ड्राइवरों को सैलेरी नहीं मिलने के कारण 18 अक्टूबर से जा सकते हैं हड़ताल पर
जयपुर। राजस्थान में गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों के लिए जननी सुरक्षा योजना के तहत संचालित 104 एम्बुलेंस के बेड़े में आज 150 नई एम्बुलेंस शामिल हो गई। ये एम्बुलेंस पहले से संचालित एम्बुलेंस जो खराब हो चुकी है उनकी जगह शामिल की गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज जयपुर में मुख्यमंत्री ऑफिस से 11 एम्बुलेंस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री ने भले ही इन एम्बुलेंस का शुभारम्भ करवाया हो, लेकिन ये अगले 4 दिन बाद बंद हो सकती है।
क्योंकि एम्बुलेंस को चलाने वाले ड्राइवरों को 2-3 महीने की सैलेरी नहीं मिली है। ड्राइवरों ने 18 अक्टूबर तक सैलेरी नहीं मिलने पर हड़ताल करने और संचालन बंद करने की चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री ने सचिवालय परिसर में इन एम्बुलेंस को रवाना किया। इस मौके पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा, चिकित्सा राज्य मंत्री सुभाष गर्ग, मुख्य सचिव निरंजन आर्य, चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के सचिव वैभव गालरिया समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।
खराब हो चुकी गाड़ियों के जगह शामिल हुई नई गाड़ियां
राजस्थान में इस योजना की शुरूआत साल 2012 से हुई थी। अलग-अलग फेज में इस योजना के तहत एम्बुलेंस चलाई गई। और वर्तमान में कुल 580 गाड़ियां चल रही है। इनमें से 150 गाड़ियां कंडम हो गई है, जिनकी जगह यह नई गाड़ियां खरीदी गई और इन्हे लगाया गया है। इन गाड़ियों का संचालन एक निजी फर्म के जरिए करवाया जाता है।
3 महीने से नहीं मिली है सैलेरी
राजस्थान एम्बुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि राज्य में इन एम्बुलेंस का संचालन करने में करीब 1200 ड्राइवर का स्टाफ है। फरवरी में जब से एम्बुलेंस संचालन का कॉन्ट्रैक्ट मॉर्डन इमरजेंसी सर्विसेज को दिया है, तब से वह फर्म ड्राइवरों को 3 महीने के अंतराल में सैलरी दे रही है। जो सैलरी दी जाती है उसमें भी किसी न किसी कारण से कटौती कर ली जाती है। इससे ड्राइवरों को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है। इसके अलावा नियमानुसार एम्बुलेंस ड्राइवर का पीएफ और ईएसआई का पैसा कटना चाहिए, वह भी नहीं काटा जा रहा और न ही जमा करवाया जा रहा।