जागरूक जनता नेटवर्क
जयपुर। सचिन पायलट खेमे की नाराजगी और कांग्रेस में जारी भारी खींचतान के सात दिन बाद प्रदेश प्रभारी अजय माकन का बयान आया है। अजय माकन ने पायलट को हाईकमान के नेताओं से समय नहीं मिलने की बात को नकारते हुए एक बार फिर उन्हें एसेट बताया है। अजय माकन ने दिल्ली में कहा- सचिन पायलट को मिलने का समय नहीं देने की बात बेबुनियाद है, ऐसा कुछ नहीं है। सचिन पायलट सीनियर लीडर है, कांग्रेस के एक तरीके से एसेट हैं, बल्कि मैं तो कहूंगा कांग्रेस के स्टार हैं और स्टार प्रचारक हैं। ऐसे एसेट और स्टार प्रचारक किसी नेता से मिलना चाहे और उन्हें समय नहीं मिले यह बिल्कुल असंभव है।
माकन ने कहा- प्रियंका गांधी 10 दिन से दिल्ली में नहीं हैं, तो वे कैसे मिलतीं। प्रियंका गांधी की उनसे बात हुई है, मेरी और वेणुगोपाल की भी उनसे बात हुई है। प्रियंका गांधी, वेणुगोपाल और मैं सचिन पायलट से लगातार बात कर रहे हैं। पायलट समय मांगें और नहीं मिले यह संभव नहीं है।
मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों पर काम जारी
मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने सहित कई मुद्दों पर विधायकों की बयानबाजी के सवाल पर अजय माकन ने कहा- विधायकों को यह समझ लेना चाहिए कि कांग्रेस का जन्म त्याग और बलिदान से हुआ है। मंत्रिमंडल में नौ जगह खाली हैं, राजनीतिक नियुक्तियां बहुत सी होनी हैं, सब पर काम चल रहा है। हम मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष, विधानसभा स्पीकर, सचिन पायलट सहित सभी वरिष्ठ नेताओं से बात करके अच्छे लोगों की नियुक्तियां कर रहे हैं।
डैमेज कंट्रोल में जुटे प्रभारी
सचिन पायलट पिछले शुक्रवार 10 जून को दिल्ली गए थे, तब से लेकर अब तक कांग्रेस में जिस तरह गहलोत और पायलट खेमों के बीच बयानबाजी हुई है और जनता में जो नरेटिव बना है उसके पीछे वरिष्ठ नेताओं की चुप्पी बड़ा कारण रही है। प्रभारी अजय माकन ने सात दिन बाद सामने आकर बयान दिया है और पायलट को एसेट और स्टार बताया है, लेकिन इसे डैमेज के बाद देरी से किया गया डैमेज कंट्रोल बताया जा रहा है।
पायलट की दिल्ली यात्रा के बाद बना नरेटिव बदला
अजय माकन के बयान के बाद कांग्रेस में सचिन पायलट को लेकर गहलोत कैंप का बनाया हुआ नरेटिव फिर बदल गया है। गहलोत कैंप की तरफ से पहले यह प्रचारित किया गया था कि पायलट को अब मुख्यमंत्री से लेकर हाईकमान तक कोई भाव नहीं देगा, लेकिन हुआ उसका उल्टा। अजय माकन के बयान से साफ हो गया कि गहलोत पायलट के झगड़े में प्रियंका गांधी बराबर हस्तक्षेप करेंगी और नंबर गेम पक्ष में होने के बावजूद गहलोत को मंत्रिमंडल और राजनीतिक नियुक्तियों के फैसले करने की एकतरफा छूट नहीं मिलने वाली है।