- डेजर्ट नाइट नाम का यह युद्धाभ्यास जोधपुर एयरबेस पर 20 से 24 जनवरी तक चलेगा
- सुखोई व अन्य विमान भी होंगे शामिल, दोनों देशों के पायलट्स को सीखने का मिलेगा अवसर
जोधपुर। सूर्यनगरी जोधपुर के आसमान में बुधवार से भारत और फ्रांस के फाइटर्स जेट राफेल के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिलेगा। डेजर्ट नाइट नाम का यह युद्धाभ्यास जोधपुर एयरबेस पर 20 से 24 जनवरी तक चलेगा। इस युद्धाभ्यास में शामिल होने के लिए दोनों देशों के फाइटर जेट मंगलवार को जोधपुर पहुंचेंगे। थार के रेगिस्तान में युद्धाभ्यास होने के कारण इसका नाम डेजर्ट नाइट रखा गया है।
यह युद्धाभ्यास दोनों देशों के बीच नियमित रूप से होने वाले युद्धाभ्यास ‘गरुड़’ से अलग हो रहा है। इस समय फ्रांस की एयरफोर्स का एक बेड़ा स्कॉयरॉस डेप्लायमेंट के रूप में एशिया क्षेत्र में तैनात है। ऐसे में वहां से इसके राफेल फाइटर्स सहित एयर रिफ्यूल टैंकर व परिवहन विमान इस युद्धाभ्यास में जोधपुर आएंगे। भारत की तरफ से राफेल के साथ ही सुखोई व अन्य लड़ाकू विमान इस युद्धाभ्यास का हिस्सा होंगे।
सामरिक विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ माह से राफेल उड़ा रहे भारतीय पायलट अपनी क्षमता दर्शाएंगे। वहीं कई बरस से राफेल उड़ा रहे फ्रांस एयरफोर्स के पायलटों से मुकाबला करने के साथ उन्हें इस विमान के बारे में काफी कुछ सीखने को मिलेगा। युद्धाभ्यास के दौरान दोनों देशों के पायलट्स अपने अनुभवों को एक-दूसरे से शेयर करेंगे।
युद्धाभ्यास के लिए इसलिए जोधपुर को चुना
थार के रेगिस्तान का सिंह द्वार कहलाने वाले जोधपुर का मौसम अमूमन एकदम साफ रहता है। वहीं यहां का तापमान दोनों देशों के पायलट्स व अन्य स्टाफ के लिए पूरी तरह से मुफिद है। जोधपुर से सीमा क्षेत्र तक बगैर किसी रूकावट के लंबी दूरी तक उड़ान भर सकते हैं। 6 साल पहले जोधपुर में राफेल उड़ाने वाले पायलट्स को यहां का मौसम बहुत रास आया था। उन्होंने कहा भी था कि फ्रांस में हमें इस तरह मुक्त आकाश नहीं मिलता है। साथ ही जोधपुर एयरबेस काफी पुराना होने के साथ पश्चिमी सीमा का सबसे महत्वपूर्ण एयरबेस माना जाता है। इन कारणों से इस युद्धाभ्यास के लिए जोधपुर को चुना गया है।
6 साल पहले भी जोधपुर में गरजे थे राफेल
साल 2014 में भारत-फ्रांस वायुसेना के संयुक्त युद्धाभ्यास गरुड़ में राफेल जोधपुर में अपनी ताकत दर्शा चुका है। उस समय राफेल और सुखोई के बीच रोमांचक मुकाबला देखने को मिला था। इस युद्धाभ्यास में फ्रांस के एयर चीफ डेनिस मर्सियर ने सुखोई से उड़ान भरी थी। जबकि तत्कालीन एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने सबसे पहले जोधपुर में ही राफेल उड़ा इसका परीक्षण किया था। इसके बाद राफेल सौदा तेजी से आगे बढ़ा। इस सौदे की नींव सही मायने में जोधपुर के युद्धाभ्यास के दौरान राफेल की क्षमता को जांचने व परखने के बाद ही रखी गई थी।