टीम में जगह बनाने के लिए तेज गेंदबाजों को 8 मिनट, 15 सेकंड और बल्लेबाजों को 8 मिनट, 30 सेकंड में दौड़ पूरी करनी होगी। योयो टेस्ट पास करने के स्कोर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह पहले की तरह 17.1 ही है।
मुंबई। टीम में जगह बनाने के लिए तेज गेंदबाजों को 8 मिनट, 15 सेकंड और बल्लेबाजों को 8 मिनट, 30 सेकंड में दौड़ पूरी करनी होगी। योयो टेस्ट पास करने के स्कोर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह पहले की तरह 17.1 ही है।
इंटरनेशनल क्रिकेट में फिटनेस की बढ़ती जरूरत को देखते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने अपने खिलाड़ियों के लिए नए पैमाने तय कर दिए हैं। इनके मुताबिक अब खिलाड़ियों को योयो टेस्ट के अलावा 2 किलोमीटर का रनिंग ट्रायल भी पास करना होगा। BCCI से कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने वाले सभी खिलाड़ियों और भारतीय टीम में जगह बनाने की उम्मीद रखने वाले युवाओं के लिए ये दोनों टेस्ट अनिवार्य कर दिए गए हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार तेज गेंदबाजों को 8 मिनट, 15 सेकंड में दो किलोमीटर की दौड़ पूरी करनी होगी। वहीं, बल्लेबाजों और विकेटकीपर को यह दौड़ 8 मिनट, 30 सेकंड में पूरी करनी होगी। योयो टेस्ट पास करने के स्कोर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह पहले की तरह 17.1 ही है।
सौरव गांगुली और जय शाह की स्वीकृति मिली
स्पोर्ट्स साइंस के पैरामीटर्स के मुताबिक एलीट लेवल के एथलीटों से उम्मीद की जाती है कि वे 2 किमी की दौड़ 6 मिनट में पूरी कर लेंगे। वहीं, अमेच्योर इसके लिए आम तौर पर 15 मिनट का समय लेते हैं। BCCI हर साल इस टाइम ट्रायल की टाइमिंग का आकलन करेगा और जरूरत पड़ने पर इसमें संशोधन भी किया जाएगा।
इस नए फिटनेस स्टैंडर्ड को बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह की स्वीकृति मिल चुकी है। सभी अनुबंधित खिलाड़ियों को इसकी सूचना भी दी जा चुकी है। हर साल फरवरी, जून और अगस्त/सितंबर में ये टेस्ट आयोजित किए जाएंगे।
ऑस्ट्रेलिया से लौटे खिलाड़ियों को फिलहाल छूट
बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि नए टाइम ट्रायल से फिलहाल उन खिलाड़ियों को छूट दी गई है जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में टीम का हिस्सा थे। हालांकि, जो खिलाड़ी इंग्लैंड के खिलाफ वनडे और टी-20 सीरीज के लिए दावा पेश करेंगे, उन्हें इस ट्रायल से गुजरना होगा। इसी साल होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप के लिए खिलाड़ियों को यह ट्रायल देना होगा।
BCCI ने कुछ साल पहले योयो टेस्ट की शुरुआत की थी। अंबाती रायडू, केदार जाधव, संजू सैमसन जैसे खिलाड़ी इस टेस्ट को पास करने में विफल रहे थे। इस वजह से इन खिलाड़ियों को टीम से बाहर भी होना पड़ा था।
2017 से भारतीय क्रिकेटर दे रहे हैं योयो टेस्ट
योयो टेस्ट की शुरुआत सबसे पहले डेनमार्क के स्पोर्ट्स साइंटिस्ट और फुटबॉल कोच डॉ जेंस बैंग्सबो ने 1990 के दशक में की थी। क्रिकेट में इसकी पहली बार एंट्री ऑस्ट्रेलिया में हुई। BCCI ने 2017 में टीम इंडिया के श्रीलंका दौरे से पहले योयो टेस्ट को पहली बार आजमाया था। फुटबॉल में योयो टेस्ट का बेंचमार्क स्कोर 21 रखा गया है, लेकिन क्रिकेट में 17 के ऊपर का स्कोर अच्छा माना जाता है।