डिजिटल दौर में हिंदी का परचम: गड़सा कार्यशाला का सार

गडसा, कुल्लू. भा.प.अनु.कृ. – केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान के उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्रीय केंद्र गडसा, कुल्लू में दिनांक 26 जून 2025 को “डिजिटल युग में राजभाषा हिंदी: कार्यालयी संप्रेषण के नए आयाम” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में संस्थान के वैज्ञानिकों, कर्मचारियों, मुख्यालय अविकानगर से आए अधिकारियों तथा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति कुल्लू-मनाली के सदस्यों सहित कुल 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. जी. जी. सोनवाणे, अध्यक्ष, पशु स्वास्थ्य विभाग, अविकानगर द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी भाषा द्वारा सम्पूर्ण भारतवासियों को एक सूत्र में बाँधने की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। आज के डिजिटल युग में इसका समावेश अत्यंत आवश्यक हो गया है। उन्होंने आग्रह किया कि इस प्रकार की कार्यशालाएं नियमित अंतराल पर आयोजित की जाएं, जिससे हिंदी के तकनीकी और प्रशासनिक प्रयोग को और अधिक सशक्त किया जा सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के अध्यक्ष डॉ. आर. पुरुषोतमन ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु केंद्र द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऐसी कार्यशालाएं हिंदी की डिजिटल उपयोगिता को समझने और कार्यालयी कार्यों में इसके समावेश को प्रोत्साहित करने हेतु अत्यंत आवश्यक हैं।

विशिष्ट वक्ता डॉ. किशोर कुमार, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान, कुल्लू ने राजभाषा हिंदी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर इसके प्रयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने गृह मंत्रालय द्वारा संचालित योजनाओं जैसे “राजभाषा गौरव पुरस्कार” और हिंदी में वैज्ञानिक लेखन हेतु प्रोत्साहन की भी जानकारी दी।
विशिष्ट वक्ता जवाहर नवोदय विद्यालय, बन्दरोल के हिंदी अध्यापक श्री राजकुमार शर्मा ने डिजिटल युग में हिंदी भाषा पर पड़ रहे प्रभावों की विवेचना की। उन्होंने AI टूल्स के सकारात्मक पहलुओं के साथ-साथ इसके कारण चिंतन क्षमता में संभावित कमी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में श्री इंद्र भूषण कुमार, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, अविकानगर ने हिंदी की सरलता, व्यवहारिकता और लोकप्रियता की बात करते हुए सोशल मीडिया और फिल्म उद्योग की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि “हमें हिंदी को केवल राजभाषा नहीं, जनभाषा और अंततः विश्वभाषा बनाने की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।” कार्यक्रम के समापन अवसर पर डॉ. पल्लवी चौहान, प्रभारी हिंदी प्रकोष्ठ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।

प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी, विचारोत्तेजक और प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से उन्हें डिजिटल माध्यमों में हिंदी प्रयोग के नए आयामों की जानकारी मिली है और वे ई-ऑफिस, गूगल फॉर्म, ईमेल आदि में हिंदी प्रयोग के लिए और अधिक प्रेरित हुए हैं। प्रतिभागियों ने इस प्रकार की कार्यशालाएं नियमित रूप से आयोजित करने का अनुरोध किया ताकि राजभाषा हिंदी को तकनीकी और प्रशासनिक कार्यों में और अधिक सशक्त किया जा सके।
कार्यशाला ने यह संदेश स्पष्ट किया कि डिजिटल युग में हिंदी केवल संवाद की भाषा नहीं, बल्कि शासन और प्रशासन की एक समर्थ, सशक्त और समावेशी भाषा बनने की पूर्ण क्षमता रखती है।

Date:

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Jagruk Janta Hindi News Paper 12 November 2025

Jagruk Janta 12 November 2025Download

National हाइवे पर एयरफोर्स के जगुआर और सुखोई-30 ने भरी उड़ान

ये तीसरी बार है, जब इस हाईवे पर एयरफोर्स...