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जन्म-जन्म के रिश्तों की डोर में बंधे 21 जोड़े

  • -वैक्सीन-मास्क जरूरी संदेश के साथ लिए सात फेरे
  • -नारायण सेवा संस्थान में 36वां दिव्यांग व निर्धन जोड़ों का विवाह

उदयपुर @ jagruk janta। जीवनभर के लिए रिश्तों की डोर बंधी तो मन बार-बार हर्षित हुआ। यादगार लम्हों के साक्षी बना अपनों का दुलार। जिसने जीवन के हर दर्द को भूला दिया। उमंगों से परिपूर्ण दिव्य वातावरण में दिव्यांगता और गरीबी का दंश पीछे छूट अतित में खो गया और नए जीवनसाथी के साथ जीवन की नई राहों में दस्तक दी। यह मंजर शनिवार को नारायण सेवा संस्थान के सेवा महातीर्थ, लियो का गुडा में नजर आया। अवसर था संस्थान के 36वें दिव्यांग व निर्धन निःशुल्क सामूहिक विवाह समारोह का। जिसमें 21 जोड़ों ने पवित्र अग्नि के सात फेरे लेकर आजन्म एक-दूसरे का साथ निभाने का वचन लिया। विवाह समारोह के माध्यम से समाज को ‘वैक्सीन-मास्क जरूरी’ का सन्देश भी दिया गया। कोरोना महामारी के चलते आयोजन सम्बन्धी कार्यक्रम स्थल पर मास्क, सोशल डिस्टेंसिग और स्वच्छता सम्बन्धी सभी मानकों का पालन किया गया। प्रत्येक जोड़े के वैक्सीन पहले ही लग चुकी थी।

संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश ‘मानव’ व सह संस्थापिका कमला देवी अग्रवाल के आशीर्वचन एवं संस्थान अध्यक्ष प्रशांतअग्रवाल व निदेशक वंदना अग्रवाल द्वारा प्रथम पूज्य गणपति आह्वान के साथ विवाह समारोह शुभ मुहूर्त में प्रातः 10 बजे आरम्भ हुआ। दूल्हों ने तोरण की रस्म अदा की। सजे-धजे जोड़ों को मंच पर दो-दो गज की दूरी पर बिठाया गया। जहां वरमाला की रस्म अदा हुई। माता-पिता एवं अतिथियों ने आशीर्वाद प्रदान किया।

इससे पूर्व जोड़ों के मेहन्दी की रस्म वंदना अग्रवाल व पलक अग्रवाल के निर्देशन में हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुई। संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि इस विवाह समारोह के माध्यम से संस्थान पिछले 20 वर्षों से ‘दहेज को कहें ना’ अभियान की सार्थक अभिव्यक्ति भी कर रहा है। संस्थान के इस प्रयास को समाज ने सराहा है। संस्थान के सामूहिक विवाहों में इससे पूर्व 2109 जोड़े विवाह सूत्र में बंधकर खुशहाल और समृद्ध जीवन जी रहे हैं। इनमें से अधिकांश वे हैं, जिनकी दिव्यांगता सुधार सर्जरी संस्थान में ही निःशुल्क हुई और आत्मनिर्भरता की दृष्टि से संस्थान में ही इन्होंने निःशुल्क रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण प्राप्त किए। संस्थान दिव्यांगों के लिए कृत्रिम अंग निःशुल्क लगाने एवं उनकी शिक्षा व प्रतिभा विकास के लिए डिजिटल शिक्षा व स्किल डवलपमेंट की कक्षाएं भी निःशुल्क चला रहा है ताकि दिव्यांग सशक्त एवं स्वावलम्बी बन सके। अग्रवाल ने निर्माणाधीन ‘वर्ल्ड ऑफ ह्यूमिनिटी’ परिसर एवं अगले पांच र्वां के विजन डॉक्यूमेंट की भी जानकारी दी। विवाह समारोह में 6 राज्यों छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश व बिहार के जोड़े शामिल थे। समारोह का संचालन महिम जैन ने किया।
21 वेदियां : आचार्यों ने 21 अलग-अलग वेदियों पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सभी 21 जोड़ों का पाणिग्रहण संस्कार सम्पन्न करवाया। इस दौरान उनके माता-पिता भी मौजूद थे।
ऐसे भी जोड़े : विवाह समारोह में ऐसे भी जोड़े थे जो दोनों ही दिव्यांग थे अथवा उनमें से कोई एक दिव्यांग तो दूसरा सकलांग था। विवाह से पूर्व इन्होंने परस्पर मिलकर एक-दूसरे के साथ जीवन बिताने का निश्चय किया।
उपहार : प्रत्येक जोड़े को संस्थान की ओर से गृहस्थी के लिए आवश्यक सामान के रूप में बर्तन, सिलाई मशीन, बिस्तर, पलंग, गैस चूल्हा, घड़ी पंखा आदि के साथ दूल्हन को मंगलसूत्र, चांदी की पायल, बिछिया, अंगूठी, साड़ियां, प्रसाधन सामग्री व दूल्हे को पेंट शर्ट सूट आदि प्रदान किए गए। अतिथियों व धर्म माता-पिताओं ने भी उन्हें उपहार प्रदान किए।
विदाई की वेला : सामूहिक विवाह सम्पन्न होने के बाद विदाई की वेला के क्षण काफी भावुक थे। बाहर से आए अतिथियों व धर्म माता-पिताओं की आंखे छलछला उठी। उन्होंने तथा ट्रस्टी निदेशक जगदीश आर्य व देवेन्द्र चौबीसा ने जोड़ों को खुशहाल जिंदगी बिताने और आंगन में जल्दी ही किलकारी का आशीर्वाद दिया। संस्थान के वाहनों द्वारा उन्हें उपहारों व गृहस्थी के सामान के साथ उनके शहर-गांव के लिए विदा किया गया।

