डेयरी कंपनी क्वॉलिटी को बंद करने पर लगी मुहर,​​​​​​​ बैंकों ने खारिज किया हल्दीराम स्नैक्स का ऑफर

  • लगभग 30 साल पुरानी डेयरी कंपनी पर लेनदारों का तकरीबन 1,900 करोड़ रुपये का बकाया है
  • हल्दीराम ने पहले 130 करोड़, फिर 142 करोड़ का ऑफर दिया, अंतिम ऑफर 145 करोड़ का रहा

डेयरी प्रॉडक्ट बनानेवाली कंपनी क्वॉलिटी लिमिटेड अब बंद हो जाएगी और उसकी संपत्तियों को बेच दिया जाएगा। नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की बेंच ने इसका ऑर्डर जारी कर दिया है। कर्ज से दबी कंपनी को हल्दीराम स्नैक्स खरीदना चाहती थी। कंपनी को खरीदने में अकेले उसी ने दिलचस्पी दिखाई थी। उसके प्लान को क्वॉलिटी के लेनदारों की कमेटी (CoC) ने खारिज कर दिया। NCLT की दिल्ली बेंच के एक कोर्ट ने केस में ऑर्डर सोमवार को जारी कर दिया था। लेकिन ट्राइब्यूनल की वेबसाइट पर यह गुरुवार को डाला गया।

दिवालिया करार देने की कवायद दिसंबर 2018 में शुरू हुई थी

दूध से खाने-पीने के सामान बनाने वाली क्वॉलिटी लिमिटेड 1992 में शुरू हुई थी। इस पर लेनदारों का लगभग 1,900 करोड़ रुपये का बकाया है। कंपनी को दिसंबर 2018 में दिवालिया करार देने की कवायद शुरू हुई थी। कंपनी के खिलाफ अर्जी पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्म KKR ने लगाई। कंपनी खरीदने में दिलचस्पी दिखाने वालों को रिजॉल्यूशन प्लान देने की डेडलाइन कई बार बढ़ाई गई थी। लेकिन सिर्फ हल्दीराम स्नैक्स और पायनियर सिक्योरिटी ने मिलकर कंपनी को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई। हल्दीराम ने पहले 130 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था, जिसको बाद में 142 करोड़ तक किया। उसका अंतिम ऑफर 145 करोड़ रुपये का रहा जो 1,900 करोड़ रुपये के कर्ज का 8% से भी कम था। अगर लेनदार इस ऑफर को मानते तो उन्हें 92% कर्ज को छोड़ना पड़ता।

हल्दीराम अधिकांश रकम फाइनेंशियल क्रेडिटर्स को दे रही थी

हल्दीराम स्नैक्स के रिजॉल्यूशन प्लान में ऑफर की जाने वाली अधिकांश रकम फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के पास जानी थी। प्लान पास होने के लिए जरूरी था कि 66% लेनदार उस पर राजी हों, लेकिन हल्दीराम के मामले में ऐसा नहीं था। लेनदारों की कमेटी की तरफ से यह प्लान खारिज किए जाने के बाद क्वॉलिटी का मामला देखने वाले रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल ने कंपनी बंद करने की अर्जी लगा दी। कंपनी को दिवालिया करार देने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 270 दिन का समय बहुत पहले खत्म हो गया था।

CBI ने पिछले साल डायरेक्टरों पर जालसाजी का केस बनाया था

क्वॉलिटी लिमिटेड मिल्क पावडर, बटर, चीज, घी, दही, लस्सी, छाछ और सुगंधित दूध बनाती रही है। कंपनी पर बैंक ऑफ इंडिया की लीडरशिप वाले बैंकों के समूह के धोखेबाजी करने का आरोप है। इसको लेकर कंपनी सरकारी एजेंसियां के जांच के दायरे में रही है। CBI ने पिछले साल कंपनी के डायरेक्टरों, संजय धींगरा, सिद्धांत गुप्ता और अरुण श्रीवास्तव के खिलाफ जालसाजी करने का केस बनाया था।

हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में है मैन्युफैक्चरिंग यूनिट

कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, इसकी छह मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं। ये हरियाणा के पलवल, यूपी के बुलंदशहर, सहारनपुर, जरार, सीतापुर और राजस्थान के अजमेर में हैं। इसके राजस्थान, यूपी, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में मिल्क चिलिंग सेंटरों का नेटवर्क है, जहां के उत्पादकों से यह दूध खरीदती रही है। क्वॉलिटी अपने प्रॉडक्ट जापान, UAE, सेशेल्स, बांग्लादेश, श्रीलंका, जॉर्डन, नाइजर, मोरक्को सहित 28 देशों में बेचती रही है। एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए इसने दुबई में क्वॉलिटी डेयरी प्रॉडक्ट्स नाम से 100 पर्सेंट मालिकाना हक वाली सब्सिडियरी बनाई हुई है।

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