कुछ तो शर्म करो पीबीएम,पवित्र आत्माओं को मत कटवाओ चक्कर! परिजन हो रहे खासे परेशान, पढ़े पूरी खबर
-नारायण उपाध्याय
बीकानेर@जागरूक जनता । कोरोनाकाल में पीबीएम की कई तस्वीरे सामने आई है जिससे आमजन व्याकुल हो उठा । पीबीएम प्रशासन की अलमस्त लापरवाहियों ने सैकड़ो को गहरे जख्म दिए है जो ताउम्र भर नही पाएंगे । वंही पीबीएम में ऐसे सच्चे कोरोना योद्धा भी शामिल है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किये बगैर मरीजों को इस वायरस से बचाने में दिन-रात एक कर दिए, साथ ही अपनी ड्यूटी को लेकर बेहद गम्भीर है । लेकिन इनके किये कराए पर पीबीएम के कुछ कामचोर व आदतन मजबूर स्वास्थ्य कर्मचारी व अधिकारी पानी फेर रहे है यंहा बात कोरोनाकाल की ही नही हो रही है यह लापरवाहियां लंबे समय से चले आ रही है जिनको लेकर मरीजों के परिजनों द्वारा समय-समय पर हंगामा होता रहा है और बड़े शर्म के साथ यंहा लिखना पड़ रहा है कि आज भी पीबीएम में मरीजों के साथ खिलवाड़ हो रहा है और पीबीएम प्रशासन इन सब से बेखबर कुम्भकर्णी नींद ले रहा है ।
इस बार जो पीबीएम की बड़ी पोल खुलकर सामने आई है जंहा मौत के बाद भी पवित्र आत्माओं को जालिम पीबीएम चक्कर कटवा रहा है ! जी हाँ,चोंकिये मत ! मामला कुछ इस तरह से है, पीबीएम में जब किसी की डेथ होती है तो उसकी डेथ सम्बंधित जानकारी नगर निगम को भेजी जाती है जंहा से मृतक का डेथ सर्टिफिकेट जारी होता है । लेकिन जो डिटेल पीबीएम द्वारा भेजी जाती है वह जानबूझकर आधी अधूरी भेज दी जाती है । जागरूक जनता ने जब निगम निगम ऑफिस जाकर इस मामले की पड़ताल की तो मौके पर पंजीयन लाइन में लगे आठ से दस केस ऐसे मिल गए जिनमे इस तरह का गड़बड़झाला साफ साफ दिख रहा था । तो हमने पीड़ितों से बात की ।
पहला केस डेथ सर्टिफिकेट से जुड़ा :
कोलायत निवासी सागर पंचारिया ने बताया वह अपने दादाजी के डेथ सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने आये थे । सागर ने बताया उनके दादाजी का आधार कार्ड में नाम उमाराम पंचारिया है और यही आइडेंटिटी हमने पीबीएम में जमा करवाई थी लेकिन लापरवाह पीबीएम ने नगर निगम में जो रिकॉर्ड भेजा है उसमें सिर्फ उमाराम नाम अंकित किया गया है ।
दूसरा केस जन्म प्रमाण पत्र से जुड़ा :
गंगाशहर निवासी आशीष भाटी ने बताया कुछ दिन पहले उनकी पत्नी ने पीबीएम में बच्चे को जन्म दिया जिसका जन्म प्रमाण पत्र आवेदन के लिए वे नगर निगम में पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि पीबीएम से जो रिकॉर्ड आया है उसमें सिर्फ आशीष नाम ही दर्ज है । जबकि आधार में उनका नाम आशीष भाटी है । बाद में उन्होंने कोर्ट से शपथ पत्र निगम में पेश तब जाकर आवेदन जमा हुआ । यह तो एक मात्र उदाहरण के तौर पर आपको रूबरू करवाये है ऐसे कई केस निगम में रोजना आते है ।
निगम कर्मचारी भी पीबीएम की इस लापरवाही को लेकर खासा परेशान है उन्होंने बताया कि ये समस्या काफी सालों से चली आ रही है इस सम्बंध में हमने कई बार पीबीएम को अवगत करवा दिया लेकिन इस विकट समस्या का कोई हल नही निकल पाया । ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर पीबीएम कब चेतेगा क्या इस तरह की लापरवाहियां करने का खुल्लमखुल्ला ठेका ले रखा है?? आश्चर्य और ताज्जुब की बात है कि बीकानेर से दो प्रदेश में मंत्री व एक केंद्रीय मंत्री है बावजूद इतनी बड़ी समस्या आखिर इन मंत्रियों तक क्यो नही पहुंची या फिर ध्यान होते हुए इग्नोर किया जा रहा है । अगर वाकई में ऐसा है तो फिर तो फिर पीबीएम रामभरोसे है । जागरूक जनता की पीबीएम प्रशासन को साफ साफ नसीहत है साहब कुछ तो शर्म करो ! कम से कम पवित्र आत्माओं के उनके हक का तो नाजायज फायदा मत उठाओ !
बता दे,आज तक बीकानेर के किसी भी न्यूज़ एजेंसी ने इस गम्भीर समस्या की आवाज नही उठाई । जागरूक जनता ने इस दर्द को समझा और प्रमुखता से इसको प्रकाशित करने की ठानी । उम्मीद है इस समस्या का त्वरीत निदान होगा ।
इनका कहना है..
“इस लापरवाही का मुझे आपसे ही पता चला है, आज ही पता करवाता हूं,जो भी इस लापरवाही में शामिल पाया गया, उसको पाबंद करते हुए आवश्यक कड़ी कार्यवाही की जाएगी ।”
डॉ.परमिंद्र सिरोही,अधीक्षक पीबीएम अस्पताल,बीकानेर