महापुरुषों के संयम और पुण्य तिथि दिवस अवश्य मनाना चाहिए – मुनि सुश्रुत सागर महाराज

मुनि सुश्रुत सागर महाराज के सानिध्य मे मनाया गया चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागर समाधि दिवस, की गई विशेष पूजा आराधना

केकड़ी @ जागरूक जनता (विजेन्द्र पाराशर)। दिगम्बर जैन मुनि सुश्रुत सागर महाराज ने आयोजित धर्मसभा मे प्रवचन करते हुए कहा कि हम महापुरुषों के जन्म दिवस मनाये अथवा नहीं यह कोई मायने नहीं रखता लेकिन यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हम कभी भी महापुरुषों के संयम दिवस और पुण्य
दिवस,समाधि दिवस मनाने से कहीं वंचित नहीं रह जाये। महापुरुषों चारित्रवान पुरूषों की महिमा करना हमारे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है कि हमें भी उनके समान ही बनना है, अपने चरित्र के निर्माण के लिए महापुरुषों के चरित्र का गुणगान करना चाहिए, और हमें पंथो के मतभेद मे नही उलझकर चारित्र संयम के मार्ग पर चल रहे संतों के जैसा बनने के लिए उनके बताये हुए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। संयम लेने के भाव हमेशा हृदय मे जागृत रहना चाहिए। गुणीजनो के समान गुण हमारे जीवन मे भी आवे, उनके गुणों को हम ग्रहण करें ऐसी भावना हमारी हमेशा बनी रहे। मुनिराज आचार्य शांतिसागर महाराज के समाधि दिवस पर विशेष व्याख्यान कर रहे थे। मुनिराज ने कहा कि आचार्य शांतिसागर महाराज गुणों की खान थे महान तपस्वी सम्राट थे।सात दिन लगातार उपवास करने के बाद एक दिन पारणा करते थे उनकी तपस्या का प्रभाव उनके जीवन पर बहुत अधिक रहा। गुरु की गंभीरता सामान्य व्यक्ति के समझ मे नही आती है।ना जाने कब कैसे परिणाम,भाव आ जावे कब किसका जीवन परिवर्तित हो जावे, यह कहा नहीं जा सकता। सभी साधु,मुनिराज पूजनीय एवं वंदनीय है.जिनशासन को सम्भाले हुए हैं जिनधर्म की प्रभावना के साथ ही स्वयं की आत्मा के उत्थान का व जन जन का कल्याण कर रहे हैं। मुनिराज ने आचार्य शांतिसागर महाराज का जीवन परिचय सुनाया। उन्होंने कहा कि बाल्यावस्था से ही वे बड़े ही धार्मिक स्वभाव वाले थे, भगवान की पूजा वंदना, त्यागी जनो को आहार दान देना, वैयावृति करना, दीन-दुखियों की सेवा करना उनकी दिनचर्या मे था। क्रमशः पढ़ाई , व्यापार,शादी पश्चात सांसारिक जीवन से वैराग्य उत्पन्न होने पर क्षुल्लक दीक्षा,ऐलक दीक्षा मुनिपद, आचार्य पद धारण किया। पश्चात विहार करते हुए संध ने उन्हें चारित्र चक्रवर्ती पद दिया गया। कालान्तर मे कठोर तप साधना करते हुए दिनांक 14.8.55 को सल्लेखना का भाव आये और सल्लेखना ले ली। 36 दिन पश्चात् दिनांक 18.9.55 को भादवा सुदी द्वितीय रविवार के दिन ॐ सिद्धाय नमः के उच्चारण के साथ अपने जीवन को पवित्र करते हुए समभाव पूर्वक समाधि को प्राप्त किया। दिगम्बर जैन चंद्रप्रभु चैत्यालय पाठशाला के बालकों ने मुनिराज सुश्रुत सागर महाराज के सानिध्य मे आचार्य शांतिसागर महाराज की विशेष संगीतमय पूजा आराधना अष्ट द्रव्यों से भक्ति पूर्वक की। इस अवसर पर बाल ब्रह्मचारी शुभम भैया व ऋषभ भैया ने आचार्य शांतिसागर महाराज के संदर्भ मे अपने विचार व्यक्त किए। दिगम्बर जैन समाज एवं वर्षायोग समिति के प्रवक्ता नरेश जैन ने बताया कि मुनिराज के प्रवचन से पहले चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन एवं मुनि सुश्रुत सागर महाराज के पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य राजकुमार अशोक कुमार सुरेन्द्र कुमार बड़जात्या परिवार को मिला।
