चीन ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर अपने 50 हजार से अधिक सैनिकों को तैनात कर दिए हैं। इसके साथ ही चीन लगातार भारत की गतिविधियों पर ड्रोन से नजर बनाए हुए हैं। वहीं भारत भी चीन की इन गतिविधियों पर नजर रख रहा है।
नई दिल्ली। बीते कई महीनों से भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। अब चीन ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर अपने 50 हजार से अधिक सैनिकों को तैनात कर दिए हैं। इसके साथ ही चीन लगातार भारत की गतिविधियों पर ड्रोन से नजर बनाए हुए हैं। वहीं भारत भी चीन की इन गतिविधियों पर नजर रख रहा है। भारत की ओर से कहा गया कि वह भी बड़े पैमाने पर ड्रोन तैनात कर रही है। जल्द ही वह सेना इजरायली और भारतीय ड्रोन को शामिल करेगी।
जानकारी के मुताबिक इन ड्रोन को सीमा पर चीन की चुनौती का सामना करने के लिए आपात वित्तीय शक्तियों का इस्तेमाल करके रक्षा बलों की ओर से अधिग्रहित किया गया है। बताया गया कि चीनी अपने सैनिकों के लिए अपने अस्थायी ढांचों को स्थायी ठिकानों के रूप बदल रहा है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास के इलाकों में तिब्बती गांवों के पास चीन ने सैन्य शिविर बनाए हैं। इसके साथ ही चीनी सेना के ड्रोन गतिविधियां ज्यादातर दौलत बेग ओल्डी सेक्टर, गोगरा हाइट्स और क्षेत्र के अन्य जगहों में दिखाई दे रही है।
गौरतलब है कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भी पिछले साल ही चीन ने अपने इलाके में काम शुरू कर दिया था। सूत्रों का कहना है कि सर्दियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए चीन की ओर से अभी भी कई स्थानों पर निर्माण के काम चल रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि चीन ने अप्रैल 2020 से तैनात अपने किसी भी सैनिक टुकड़ी को वापस नहीं लिया है।
गौरतलब है कि चीनी सेना भारतीय सीमा के पास तिब्बत के गांवों में सैन्य ठिकानों के निर्माण में भारी निवेश कर रही है। माना जा रहा है कि चीन इन सुविधाओं का निर्माण इसलिए कर रहा है, जिससे उसकी सेना को एक रक्षा पंक्ति के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। यही नहीं चीन की मंशा इन सुविधाओं में तैनाती के लिए अपनी सेना में भर्ती करने की भी है। चीन अपने एजेंडे में तेजी लाने के लिए इन पहाड़ी क्षेत्रों के युवाओं को आकर्षित कर रहा है।