पिछले 1 वर्ष से कोरोनावायरस के चलते आर्थिक स्थिति हो गई है दयनीय
जागरूक जनता नेटवर्क
चित्तौड़गढ़। कोरोना महामारी से निपटने के लिए किए गए लॉकडाउन से कई धंधों पर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। इसी के चलते निजी व्यवसायियों पर भी कई प्रकार की परेशानियां आ गई। कोरोना महामारी के चलते निजी बसों संचालकों पर भी आपदा आयी है। जहां एक और लॉकडाउन की वजह से शादी, ब्याह पिकनिक, यात्रा, स्कूल आदि बिल्कुल बंद हो गए और ना कि बराबर इधर से उधर जाना हो रहा था। जिससे निजी बसों का व्यवसाय बिल्कुल ठप हो गया। वाहन मालिकों पर रोजी रोटी का भी संकट आ गया साथ ही वाहन चालकों का घर चलना भी मुश्किल हो गया।
इसी के चलते गुरुवार को राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक परिवहन को फिर से चलाए जाने पर चित्तौड़गढ़ प्राइवेट बस एसोसिएशन के बैनर तले पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा को अपनी परेशानियों के संबंध में ज्ञापन सौंपा है ज्ञापन में बताया गया, कि कोरोना के चलते हैं पिछले 1 वर्ष से बिल्कुल भी व्यवसाय नहीं हो पाया जहां वाहन की बीमा टैक्स और डीजल की बढ़ती हुई दरों के कारण निजी बस ऑपरेटर को अपनी आजीविका चलाना बहुत ही मुश्किल हो गया था। इसी के चलते इस वर्ष भी कोरोना का पिक सीजन आया। लॉक डाउन हुआ जिसके चलते धराशाई हुई आर्थिक स्थिति नहीं उठ पाई और अब तो निजी बस संचालक वाहन की मरम्मत कराने की क्षमता भी खो बैठे है। इसी के चलते गुरुवार को ज्ञापन में निजी बस संचालकों ने राज्य सरकार से मांग करते हुए स्टेज कैरिज वर्षों से सरकार को जो टैक्स प्राप्त होता है उसमें छूट की मांग और 1 वर्ष का टैक्स माफ करने की भी मांग की गई है। जिससे यह व्यवसाय फिर से पटरी पर लौट सके। क्योंकि पिछले 1 वर्ष से शादी-बारात,यात्रा, पिकनिक-पार्टी, स्कूल आदि बंद होने से वाहनो की क़िस्त व टैक्स का खर्चा भी नहीं निकल पाया । जिससे उन्हें अपना परिवार चलाने में भी संकट आ रहा है।
प्राइवेट बस एसोसिएशन के सचिव इरशाद मोहम्मद ने बताया, कि वर्तमान में डीजल का मूल्य 93 रुपये प्रति लीटर के आसपास हो गया है और कोरोना की वजह से रोजगार एकदम ठप पड़ा है इस हालात में वाहनों को फिर से चलाना संभव नहीं है। निजी बस संचालकों द्वारा गत 2015 में किरायों में वृद्धि की थी जब डीजल की दरें 52 रोये प्रति लीटर के आसपास थी। लेकिन अब बहुत ही घाटे में इस व्यवसाय को चलाना पड़ रहा है । सभी सभी निजी बस संचालकों ने मांग की है कि सरकार निजी बस संचालन में भी किरायों में प्रति किलो मीटर दर से किराए में वृद्धि करें।
यदि सरकार बेरोजगार हुए वाहन स्वामी को जिंदा रखना चाहती है तो ग्रामीण क्षेत्र में वाहनों के संचालक को सुचारु रुप से चालू रखना चाहती है तो सरकार को कम से कम 1 वर्ष का टैक्स माफ करना चाहिए। जोकि सरकार को डीजल से प्राप्त वेट का 10% भी नहीं है। पिछले वर्ष सरकार ने 3 माह के लिए 50% टैक्स माफ किया था। उन्होंने मांग की कि सरकार पुराने वाहनों में सीएनजी किट लगाने हेतु बिना ब्याज का ऋण मुहैया कराया जाए। जिससे राज्य में प्रदूषण भी कम होगा। अगर सरकार मात्र दो लाख रुपये बिना ब्याज के ऋण मुहैया करवाती है, तो राज्य भर में प्रदूषण में भी कमी आएगी। सरकार को ग्रामीण परिवहन की सेवा भी शीघ्र क्रियान्वित करने चाहिए जिससे न केवल रोजगार में वृद्धि होगी। बल्कि अवैध वाहनों पर भी रोक लगेगी वर्तमान में राज्य सरकार परिवहन निगम को वाहन चलाने के लिए 500 करोड रुपए देती है जो कि औसत प्रति वर्ष 16 लाख रुपए लगभग प्रति वाहन पड़ता है। इसके अलावा सरकार बहुत सी सुविधाएं जैसे निःशुल्क जमीन, डीजल में छूट, टैक्स में रियायत आदि देती है। जबकि निजी क्षेत्र को किसी भी प्रकार की कोई छूट नहीं दी जाती है।
निजी क्षेत्र के मुकाबले निगम को कम टैक्स देना पड़ता है। ऐसी स्थिति में जनहित में हमारे द्वारा दिए जा रहे सुझाव सरकार को मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। जिससे कि राज्य में लाखों परिवारों की रोजी-रोटी पर आए संकट को सरकार दूर करने के लिए कदम उठाए। जब तक सीएनजी पंप और डीजल वाहनों को सीएनजी वाहनों में कन्वर्ट नहीं किया जाता। तब तक वेट मुक्त डीजल निजी बस संचालकों को उपलब्ध करवाएं।
आहत निजी बस ऑपरेटर्स की समस्याओं को सुनकर जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने कहा, कि निजी बस संचालको के सुझावों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे साथ ही सीएनजी किट के लिए पेट्रोलियम कंपनियों से वार्तालाप कर शीघ्र प्राइवेट बस एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ जिला कलेक्टर की एक मीटिंग रखी जाएगी। चित्तौड़गढ़ जिले में इसकी पहल में पूर्ण सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया है। इस दौरान वरिष्ठ बस संचालक लक्ष्मण सिंह राणावत, प्राइवेट बस एसोसिएशन चित्तौड़गढ़ के उपाध्यक्ष ओम डूंगरवाल, सचिव इरशाद मोहम्मद शेख, मुकेश कुमार हेड़ा, शंभूलाल वैष्णव, अबरार मोहम्मद आदि निजी बस संचालक उपस्थित रहे।