मजबूरी बन गई है सरकार को ज्यादा शुल्क देने की!

सरकार जनता से शुल्क के रूप में पैसा वसूलती है और उस पैसे से सरकारी खर्चे और देश के विकास कार्य किए जाते हैं। ऐसे शुल्कों में बहुतेरे शुल्क हैं। जिन्हें वसूलने के लिए सरकार और सरकार की अधीनस्थ संस्थाएं शामिल हैं। यूं मान लो कि सारी नदियां सिमट कर समुद्र में ही समाती हैं वैसे ही सारा राजस्व सिमट कर सरकारी खजाने में ही जाता है। मगर पिछले कुछ समय से ऐसा भी देखने में आ रहा है कि सरकारी शुल्क जितना होता है उससे कई गुना सरकारी खजाने में जा रहा है। आप सोच रहे होंगे कि सुनने में तो आता है कि लोग सरकारी शुल्क चुकाने में गड़बड़ी करते हैं। शुल्क की चोरी करते हैं, हेराफेरी करते हैं। मगर यहां तो सरकार को चुकाने वाले टैक्स से भी ज्यादा चुकाया जा रहा है और चुकाना मजबूरी भी बन गई है। हम बात कर रहे हैं सरकारी स्टाम्प की। कलैक्ट्री या अन्य कई सरकारी ऑफिस होते हैं, जहां सरकारी कार्य के लिए स्टैम्प लगाया जाता है। जरूरत के अनुसार स्टैम्प उपलब्ध नहीं होते हैं तो ज्यादा राशि का स्टैम्प लगाना पड़ता है। पांच, दस, बीस यहां तक कि कभी-कभी तो 50 रुपए तक के स्टाम्प उपलब्ध नहीं हो पाते। जरूरतमंद यहां से वहां चक्कर लगाता रहता है। मगर स्टाम्प नहीं मिल पाते। यहां तक होता है कि स्टाम्प दो गुनी और तीन गुना राशि में उपलब्ध हो पाते हैं। कई स्टाम्प विक्रेता प्रथम तो स्टाम्प होने से ही मना कर देते हैं। ज्यादा निवेदन करने पर कहता है कि देखता हूं होगा तो दे दूंगा। फिर थोड़ी देर में हामी भरता है। ऐसा कह कर स्टाम्प राशि से ज्यादा वसूले जाते हैं। उसमें भी 10 की जगह 50 रुपए का और 50 की जगह 100 रुपए का, कभी-कभी तो 100 रुपए का स्टाम्प भी उपलब्ध नहीं होता है। ऐसे में निधारित राशि से ज्यादा का स्टाम्प लगाना पड़ता है। अलग-अलग कार्यों के अलग-अलग शुल्क निर्धारित होते हैं। जैसे शपथ पत्र, किरायानामा, बिजली कनेक्शन, रजिस्ट्री के लिए। इसके अलावा भी स्टाम्प लगते हैं। मगर निर्धारित शुल्क से ज्यादा लगाना पड़ता है। ये सब पैसा सरकारी खजाने में जाता है जो आम आदमी को मजबूरी में देना पड़ता है। कभी-कभी तो ऐसा भी होता है कि निर्धारित राशि से ज्यादा का स्टाम्प लगाने पर वह निरस्त हो जाता है। उसे फिर से लगाना पड़ता है। इन स्टाम्पों की जरूरत गरीब और अमीर दोनों ही व्यक्तियों को पड़ती है। अमीर तो सहन कर जाता है मगर गरीब पर दोहरी मार पड़ती है। इसलिए संबंधित विभाग को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि जरूरत के अनुसार छोटी राशि से लेकर बड़ी राशि तक के स्टाम्प आम आदमी को सुगमता से मिल सके। देखना यह भी चाहिए कि जरूरत के अनुसार स्टाम्प सुगमता से क्यों नहीं मिल पाते हैं।

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