संयुक्त अभिभावक संघ ने सीबीएसई बोर्ड के फैसले का स्वागत
— कहा – निजी स्कूलों की मनमर्जी पर भी दखल दे बोर्ड
जयपुर। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कोविड़ – 19 महामारी के कारण अपने अभिभावकों को खोने वाले छात्रों से अगले साल कक्षा 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बैठने के लिए पंजीकरण और परीक्षा शुल्क नही लेने का ऐलान किया है जिसका संयुक्त अभिभावक संघ ससम्मान स्वागत करता है और सीबीएसई बोर्ड से निजी स्कूलों की फीस मसले पर भी दखल देने की मांग करता है। संघ ने कहा कि कोविड़ 19 महामारी ने देश के प्रत्येक परिवार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, बहुत से परिवारों ने अपने मुख्या को खो दिया है तो बहुत से छात्र-छात्राएं है जिन्होंने अपने माता-पिताओं तक को खो दिया है, ऐसी विपरीत परिस्थितियों में समाज के सभी जिम्मेदार नागरिको, प्रशासनिक अधिकारियों और सत्ता में बैठे जिम्मेदार लोगों का कर्तव्य बनता है कि वह सभी परिवारों, छात्र-छात्राओं को साथ लेकर चले और छोटी-छोटी जरूरतों को सहायता के रूप में जन-जन तक पहुंचाकर एक-दूसरे की मदद कर इस महामारी के प्रकोप से देश को बाहर निकालने।
प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा और प्रदेश कोषाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कोविड़ – 19 महामारी का प्रत्येक जीवन मे गहरा प्रभाव रहा है और अभी स्थिति विकट बनी हुई है जिसको ध्यान में रखकर सीबीएसई बोर्ड को अब तक के सबसे ज्वलंत निजी स्कूलों की फीस मुद्दे पर भी अपना दखल देकर अभिभावकों को निजी स्कूलों की फीस लूट से राहत प्रदान करनी चाहिए। केवल बोर्ड पंजीकरण या परीक्षा शुल्क माफ करने मात्र से देश के नागरिकों को इस महामारी से निजात नही मिल सकती। नागरिकों, परिवारों और छात्र व छात्राओं तक मदद पहुंचनी है तो योजनाओं का सख्ती से पालन भी हो, अगर कोई स्कूल संचालक इसके बावजूद भी जरूरतमंद परिवारों से फीस वसूलता है तो ऐसे स्कूलो की मान्यताओं पर तत्काल विचार विमर्श कर मान्यता वापस ली जाए। सीबीएसई बोर्ड ने 10 वीं और 12 वीं के छात्र-छात्राओं के पंजीकरण और परीक्षा शुल्क नही लेने का जो निर्णय किया है संयुक्त अभिभावक संघ इस निर्णय का ह्रदय से स्वागत करता है।
मनमानी करने वाले निजी स्कूलों की मैनेजिंग कमेटी पर हो विचार
प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि महामारी के दौर में भी अधिकतर निजी स्कूल संचालकों द्वारा ” आपदा में अवसर ” का लाभ उठाया जा रहा है और अभिभावकों सहित छात्र-छात्राओं को प्रताड़ित किया जा रहा है ऐसे निजी स्कूल संचालकों के खिलाफ राज्य सरकार, केंद्र सरकार, सीबीएसई बोर्ड, आईसीएसई बोर्ड, आरबीएसई बोर्ड तमाम सभी जिम्मेदार संस्थानों को हस्तक्षेप कर निजीस्कूलों में पढ़ रहे ज़रूरतमंद छात्र छात्राओं को राहत प्रदान करनी चाहिए। शिक्षा में कोताही बरतने वाले सभी निजी स्कूलो की जांच बिठाकर मैनेजिंग कमेटी का अधिग्रहण करने पर विचार करना चाहिए और प्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारना चाहिए।
राजनीतिक षड्यंत्र रचकर शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है, जिसके चलते गरीब छात्र-छात्राएं पढ़ाई से वंचित हो रहे है
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि देश, प्रदेश की शिक्षा व्यवस्थाओं पर राजनीतिक षड्यंत्र रचा जा रहा है जिसके चलते शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देकर निजी शिक्षा के माफियाओ का संरक्षण किया जा रहा है। शिक्षा के निजीकरण का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव गरीब परिवारों के छात्र-छात्राओं पढ़ रहा है, शिक्षा में निजीकरण के बढ़ावे के चलते गरीब बच्चे पढ़ाई से वंचित हो रहे है, देश की साक्षरता बढ़ने की बजाए दिन प्रतिदिन घटती जा रही है। केंद्र और राज्यो की सरकार को मिलकर शिक्षा के क्षेत्र से निजीकरण को तत्काल खत्म करना चाहिए। जिससे गरीब परिवारों के बच्चों को उचित पढ़ाई की सुविधा प्राप्त हो सके।