सिरोही के पूर्व CMHO डॉ राजेश कुमार नें एक बार फिर हाईकोर्ट में सरकार के तबादला आदेश को दी चुनौती

  • स्थगन ( स्टे ) के लिए कोर्ट में दाखिल किया प्रार्थना पत्र
  • डॉ राजेश कुमार की तरह से हाईकोर्ट में पांच वकीलों का पैनल कोर्ट में कर सकता है पैरवी – सूत्र
  • आगामी 27 जनवरी को प्रार्थना पत्र पर कोर्टं होंगी सुनवाई
  • सबसे बड़ा सवाल आखिर डॉक्टर राजेश कुमार को क्यों नहीं छूट रहा सिरोही CMHO की कुर्सी से मोह.?
  • क्या सूबे के मुखिया भजन लाल शर्मा करेंगे इसपर मंथन.?
  • तीसरी बार सरकार के आदेश को हाई कोर्ट में दें रहें है चुनौती

सिरोही : राजस्थान के सिरोही में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के यानि CMHO पद की कुर्सी से पूर्व CMHO डॉ राजेश कुमार को मोह छूट नहीं रहा है। लम्बे समय से कार्यरत है। एक बार फिर 15 जनवरी 2025 को राज्य सरकार द्वारा जारी तबादला आदेश के तहत डॉ राजेश कुमार का सिरोही CMHO से निम्बाहेड़ा चितोड़गढ में डिप्टी नियंत्रक के पद पर तबादला हुआ था। उसी आदेश के विरुद्ध डॉ राजेश कुमार एक बार फिर राजस्थान हाईकोर्ट पहुंच चुके है। और स्टे के लिए 21 जनवरी को प्रार्थना पत्र पेश किया है। आवेदन के तहत निर्देशक, संयुक्त सचिव, चींफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर सहित वर्तमान सिरोही CMHO डॉ दिनेश खराड़ी को पार्टी बनाया गया है। मामले पर हाईकोर्ट में 27 जनवरी को सुनवाई होना प्रस्तावित है।

तीसरी बार में हाईकोर्ट पहुंचे डॉ राजेश कुमार

सिरोही के पूर्व CMHO डॉ राजेश कुमार इस बार तीसरी बार हाईकोर्ट पहुंचे है। इससे पूर्व ज़ब उन्हें विभिन्न भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत जांच प्रस्तावित होने से निलंबित किया गया था। तब 21 नवम्बर 2024 को हाईकोर्ट से स्टे लेकर आये थे उसके बाद से फिर से CMHO का कार्यभार संभाला था। बता दें की ज़ब विभिन्न शिकायतों के चलते उन्हें उसी साल पहली बार ज़ब APO किया गया था तब भी 7 मार्च 2024 को स्टे लेकर आये थे और पदभार ग्रहण किया था। यानि किसी भी हालत में पद छोड़ने के मूड में नहीं है।

उठ रहें गंभीर सवाल, राज्य सरकार के आदेशों को मिल रहीं है चुनौती

सिरोही के पूर्व सीएमएचओ डॉ राजेश कुमार को सिरोही CMHO की कुर्सी से मोह नहीं छूट रहा है। उनके खिलाफ राज्य सरकार स्तर पर व एसीबी में कहीं गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों की शिकायत पूर्व में पहुंची हैं। जिस पर प्रदेश सरकार द्वारा कमेटी भी गठित की गई थी। हालांकि वो समस्त जांच किस स्तर तक हुई यह सबसे बड़ा सवाल है। दरअसल चिकित्सा मंत्री और सूबे के मुखिया भजनलाल शर्मा सहित ब्यूरोकैसी के मुखिया को इसपर मंथन करना होगा की आखिर एक ही CMHO द्वारा राज्य सरकार के आदेश को कोर्ट में बार बार क्यों चुनौती दी जा रहीं है.? साथ ही ज़ब सरकार स्तर में तबादला हो गया उसके बाद भी डॉ राजेश कुमार सिरोही CMHO पद की कुर्सी छोड़ने को तैयार क्यों नहीं है। हर बार सरकार के खिलाफ जाकर कोर्ट में सरकारी आदेश को चुनौती देनें के पीछे क्या खास वजह है.? ऐसे में राज्य सरकार को ठोस कदम उठाते हुए उनके कार्यकाल में उन पर लगे गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच किसी आईएएस कैडर के अफसरों की कमेटी गठित करके करवानी होंगी ताकि दूध का दूध व पानी का पानी हो सके। यदि निष्पक्ष तरिके से जांच पड़ताल हो तों कई राज खुल सकते है। हैरत की बात यह है की सरकार भी मानो एक CMHO के रसूखात के आगे मानो क्यों नतमस्तक है। ज़ब उनके विरुद्ध कई गंभीर आरोपों के शिकायत चिकित्सा महकमे के साथ एसीबी में पहुंच चुकी है तों उसकी निष्पक्ष जांच न होने के पीछे क्या राज है..?

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