अच्छी खबर:जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन को भारत में इमरजेंसी अप्रूवल, जल्द बाजार में आने की उम्मीद

जॉनसन एंड जॉनसन जिस वैक्सीन का निर्माण कर रही है, उसे अस्पताल भेजे जाने तक फ्रीजर में रखने की जरूरत नहीं है।

नई दिल्ली। कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। सरकार ने अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन के इमजेंसी यूज का अप्रूवल दे दिया है। अब इसके भारतीय बाजार में जल्द मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। कंपनी ने शुक्रवार को ही इमरजेंसी अप्रूवल के लिए आवेदन किया था और उस दिन ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इसकी मंजूरी दे दी। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार को सोशल मीडिया पर यह जानकारी दी।

मंडाविया ने कहा कि इस अप्रूवल के बाद कोरोना संक्रमण के खिलाफ चल रही जंग को मजबूती मिलेगी। सरकार इस समय वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इस अप्रूवल के इमरजेंसी अप्रूवल की अनुमति हासिल करने वाली वैक्सीन की संख्या 5 हो गई है। जॉनसन और जॉनसन के अलावा देश में पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड, हैदराबाद के भारत बायोटेक की कोवैक्सिन, रूस की स्पूतनिक-V और ब्रिटेन की मॉडर्ना की वैक्सीन भी शामिल है।

एक डोज में होगा काम और वैक्सीन को फ्रीज करने की जरूरत नहीं
जॉनसन एंड जॉनसन ऐसे फॉर्मूले का इस्तेमाल कर रही है, जिसके दूसरे बीमारियों से लड़ने में रिकॉर्ड बेहतरीन रहा है। जॉनसन एंड जॉनसन जिस वैक्सीन का निर्माण कर रही है, उसे अस्पताल भेजे जाने तक फ्रीजर में रखने की भी जरूरत नहीं है। इतिहास में कभी भी वैक्सीन टेस्टिंग और निर्माण इतनी तेजी से नहीं हुआ। जॉनसन एंड जॉनसन के पीछे सैनोफी और नोवा वैक्स भी वैक्सीन डेवलप करने में लगी हुई हैं। इनके भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है।

वैक्सीन में क्या है खास?
जॉनसन एंड जॉनसन ने कोरोनावायरस से जीन लेकर ह्यूमन सेल तक पहुंचाने के लिए एडीनोवायरस का इस्तेमाल किया है। इसके बाद सेल कोरोनावायरस प्रोटीन्स बनाता है, न कि कोरोनावायरस। यही प्रोटीन बाद में वायरस से लड़ने में इम्यून सिस्टम की मदद करते हैं।

एडीनोवायरस का काम वैक्सीन को ठंडा रखना होता है, लेकिन इसे फ्रीज करने की जरूरत नहीं होती है। जबकि, इस समय वैक्सीन के दो बड़े उम्मीदवार मॉडर्ना और फाइजर mRNA जैनेटिक मटीरियल पर निर्भर हैं। इन कंपनियों की वैक्सीन को फ्रीज में रखने की जरूरत है, जिसके कारण इनका वितरण और मुश्किल हो जाएगा। खासतौर से उन जगहों पर जहां अच्छी मेडिकल सुविधाएं नहीं हैं।

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