
जयपुर. राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर के आयुर्वेद पाण्डुलिपि विज्ञान विभाग को फतेहपुर (सीकर) स्थित श्री सरस्वती पुस्तकालय से अध्ययन एवं शोध हेतु दस दुर्लभ आयुर्वेदिक पाण्डुलिपियाँ प्राप्त हुई हैं। विभागाध्यक्ष प्रो. असित कुमार पाञ्जा ने बताया फतेहपुर (सीकर) स्थित श्री सरस्वती पुस्तकालय से आयुर्वेद से जुड़ी 10 दुर्लब पांडुलिपियाँ मिली है, जिनमें भावप्रकाश, रसतरंगिणी, गजस्वरूप प्रकाश, पालकाप्य संहिता, तर्कसंग्रह, सामुद्रिक हस्तलिखित एवं संतान गोपाल मंत्र विधि जैसे प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथ शामिल हैं, जिनका ऐतिहासिक और चिकित्सीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है।
संस्थान के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा ने सरस्वती पुस्तकालय के पदाधिकारियों एवं सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए इस सहयोग को आयुर्वेदिक ज्ञान-विरासत के संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल बताया। प्राचीन पांडुलिपियों से संस्थान के शिक्षको और चिकित्सकों को आमजन के रोगनिदान और चिकित्सा में रिसर्च का लाभ मिलेगा और संस्थान में अध्ययनरत विधार्थियो को भी प्राचीन आयुर्वेद की जानकारी मिलेगी।
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान से असिस्टैंट प्रोफेसर अनिल कुमार शर्मा, डॉ. कृष्ण दास, डॉ नीतिशा, डॉ सुब्रमण्यन एव डॉ कीर्ति सिंहल ने पाण्डुलिपियाँ प्राप्त की।