गोर्वधन सिंह से जुड़े वर्ष 2010 के मामले में कोर्ट ने कोटगेट थाने के तत्कालीन SHO धर्म पुनिया सहित चार SHO व जांच अधिकारियों के खिलाफ दिए जांच के आदेश,वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप कुमार शर्मा की रही दमदार पैरवी

पत्रकार नारायण उपाध्याय की स्पेशल रिपोर्ट
बीकानेर@जागरूक जनता। बीकानेर में वर्ष 2010 में अधिवक्ता गोर्वधन सिंह से जुड़े मामले में बीकानेर के न्यायालय ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए एफआर लगे केस की जांच दुबारा करने व तत्कालीन कोटगेट एसएचओ धर्म पुनिया सहित अन्य जांच अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के आदेश नयाशहर थाना पुलिस को दिए है। शांतिलाल सारस्वत बनाम कोटगेट के तत्कालीन एसएचओ धर्म पुनिया के मामले में कोर्ट ने फैसला दिया है ।

इस हाईप्रोफाइल मामले को धूल झांकती बंद फाइलों से वापिस निकलवाकर कोर्ट तक पहुंचाने का काम एक वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप कुमार शर्मा ने किया है। शर्मा इस केस की पैरवी कर रहे है। मामला वर्ष 2010 में गोर्वधन सिंह की तलाशी में पुलिस पार्टी द्वारा की गई रेड(छापेमारी) से जुड़ा हुआ है । इस रेड में पुलिस टीम के हाथ कई संदिग्ध दस्तावेज हाथ लगे थे, जिसमे पुलिस व अनुसंधान अधिकारियों ने खाना पूर्ति कर मामले में एफआर लगा दी थी, जैसा कि परिवादी द्वारा कोर्ट में दायर इस्तगासे में बयां किया गया है।

परिवादी शांतिलाल सारस्वत द्वारा कोर्ट में पेश सबूतों के आधार पर न्यायालय ने पुलिस के अनुसंधान पर सवाल उठाते हुए असंतोष जताया है। केस की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप कुमार शर्मा ने बताया इस केस में शहर के चार तत्कालीन एसएचओ जिसमें कोटगेट SHO धर्म पुनिया,नयाशहर SHO रामेश्वर लाल, बीछवाल SHO ईश्वर सिंह, अमीर हसन जेनईवीसी SHO सहित एसआई राजेन्द्र कुमार, रमेश कुमार, शिवराज सिंह नयाशहर पुलिस व कोटगेट थाने से एसआई माधो सिंह, रमेश सर्वटा ओर तत्कालीन जांच अधिकारी राजेन्द्र कुमार उपनिरीक्षक, रवि गौड़ एएसपी, मुरलीधर किराडू सीओ सिटी, अनुकृति उज्जैनिया सीओ सिटी, शिव भगवान गोदारा सीओ सीटी की भूमिका पर संदेह जताया है। इन सभी ने आरोपी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से खानापूर्ति के नाम पर जांच की है। ऐसे में कोर्ट द्वारा इस केस की जांच दुबारा करने के आदेश के बाद इस केस से जुड़े पुलिस अधिकारियों के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। कोर्ट ने नयाशहर पुलिस को आदेश दिया है कि आगामी 28 जुलाई तक सभी तथ्यों की जांच करके रिपोर्ट पेश करें।

यह है मामला..
परिवादी शांतिलाल सारस्वत द्वारा दायर इस्तगासे के अनुसार तत्कालीन एसएचओ कोटगेट धर्म पुनिया मय
नयाशहर SHO रामेश्वर लाल, बीछवाल SHO ईश्वर सिंह, अमीर हसन जेनईवीसी SHO सहित एसआई राजेन्द्र कुमार, रमेश कुमार, शिवराज सिंह नयाशहर पुलिस व कोटगेट थाने से एसआई माधो सिंह, रमेश सर्वटा आदि टीम ने गोर्वधन सिंह की तलाश में उसके पारीक चौक स्थित ऑफिस महाराजा कलेक्शन सेंटर पर रेड मारी तो वंहा से काफी मात्रा में संदिग्ध दस्तावेज रिकॉर्ड जब्त किया गया। इस रेड में पुलिस को सेटेलाइट अस्पताल की मुहर के साथ अन्य महत्वपूर्ण मुहरे मिली,वंही महिलाओं के आपत्तिजनक फ़ोटो, जाली नोट बनाने के लिए स्कैन किया गया फ़ोटो कम्प्यूटर में मिला था। इस्तगासे के अनुसार इस रेड में पुलिस को महाजन फायरिंग फील्ड से जुड़े दस्तावेज जब्त किए बताते है। परिवादी के अनुसार पुलिस ने जब्त किए सभी दस्तावेजों को दर्ज एफआईआर में कंही भी अंकित नही किया ।

अधिवक्ता शर्मा के अनुसार पुलिस द्वारा मारी गई रेड के दौरान प्रकरण संख्या 39/2010 में अभियुक्त गोर्वधन सिंह के ऑफिस पर रेड की कार्रवाई अंकित है, जिसमे फर्द जब्ती दस्तावेज मॉनिटर, दो सीपीयू, दो माउस, एक की बोर्ड,प्रिंटर व सौ रूपए मुद्रा स्कैन किये अंकित है।  जबकि इसके बाद धर्म पुनिया ने प्रकरण 47/2010 क्यो दर्ज करवाया । इस प्रकरण में रेड में मीले दस्तावेजों व अन्य जब्ती का कंही कोई उल्लेख नही है। इस मामले को आईओ ने भी अनदेखा कर दिया । अधिवक्ता शर्मा के अनुसार रेड में जब्त सेटेलाइट अस्पताल की मुहर के साथ अन्य महत्वपूर्ण मुहरे मिली,वंही महिलाओं के आपत्तिजनक फ़ोटो, जाली नोट बनाने के लिए स्कैन किया गया फ़ोटो व महाजन फील्ड फायरिंग से जुड़े अहम दस्तावेजो के बारे में जांच अधिकारियों ने साक्ष्यों को अनदेखा कर इस मामले में एफआर लगाने की अनुशंसा कर दी, वंही रेड में शामिल धर्म पुनिया सहित सभी पुलिस अधिकारियों ने आरोपी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से केस को कमजोर कर दिया । ऐसे में कोर्ट द्वारा इन सभी के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए है। इस केस की मजबूती से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप कुमार शर्मा की मेहनत ही इसे इस मुकाम तक ले पाई है।

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