त्रैलोक्य तीज (रोट तीज) का त्यौहार आज मनाया जायेगा
दिगम्बर जैन समाज के धर्मावलम्बी आज सोमवार को त्रैलोक्य तीज (रोट तीज) का त्यौहार मनाएंगे। दशलक्षण महापर्व से पूर्व भादवा मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को त्रैलोक्य तीज, रोट तीज पर्व बड़े ही जोर शोर से मनाया जाता है। त्रैलोक्य तीज के दिन महिलाए त्रिकाल चौबीसी के तीर्थंकरो की विशेष पूजा आराधना करती है। तीन साल तक क्रमशः सौभाग्यवती महिलाऐं त्रैलोक्य तीज का व्रत करती है और कथा वाचन करती है या कथा सुनती है। पूरा दिन धर्मध्यान मे व्यतीत होता है। जैन परिवारों के धरो मे रोट, चावल की खीर आदि बनाएं जाने की परम्परा है। साथ ही मिलने वाले लोगों को , दोस्तों को भोजन कराया जाता है।
दिगम्बर जैन समाज के दशलक्षण महापर्व का आगाज मंगलवार से
प्राकृताचार्य सुनील सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य परम पूज्य मुनि सुश्रुत सागर महाराज एवं क्षुल्लक सुकल्प सागर महाराज ससंध के मंगल पावन सानिध्य मे स्वानुभव चातुर्मास समिति एवं सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान मे दिगम्बर जैन धर्मावलम्बी मंगलवार उन्नीस सितम्बर से गुरूवार अठ्ठाईस सितम्बर तक तप, तपस्या, त्याग का पर्वाधिराज दशलक्षण महापर्व मनाएंगे। दिगम्बर जैन समाज एवं वर्षायोग समिति के प्रवक्ता नरेश जैन ने बताया कि देवगांव गेट के पास चंद्रप्रभु चैत्यालय मे उन्नीस सितम्बर से अठ्ठाईस सितम्बर तक दशलक्षण महापर्व पर दैनिक कार्यक्रम के तहत प्रातः छह बजे – जिनाभिषेक, शांतिधारा (मुनिराज के मुखारविंद से उच्चारित मंत्रों के बीच), प्रातः सात बजे – नित्य नियम पूजन एवं दशलक्षण मंडल विधान पूजन (सानिध्य मुनि सुश्रुत सागर महाराज), प्रातः सवा नो बजे – मंगल प्रवचन मुनि सुश्रुत सागर महाराज द्वारा प्रातः दस बजे – आहार चर्या मुनिराज ससंध दोपहर ढाई बजे – तत्त्वार्थसूत्र वाचन दोपहर तीन बजे – तत्त्वार्थ सूत्र स्वाध्याय (मुनि सुश्रुत सागर महाराज)
सायं साढ़े पांच बजे – श्रावक प्रतिक्रमण
सायं साढ़े छह बजे – श्रुत समाधान ( मुनि सुश्रुत सागर महाराज द्वारा) सायं सात बजे – आरती एवं भक्ति संगीत रात्रि पौने आठ बजे – मंगल प्रवचन (संधस्थ बाल ब्रह्मचारी भैया द्वारा) रात्रि पौने नौ बजे – विविध धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे छिंदवाड़ा (म.प्र.) से पधारे संगीतकार राजेश जैन एण्ड पार्टी आयोजित कार्यक्रमो मे वाद्ययंत्रों साज सामान के माध्यम सहित अपनी स्वर लहरियां बिखेरेंगे। दशलक्षण महापर्व पर नगर के सभी आठों दिगम्बर जैन मंदिरों मे दस धर्मो उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य की दस दिन तक विशेष विधानादि के माध्यम से पूजा अर्चना की जायेगी। रात्रि मे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। सभी दिगम्बर जैन मंदिरों मे श्रद्धालुओ की विशेष चहल पहल रहेगी।

Date:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Jagruk Janta Hindi News Paper 26 March 2025

Jagruk Janta 26 March 2025Download

कर्मचारी राज्य बीमा निगम से जनवरी में जुड़े 18.19 लाख नए सदस्य

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) से इस साल जनवरी...

टेक स्टार्टअप्स ने 2025 की पहली तिमाही में जुटाया 2.5 अरब डॉलर का फंड

घरेलू टेक स्टार्टअप्स ने कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली...