पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय सोमवार सुबह 10 बजे दिल्ली आकर रिपोर्ट करना था। लेकिन ममता सरकार ने उन्हें रिलीव नहीं किया। ऐसे में अब केंद्र सरकार अलपन बंद्योपाध्याय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार कर रही है।
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच एक बार फिर टकराव देखने को मिल रहा है। यास चक्रवात से हुए नुकसान की समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आधे घंटे से ज्यादा का इंतजार कराने वाले बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय सोमवार यानी आज सुबह 10 बजे दिल्ली आकर रिपोर्ट करना था। लेकिन ममता सरकार ने उन्हें रिलीव नहीं किया। ऐसे में अब केंद्र सरकार अलपन बंद्योपाध्याय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार कर रही है।
ममता ने केंद्र सरकार के कदम की निंदा की
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर फैसले पर फिर से विचार करने को कहा है। ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के इस कदम की निंदा की। उन्होंने कहा कि अलपन बंद्योपाध्याय को वापस बुलाने का केंद्र का फैसला ‘असंवैधानिक और अवैध’ है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से तबादला आदेश वापस लेने की अपील की।
सीएम की अध्यक्षता में ले सकते है हिस्सा
अभी तक मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा उनके कर्तव्यों से मुक्त नहीं किया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक कल के कार्यक्रम के अनुसार, वह सोमवार दोपहर लगभग 3 बजे राज्य सचिवालय में सीएम की अध्यक्षता में होने वाली समीक्षा बैठक में भाग ले सकते हैं।
तीन महीने का सेवा विस्तार किया गया
आपको बता दें कि बंद्योपाध्याय 60 वर्ष की उम्र पूरा करने के बाद 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे। बहरहाल, कोविड-19 के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था। वहीं बीजेपी विधायक और पश्चिम बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि मुख्य सचिव ने समीक्षा बैठक में प्रोटोकॉल को तोड़ा और संविधान के तहत उनका तबादला उचित है।