ज्ञानवापी प्रकरण: शृंगार-गौरी का केस सुनने योग्य है या नहीं, इस पर सुनवाई आज, विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत ने त्यागा अन्न

वाराणसी। वाराणसी के मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी प्रकरण की सुनवाई गुरुवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के प्रार्थना पत्र पर कोर्ट यह तय करेगी कि मां शृंगार गौरी से संबंधित मुकदमा सुनने लायक है या नहीं। कोर्ट का आदेश मुकदमे की आगे की सुनवाई की रूपरेखा तय करेगा। उधर, काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने अन्न का त्याग कर दिया है। संभावना यह भी जताई जा रही है कि ज्ञानवापी परिसर की एडवोकेट कमिश्नर की सर्वे रिपोर्ट पर पक्षकार आपत्ति भी दाखिल कर सकते हैं।

विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत ने त्यागा अन्न
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने अन्न का त्याग कर दिया है। डॉ. कुलपति तिवारी ने गुरुवार की सुबह कहा कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा का अधिकार जब तक उन्हें नहीं मिल जाता है, तब तक वह अन्न नहीं ग्रहण करेंगे।
पूर्व महंत ने कहा कि वह अपने बारे में उड़ाई जा रही अफवाह से आहत हैं। कुछ लोग सुनियोजित तरीके से अफवाह उड़ा रहे हैं कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा के अधिकार के लिए उन्होंने जो याचिका दाखिल की थी, वह वापस ले ली है। जबकि, ऐसा कुछ नहीं है। सब कुछ ठीक रहा तो आज जिला जज की अदालत में उनकी याचिका पर सुनवाई होगी।

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने जनवरी में दाखिल की थी आपत्ति
मां शृंगार गौरी से संबंधित मुकदमा पांच महिलाओं ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में 18 अगस्त, 2021 को दाखिल किया था। सुनवाई के क्रम में प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने जनवरी महीने में कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रॉविजंस) एक्ट, 1991 का हवाला देते हुए कहा था कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है।

कमेटी के अनुसार, उनकी अपील को खारिज कर सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दे दिया था। मसाजिद कमेटी ने सर्वे आदेश के खिलाफ बीती 13 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को आदेश दिया कि मसाजिद कमेटी द्वारा ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत दिए गए प्रार्थना पत्र पर जिला जज सुनवाई करें कि मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं है।

नया मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट को ट्रांसफर
ज्ञानवापी प्रकरण में बीती 24 मई को एक नया मुकदमा भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के नाम से विश्व वैदिक सनातन संघ की अंतरराष्ट्रीय महामंत्री किरण सिंह ने दाखिल किया। 25 मई को यह मुकदमा जिला जज के आदेश से फास्ट ट्रैक कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गया। इस मुकदमे की सुनवाई 30 मई को होगी।

इन 4 एप्लिकेशन पर भी आ सकता है आदेश
फौजदारी के अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित 7 नामजद और 200 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग कोर्ट से की थी। उनका कहना है कि ज्ञानवापी प्रकरण पर नेताओं ने अनावश्यक बयान देकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है। साथ ही, मस्जिद में शिवलिंग मिलने की बावजूद वहां लोगों ने हाथ-मुंह धोया और कुल्ला किया। इससे भगवान शिव के भक्तों को अपार कष्ट हुआ है। एसीजेएम पंचम उज्ज्वल उपाध्याय की कोर्ट ने प्रकीर्ण वाद दर्ज करने का आदेश देकर सुनवाई के लिए 26 मई की तारीख नियत की है। कल मुकदमे की पोषणीयता यानी मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं, इस पर सुनवाई होगी।

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने जिला जज की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है। उनका कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद में आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग मिला है। अकबर के शासनकाल के समय से उनके पूर्वज बाबा विश्वनाथ की पूजा करते चले आ रहे हैं। इसलिए ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की नियमित पूजा, स्नान, शृंगार और भोग-राग का अधिकार उन्हें दिया जाए। संभावना जताई जा रही है कि पूर्व महंत की याचिका पर आज कोर्ट अपना आदेश सुना सकती है।

ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने की मछलियों को अन्यत्र शिफ्ट करने व नमाजियों के टॉयलेट आदि की व्यवस्था की डीजीसी सिविल की मांग के साथ ही वादी महिलाओं द्वारा वजूखाने में मिले शिवलिंग के नीचे की जगह को तोड़ कर एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के अनुरोध पर भी अदालत अपना आदेश सुना सकती है।

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