रवि और राजयोग में 119 दिन के लिए सोयेंगे देव, मांगलिक कार्यों पर विराम

  • — देवशयनी एकादशी 20 जुलाई को, मांगलिक कार्यों पर विराम
  • — देवशयनी एकादशी पर रवि योग रात 8.32 बजे तक
  • — राजयोग शाम 7.17 से रात 8.32 बजे तक

जागरूक जनता
जयपुर। आषाढ शुक्ल एकादशी पर 20 जुलाई को रवि योग और राजयोग (Ravi and Raja Yoga) में देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) मनाई जाएगी। इसके साथ की जहां 119 दिन के लिए मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा, वहीं चातुर्मास शुरू होगा। देवशयन के दौरान मंदिरों में भजन—कीर्तन, धर्म—कर्म, दान—पुण्य का विशेष महत्व रहेगा। इस बीच शिव आराधना का विशेष माह श्रावण के साथ भाद्रपद का महिना भी आएगा। इसके बाद 14 नवम्बर को देवउठनी एकादशी पर देव उठेंगे और फिर से मांगलिक कार्य शुरू हो पाएंगे।

ज्योतिषाचार्य अक्षय शास्त्री ने बताया कि देवशयनी एकादशी पर रवि योग रात 8.32 बजे तक रहेगा। वहीं इस बीच राजयोग शाम 7.17 बजे से रात 8.32 बजे तक रहेगा। अनुराधा नक्षत्र के प्रथम चरण में भगवान विष्णु शयन करते हैं। इस बार अनुराधा नक्षत्र 19 जुलाई को रात 10.26 बजे शुरू हो जाएगा, जो एकादशी के दिन 20 जुलाई को रात 8.32 बजे तक रहेगा। देवशयनी एकादशी से चार माह के लिए देव सोयेंगे। मंदिरों में भजन—कीर्तन होंगे। उलटी रथयात्राएं शुरू हो जाएगी।

देवशयन एकादशी पर शुक्ल और ब्रह्म योग भी
ज्योतिषाचार्य शास्त्री ने बताया कि देवशयनी एकादशी पर इसबार शुक्ल और ब्रह्म योग भी रहेगा। 19 जुलाई को रात 10.27 बजे एकादशी शुरू होगी, जो 20 जुलाई को रात 8.33 बजे तक रहेगी। 20 जुलाई को शुक्ल योग शाम 7 बजकर 34 बजे तक रहेगा, फिर ब्रह्म योग बनेगा। ज्योतिषाचार्य गौड़ का कहना है कि ज्योतिषय मत के अनुसार इस योग में किया गया काम स्थाई फलदायक होता है।

धर्म—कर्म, दान—पुण्य का विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्य के अनुसार देवशयन के दौरान मुंडन संस्कार, विवाह आदि मांगलिक कार्य निषेध है। देवशयन के दौरान भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। इस दौरान धर्म—कर्म, दान—पुण्य का विशेष महत्व रहता है। काशी के बर्तन में भोजन करने से बचें, दही का भी पहरेज करें।

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