संपादक कॉलम

भारतीय संस्कृति के गीत गाते हम कर क्या रहे हैं! (4)

शिव दयाल मिश्राभारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति कहलाती है। आज उस संस्कृति का अविभाज्य कर्म मंदिर में जाकर प्रभु की पूजा-अर्चना तो आम आदमी लगभग...

जीवन मूल्यों को सारगर्भित करता जागरूक जनता

शिव दयाल मिश्राजागरूक जनता के 7वें वर्ष में प्रवेश करने पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ। पाठक और अखबार का रिश्ता शब्दों में बयां...

भारतीय संस्कृति के गीत गाते हम कर क्या रहे हैं! (1)

शिव दयाल मिश्राजब भी किसी के अस्तित्व पर संकट आता है तो उसे बचाने का प्रयास किया जाता है। मगर वह बच उस ही...

मत सींचो नफरत का बीज!

मनुष्य का स्वभाव ही ऐसा है कि स्वयं के अनुसार कुछ नहीं हुआ या बात नहीं मानी गई तो उनमें मतभेद उभरने लगते हैं।...

प्रजातंत्र बनाम भीड़तंत्र!

प्रजातंत्र में हर आदमी को अपनी बात कहने का हक दिया गया है। मगर इसका यह अर्थ तो कतई नहीं हो सकता कि आप...

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