुलना में मात्र 1.14 प्रतिशत है, इस सोचनीय स्थिति से राज्य को उबारने के लिए सभी स्तरों पर सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकारी स्तर पर जो कुएँ या नलकूप खोदे जा रहे हैं, उनके साथ-साथ ग्राउंड वाटर रिचार्ज एवं जल संरक्षण के उपाय भी किए जा रहे हैं। राज्य में निजी स्तर पर जो लोग नलकूप लगा रहे हैं, वे भी आवश्यक रूप से भूजल रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण करें, इसके लिए भी प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
भूजल मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले दिनों महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए 300 वर्गमीटर के स्थान पर 200 वर्गमीटर के भूखण्ड पर बनने वाले परिसरों के लिए वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर बनाने को अनिवार्य किया है। इसी प्रकार प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में भी ड्रिप इरिगेशन से कम पानी में अधिक उत्पादन लेने की पद्धतियों को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने पर फोकस किया जाए। उन्होंने कहा कि अटल भूजल योजना के तहत प्रदेश के 17 जिलों के 38 ब्लॉक में 1144 ग्राम पंचायतों पर विशेष फोकस किया जा रहा है। इस योजना के क्रियान्वयन से जुड़े सभी विभाग टीम स्पिरिट से समन्वित प्रयास कर भूजल की स्थिति में सुधार के लिए जन सहभागिता को बढ़ावा दें।
भूजल एवं जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) श्री सुधांश पंत ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य में भूजल रिचार्ज की तुलना में करीब डेढ़ गुना दोहन हो रहा है। यहां भूजल की दृष्टि से सुरक्षित ब्लॉक्स की संख्या में कमी आ रही है, ऐसे में अटल भूजल योजना राज्य के परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्वपूर्ण योजना है। योजना से सम्बंधित सभी विभाग भूजल की स्थिति की गम्भीरता को समझते हुए इसकी गाइडलाइन के अनुसार गतिविधियों का संचालन करे ताकि हम भावी पीढ़ी को जल सुरक्षा देने में अपनी भागीदारी निभा सके।
कृषि आयुक्त श्री ओमप्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में कैनाल वाटर का स्टोरेज कर सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहन देने के लिए 5 हजार डिग्गियों का निर्माण कराया जा रहा है। इसके अलावा फार्म पॉन्ड के निर्माण में भी कृषकों का अनुदान दिया जा रहा है। ‘ईज ऑफ डूइंग फार्मिंग’ के तहत कृषकों के लिए इस प्रकार की सभी योजनाओं में आवेदन के बाद प्रगति की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है। जलदाय विभाग की विशिष्ट सचिव श्रीमती उर्मिला राजोरिया ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए अटल भूजल योजना के महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी दीं। भूजल विभाग के मुख्य अभियंता श्री सूरजभान सिंह ने कहा कि इस योजना में सहभागी विभागों कृषि, उद्यानिकी, जलग्रहण एवं भू-संरक्षण, ऊर्जा, जल संसाधन, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास तथा जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. एस. के जैन, अधीक्षण भूजल वैज्ञानिक एवं अटल भूजल योजना के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. वी. एन. भावे, सहायक नोडल अधिकारी डॉ. विनय भारद्वाज सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं विषय विशेषज्ञ मौजूद रहे। इस दो दिवसीय कार्यशाला के अलग-अलग सत्रों में 17 जिलों के प्रतिभागी, अटल भू-जल योजना की एनपीएमयू (नेशनल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट), नई दिल्ली एवं एसपीएमयू (स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट), राजस्थान के विषय विशेषज्ञों के साथ जल संरक्षण गतिविधियों पर मंथन करेंगे।