National हाइवे पर एयरफोर्स के जगुआर और सुखोई-30 ने भरी उड़ान

ये तीसरी बार है, जब इस हाईवे पर एयरफोर्स के फाइटर प्लेन को सफलतापूर्वक उतारा गया है। अभ्यास शुरू होने से पहले हाईवे पर आम यातायात को पूरी तरह बंद किया गया।

राजस्थान के सांचौर उपखंड के चितलवाना ब्लॉक स्थित अगड़ावा-सेसावा हवाई पट्टी पर भारतीय वायुसेना का ‘महा-गजराज’ युद्धाभ्यास जारी है। इसमें ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट C-295 ने आपातकालीन स्ट्रिप पर टच एंड गो कर उड़ान भरी, जबकि फाइटर प्लेन जगुआर और सुखोई-30 ने हाईवे पर उतरने के बाद दोबारा उड़ान भरते हुए अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। यह युद्धाभ्यास ऑपरेशन सिंदूर के बीच हो रहा है, जिससे सीमाई सुरक्षा व्यवस्था और एयरफोर्स की तत्परता का आकलन किया जा रहा है।

पाकिस्तान बॉर्डर से 40 KM दूरी पर हो रहा ये अभ्यास
यह एक्सरसाइज राष्ट्रीय राजमार्ग NH 925A पर अगड़ावा-सेसावा में स्थित 3 किलोमीटर लंबी और 33 मीटर चौड़ी आपातकालीन एयर स्ट्रिप पर की जा रही है, जो भारत-पाकिस्तान तारबंदी से मात्र 40 किलोमीटर की दूरी पर है।

सफलतापूर्वक उतारा गया फाइटर प्लेन
यह तीसरा अवसर है, जब इस हाईवे पर फाइटर प्लेन को सफलतापूर्वक उतारा गया। अभ्यास शुरू होने से पहले हाईवे पर आम यातायात पूरी तरह बंद किया गया और सेना व पुलिस के जवानों को सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया। इस आपातकालीन एयर स्ट्रिप के निर्माण में 32.95 करोड़ रुपए की लागत आई है, जिसे सामरिक दृष्टि से देश की महत्वपूर्ण परियोजना माना जा रहा है।

दोनों सिरों पर 40 गुणा 180 मीटर की दो पार्किंग
इस हवाई पट्टी की विशेषता यह है कि दोनों सिरों पर 40 गुणा 180 मीटर की दो पार्किंग बनाई गई हैं, जिससे फाइटर प्लेन पार्क किए जा सकें। इसके साथ ही 25 गुणा 65 मीटर का एटीसी प्लिंथ और डबल मंजिला कंट्रोल केबिन बनाया गया है, जिसमें सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं। 3.5 किमी लंबी 7 मीटर चौड़ी सर्विस रोड भी पट्टी के समानांतर बनाई गई है ताकि आपातकालीन स्थिति में सैन्य वाहनों की त्वरित आवाजाही हो सके।

अभियान में शामिल रहे ये विमान
विंग कमांडर देवेंद्र पांडे ने बताया कि साउथ-वेस्टर्न कमांड की इस एक्सरसाइज का उद्देश्य आपातकालीन एयर लैंडिंग फील्ड की वैलिडिटी जांचना है। इस ऑपरेशन में C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, फाइटर प्लेन जगुआर और सुखोई-30 शामिल रहे। यह अभ्यास न केवल भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता को मजबूत करता है बल्कि बॉर्डर क्षेत्र में सामरिक तैयारियों को भी नई दिशा देता है।

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