ईडी ने अनिल देशमुख को अब तक पांच बार समन भेजा है, लेकिन देशमुख एक बार भी पूछताछ के लिए ईडी अधिकारियों के सामने हाजिर नहीं हुए। ईडी उन्हें अब अगला समन भेजने की तैयारी कर रही है।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की मुश्किलें बढ़ सकती है। उन पर सौ करोड़ की वसूली के लिए दबाव डालने का आरोप है और इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी जांच कर रही है। अब इस मामले में ईडी ने अनिल देशमुख के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है। इस नोटिस के जारी के बाद से देशमुख अब भारत छोडक़र कहीं नहीं जा सकेंगे। साथ ही, संभावना है कि उनकी जल्द ही गिरफ्तारी भी हो सकती है।
दरअसल, ईडी ने अनिल देशमुख को अब तक पांच बार समन भेजा है, लेकिन देशमुख एक बार भी पूछताछ के लिए ईडी अधिकारियों के सामने हाजिर नहीं हुए। ईडी उन्हें अब अगला समन भेजने की तैयारी कर रही है। हालांकि, उससे पहले ईडी ने उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया है, जिससे वह देश छोडक़र कहीं बाहर नहीं जा सकें।
लुक आउट नोटिस जारी होने के बाद देशभर के एयरपोर्ट को भी इस बारे में सूचित कर दिया गया है, जिससे अनिल देशमुख कहीं बाहर जाना चाहें तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोका जा सके। सूत्रों के अनुसार, अनिल देशमुख संभवत: देश में ही फरार चल रहे हैं। ईडी अधिकारियों की तीन टीम महाराष्ट्र में उन्हें तलाश कर रही है। इसके अलावा, यूपी के प्रयागराज में उनके एक मददगार दरोगा के घर भी दबिश दी गई है।
लुक आउट नोटिस जारी होने के बाद अब महाराष्ट्र के अलावा दूसरे राज्यों में भी उनकी तलाश की जाएगी। वहीं, इससे पहले सीबीआई ने इंटरनल जांच रिपोर्ट लीक होने के मामले में सीबीआई के ही एक अफसर और देशमुख के वकील को गिरफ्तार किया था। अनिल देशमुख की लीगल टीम में शामिल वकील आनंद डागा से सीबीआई ने गत बुधवार को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी।
बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सौ करोड़ की वसूली के लिए पुलिस अधिकारियों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। इस केस की जांच सीबीआई कर रही है, जबकि मनी लांड्रिंग केस की जांच ईडी कर रही है। इन मामलों की वजह से महाराष्ट्र के गृह मंत्री रहे अनिल देशमुख को गत अप्रैल में पद से इस्तीफा देना पड़ा था। वहीं, देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
अब बात करते हैं लुक आउट सर्कुलर यानी लुक आउट नोटिस की। असल में यह एक सर्कुलर लेटर होता है। यह नोटिस अपराधियों का पता लगाने के लिए भी इस्तेमाल होता है। कई बार ऐसा होता है कि कोई अपराधी विदेश में पकड़ा जाता है। यह तभी संभव होता है जब उस देश के अधिकारियों के पास अपराधी के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी हुआ होता है।
लुक आउट नोटिस का इस्तेमाल इंटरनेशनल बॉर्डर जैसे- एयरपोर्ट, समुद्री क्षेत्र और बंदरगाहों पर आव्रजन जांच के लिए किया जाता है। लुक आउट नोटिस जारी करने वाली एजेंसी से अनुरोध मिलने पर संबंधित आव्रजन अधिकारी आरोप व्यक्ति को हिरासत में ले सकते हैं और एजेंसी को सूचित करते हैं, जिसके बाद उसके प्रत्यर्पण की कार्रवाई शुरू होती है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किसी भी भारतीय अपराधी के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी करने के लिए चार दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जो इस प्रकार हैं-
- किसी भारतीय व्यक्ति के खिलाफ सभी आव्रजन चेक पोस्ट के लिए लुक आउट नोटिस गृह मंत्रालय की ओर से तैयार प्रारूप में ही जारी किया जा सकता है।
- देश में लुक आउट नोटिस जारी करने का अधिकार भारत सरकार में उप सचिव, प्रदेश स्तर पर ज्वाइंट सेके्रटरी और किसी जिले के एसपी से नीचे रैंक का अधिकारी नहीं कर सकता।
- लुक आउट नोटिस जारी करने वाली एजेंसी के जरूरी है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया है, उसकी पूरी पहचान निर्धारित प्रारूप में दी जाए। इसके अलावा, व्यक्ति के नाम के साथ कम से कम तीन अन्य पहचान चिन्हों का उल्लेख भी करना होता है।
- लुक आउट नोटिस जारी होने की तारीख से एक वर्ष तक वैलिड रहता है। जिस एजेंसी ने यह नोटिस जारी किया है, अगर वह चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा या कम भी कर सकती है।