बीकानेर। सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता रणवीर आचार्य की जागरूकता के चलते पेट्रोल पंप के नाम हो रहे फर्जीवाड़े पर विराम लग गया है। जमीन से जुड़ा यह मामला है नगर निगम के अधीन आने वाली सरकारी जमीन का जहां पर यूआईटी गलत तरीके से पेट्रोल पंप की स्वीकृति जारी कर रही थी कि अधिवक्ता रणवीर आचार्य की जागरूकता के चलते यह रूक गयी। दरअसल जिस जमीन पर पेट्रेाल पंप के लिए स्वीकृति मांगी गयी है वह जमीन नगर निगम की है। जबकि फर्जीवाड़े से यूआईटी के अधिकारियों की मिलीभगत से इसे यूआईटी नियमों के खिलाफ जाकर स्वीकृति जारी कर रही थी।
जिसके बाद अब यह जमीन फिर से विवादों में आ गयी है। आचार्य ने इस सम्बंध में जिला कलक्टर, महापौर को पत्र लिखते हुए अवगत करवाया था कि जिस जमीन पर पेट्रोल पंप की स्वीकृति मांगी जा रही है वो जमीन आचार्यो की बगेची की जमीन के पास ना होकर थोड़ी ही दूरी पर स्थित है जो कि नगर निगम के अधीन की है। जिसके चलते यूआईटी इस पर कोई भी निर्णय नहीं कर सकती है। आचार्य ने बताया कि जिस खसरा नम्बर पर स्वीकृति मांग गयी है वो जमीन पहले से ही विवादित है और नगर निगम व सुशील कुमार नाम के व्यक्ति के बीच मुकदमा चल रहा है।
जिसकी एफआईआर गंगाशहर थाने में दर्ज है।जिसके बाद नगर निगम ने अधिवक्ता रणवीर आचार्य के पत्रों पर गंभीरता दिखाई और मेयर ने निगम प्रशासन को यूओ नोट जारी कर यूआईटी के समक्ष आपत्ति जताने के निर्देश दिए। आठ अप्रैल को निगम ने आपत्ति जता दी। जिसकी प्रति स्वायत शासन मंत्री, अतिरिक्त मुख्य सचिव, निदेशक डीएलबी, कलेक्टर और यूआईटी सचिव को भी दी।