दिव्यांग को समान व्यवहार की अपेक्षा
‘जीवन में अनेक मुकाम ऐसे आते हैं, जब व्यक्ति के सम्मुख कोई न कोई कठिनाई आती है और वह यदि अपने विवेक से उसे हल कर लेता है तो वह उसके लिए एक सबक की तरह सफलता के नए द्वार खोल देता है।’ यह कहना है उदयपुर के आदिवासी बहुल क्षेत्र के रोशनलाल का। नारायण सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित 36वें दिव्यांग एवं निर्धन युवक-युवती निःशुल्क विवाह समारोह में रोशनलाल भी उन 21 युवकों में शामिल थे, जो विवाह सूत्र में बंधे। रोशनलाल का कहना था कि नारायण सेवा संस्थान ने मेरी तरह अनगिनत दिव्यांगों के जीवन को सार्थक दिशा प्रदान की है। मै संस्थान की मदद से ही रीट परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं। इस परिक्षा की तैयारी से सम्बन्धित कक्षाओं का निःशुल्क प्रबन्ध एवं कौशल प्रशिक्षण संस्थान ने ही संभव बनाया। मुझे पूरा यकीन है कि मैं एक सफल शिक्षक के रूप में समाज की सेवा में अपनी सार्थक भूमिका सुनिश्चित करूंगा।
मध्यप्रदेष निवासी 24 वर्षीय दिव्यांग संत कुमारी ने भी सामूहिक विवाह समारोह में गुजरात के मनोज कुमार के साथ पवित्र अग्नि के सात फेरे लिए, जो स्वयं भी विकलांग है। संत कुमारी का कहना था कि ‘हर दिव्यांग यही चाहता है कि समाज उसके साथ समान और न्यायपूर्ण व्यवहार करे। संस्थान ने उसे कम्प्यूटर प्रशिक्षण देकर इस योग्य बना दिया है कि वह स्वयं अपना स्टार्टअप कर सकती हैं। दोनो पति-पत्नी एक दूसरे का सहारा बनकर जीवन को मधुरता के साथ व्यतीत करेंगे।
प्रतापगढ़ (राज.) के जन्मजात प्रज्ञाचक्षु नाथुराम मीणा दिव्यांग कंचन देवी के साथ विवाह सूत्र में बंधे। कंचन ने साथ फेरे लेने के बाद कहा कि ‘मैं उनकी आंखें बनूंगी और वो मेरे बढ़ते कदम’।

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