संपादक कॉलम

कीड़े हमेशा मीठे में ही पड़ते हैं, नमक में नहीं!

शिव दयाल मिश्राखाने में नीम तो कड़वा ही लगेगा, चाहे उसे उपयोग में लेने वाला उसे मीठा होना चाहता हो। मगर यह संभव नहीं...

पाठकों का प्यार ही है जिससे 7 सोपान पार हुआ

शिव दयाल मिश्राइच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प के बूते प्रत्येक मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेता है। मनुष्य अकेला ही जब लक्ष्य...

खरीद-फरोख्त के लिए बोली लगना मान या अपमान!

शिव दयाल मिश्रापता नहीं, कब से इस संसार में खरीदने और बेचने का प्रचलन चला आ रहा है। मगर खरीदने और बेचने की स्थिति-परिस्थिति...

गाय से शर्म और कुत्ते पर गर्व!

शिव दयाल मिश्राशर्म और गर्व शब्दों का अपने आप में बहुत मायने है। मगर समय के साथ-साथ इनके मायने भी बदल गए हैं। पहले...

भांति-भांति का रोना!

शिव दयाल मिश्रारोना भी एक कला है। हालांकि बिना रोये भी बहुत कुछ मिलता है। मगर, कहते है कि बिना रोये तो मां भी...

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