USCIS ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश के तहत यह शुल्क सिर्फ उन्हीं नए पिटीशनों पर लगेगा जिन्हें अभी दाखिल किया जाना बाकी है।

H-1B वीजा पर नई फीस को लेकर मची हलचल पर अब आया बड़ा अपडेट। व्हाइट हाउस ने साफ कर दिया है कि 1 लाख डॉलर (करीब 83 लाख रुपये) की यह भारी-भरकम फ़ीस मौजूदा H-1B वीजा धारकों पर नहीं, बल्कि केवल नए आवेदकों पर ही लागू होगी।
अमेरिकी नागरिकता और इमिग्रेशन सेवा (USCIS) ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश के तहत यह शुल्क सिर्फ उन्हीं नए पिटीशनों (आवेदनों) पर लगेगा जिन्हें अभी दाखिल किया जाना बाकी है। 21 सितंबर से पहले दाखिल किए गए आवेदन इस नियम से प्रभावित नहीं होंगे।
USCIS के निदेशक जोसेफ़ एडलो के अनुसार, यह नियम ट्रंप द्वारा जारी आदेश ‘Restriction on Entry of Certain Nonimmigrant Workers’ का हिस्सा है और यह केवल भविष्य के नए आवेदनों पर लागू होगा। मौजूदा मान्य वीज़ा धारकों या पहले से स्वीकृत पिटीशन पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने का वादा किया था और यह कदम कंपनियों द्वारा सिस्टम के दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि इससे उन अमेरिकी कंपनियों को भी भरोसा मिलेगा जो सचमुच कुशल पेशेवरों को काम पर रखना चाहती हैं।
व्हाइट हाउस प्रेस सेक्रेटरी कैरोलाइन लेविट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “स्पष्ट कर दूं कि 1 लाख डॉलर कोई वार्षिक शुल्क नहीं है बल्कि यह एक बार लगाया जाने वाला शुल्क है। यह नवीनीकरण या मौजूदा वीज़ा धारकों पर लागू नहीं है।”
इस स्पष्टीकरण के बाद अमेरिका में काम कर रहे हजारों भारतीय पेशेवरों ने राहत की सांस ली है। पहले इस आदेश से उनमें काफी डर और असमंजस की स्थिति बन गई थी।
अमेरिकी कॉमर्स सेक्रेटरी हॉवर्ड लटनिक ने कहा, “कंपनियों को तय करना होगा कि कोई कर्मचारी इतना मूल्यवान है कि सरकार को 1 लाख डॉलर सालाना दिया जाए या फिर उसे वापस भेजकर अमेरिकी को काम पर रखा जाए।”
उन्होंने साफ कहा कि इस कदम का मकसद केवल उच्च कौशल वाले और वाकई “कीमती” लोगों को ही अमेरिका में काम करने का मौका देना है।
भारतीयों में मची अफरा-तफरी
ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका में मौजूद भारतीय H-1B वीज़ा धारकों में घबराहट फैल गई। कई लोगों ने आखिरी समय में भारत आने की फ्लाइट कैंसिल कर दी, जबकि भारत में मौजूद कई लोग वापसी की कोशिशों में जुटे रहे। इमिग्रेशन वकीलों ने चेतावनी दी कि जो लोग 21 सितंबर से पहले अमेरिका नहीं लौट पाएंगे, वे वहीं फंस जाएंगे।
न्यूयॉर्क के जाने-माने इमिग्रेशन अटॉर्नी साइरस मेहता ने कहा, “जो H-1B धारक अभी अमेरिका से बाहर बिज़नेस या छुट्टी पर हैं, उन्हें आधी रात (21 सितंबर) से पहले लौटना होगा। भारत से सीधी उड़ानें समय पर पहुंचना मुश्किल है, इसलिए कई लोग फंस सकते हैं।”
क्या है H-1B वीजा?
H-1B वीजा अमेरिका की टेक कंपनियों के लिए अहम है, जिससे वे भारत और चीन जैसे देशों से बड़ी संख्या में इंजीनियर और टेक प्रोफेशनल्स को नियुक्त करती हैं। हर साल 65,000 H-1B वीज़ा जारी किए जाते हैं। इसके अलावा 20,000 अतिरिक्त वीजा उन लोगों को मिलते हैं जिन्होंने अमेरिका से मास्टर या उससे ऊपर की डिग्री ली है। अभी तक H-1B वीजा शुल्क 2,000 से 5,000 डॉलर के बीच था। 2027 वित्त वर्ष के लिए H-1B कैप रजिस्ट्रेशन अगले साल मार्च में खुलने की उम्मीद है। पिछले साल रजिस्ट्रेशन शुल्क 215 डॉलर तय था।