नई दिल्ली. शुक्रवार 10 फरवरी को भारत ने अंतरिक्ष में बड़ी उड़ान भरी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने सबसे छोटो रॉकेट SSLV-D2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। एक्सपर्ट के अनुसार इस मिशन की सफलता से भारत को महंगी लॉन्चिंग से आजादी मिलेगी।
ISRO launched Small Satellite Launch Vehicle SSLV-D2: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज यानी की 10 फरवरी 2023 को अपने सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D2 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। इसे भारत की अतंरिक्ष में बड़ी उड़ान माना जा रहा है। स्मॉल सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल SSLV-D2 की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन प्रक्षेपण केंद्र से हुई। SSLV-D2 मिशन तीन पेलोड के साथ लॉन्च किया गया। SSLV-D2 पृथ्वी की निचली कक्षा में 15 मिनट तक उड़ान भरेगा, जहां यह सैटेलाइट्स को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में तैनात करेगा। शुक्रवार सुबह 9.18 मिनट पर इस सेटेलाइट को सतीश धवन अंतरिक्ष संस्थान से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। SSLV-D2 के साथ अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट EOS-07 अंतरिक्ष में भेजा गया। यह 156.3 किलोग्राम का है।
छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग को डेवलप करना है मकसद-
SSLV-D2 की लॉन्चिंग के बारे में बताया गया कि SSLV का मकसद छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग को डेवलप करना है। इसके साथ ही पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) का इस्तेमाल अब तक लॉन्चिंग में बहुत ज्यादा किया जाता है। SSLV के चलते अब यह बड़े मिशन के लिए फ्री हो सकेगा। SSLV 10 से 500 किलोग्राम के ऑब्जेक्ट को 500 किलोमीटर दूर प्लैनर ऑर्बिट में ले जा सकता है।
SSLV-D2 सैटेलाइट्स की खासियत-
SSLV-D2 के साथ गए पेलोड में जानूस-1 शामिल है, जो एक टेक्नोलॉजी डेमोन्स्ट्रेटर है। जानूस-1 अमरीका का सैटेलाइट है। जिसका वजन 10.2 किलोग्राम है। इसके अलावा आज़ादीसैट-2 एक स्मार्ट सैटेलाइट मिशन है जो लोरा और रेडियो कम्युनिकेशन क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा। इसे पूरे भारत के 75 स्कूलों की 750 गर्ल स्टूडेंट्स ने तैयार किया है।
पिछले साल फेल हो गई थी SSLV की लॉन्चिंग-
पिछले साल एसएसएलवी का लॉन्चिंग फेल गई है। 9 अगस्त 2022 में SSLV लॉन्चिंग के प्रयास किए गए थे। लेकिन लॉन्चिंग फेल हो गई थी। रॉकेट की लॉन्चिंग तो ठीक हुई थी, लेकिन बाद में रफ्तार और फिर रॉकेट के सेपरेशन के दौरान दिक्कत आई। इसके चलते तब SSLV की लॉन्चिंग को रद्द कर दिया गया था। शुक्रवार को इसकी सफल लॉन्चिंग हुई।