नई दिल्ली। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सिप्ला को मॉडर्ना की वैक्सीन के आयात को मंजूरी दे दी है। सिप्ला ने वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए इसके आयात और मार्केटिंग की इजाजत मांगी थी। सरकार जल्द इस फैसले का ऐलान कर सकती है।
मॉडर्ना की तरफ से बताया गया है कि अमेरिकी सरकार ने मॉडर्ना कोविड-19 वैक्सीन के डोज तय संख्या में भारत को डोनेट करने की मंजूरी भी दे दी है। कंपनी ने सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेश (CDSCO) से भी इमरजेंसी यूज का अप्रूवल मांगा है।
मॉडर्ना को ब्रिजिंग ट्रायल की जरूरत नहीं होगी
मॉडर्ना और फाइजर उन कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत सरकार से अपील की थी कि वह इमरजेंसी यूज की इजाजत देने के बाद होने वाले लोकल ट्रायल की बाध्यता को खत्म करे। सरकार ने अभी वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद होने वाले बड़े साइड इफेक्ट को लेकर हर्जाने या जवाबदेही जैसी शर्त पर फैसला नहीं किया है। DCGI ने एक जून को कहा था कि अगर मॉडर्ना की वैक्सीन को बड़े देशों और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) से इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिली हुई है तो भारत में इन्हें लॉन्चिंग के बाद ब्रिजिंग ट्रायल की जरूरत नहीं होगी।
फाइजर और मॉडर्ना ने शर्त रखी है कि इन्डेम्निटी मिलेगी तो ही वे वैक्सीन भारत भेजेंगे। यह इन्डेम्निटी वैक्सीन कंपनियों को सब तरह की कानूनी जवाबदेही से मुक्त रखती है। अगर भविष्य में वैक्सीन की वजह से किसी तरह की गड़बड़ी हुई तो इन कंपनियों से मुआवजा नहीं मांगा जा सकता।
भारत में अभी 3 वैक्सीन और एक पाउडर
देश में फिलहाल सीरम सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल वैक्सीनेशन ड्राइव में किया जा रहा है। रूस की स्पुतनिक-वी को भी भारत में इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा DRDO ने कोविड की रोकथाम के लिए 2-DG दवा बनाई है। इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को भी मंजूरी दे दी गई है। यह एक पाउडर होता है, जिसे पानी में घोलकर दिया जाता है।