गंधक जारण जैसी पारंपरिक विधि आयुर्वेद की वैश्विक स्वीकृति में वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान कर सकती है-पद्मश्री वैद्य बालेंदु प्रकाश

  • अतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में औषध मानकीकरण पर चर्चा के दूसरे दिन वैश्विक दृष्टिकोण एवं अनुसंधान पर जोर।
  • अमेरिका, जर्मनी, जापान, श्रीलंका एवं नेपाल सहित 8 देशों के प्रतिनिधियो ने शोध पत्र किए प्रस्तुत।
  • आयुर्वेद वि वि में दूसरे दिन 124 शोध पत्रों का वाचन, 7 प्लेनरी सेशन्स में आयुर्वेदिक औषधियों पर गहन मंथन।
  • कल्टीवेटर फाइटो लैब विजिट में प्रतिभागियों को मिला आयुर्वेदिक परीक्षण की आधुनिकता का अनुभव।
  • “आयुर्वेदिक औषधियों का मानकीकरण उनकी गुणवत्ता और प्रभावशीलता के लिए अनिवार्य है।”-प्रो. एस. एस. सावरिकर
  • आयुर्वेद वि वि,आयुष विभाग भारत सरकार , कल्टीवेटर प्राइवेट लिमिटेड जोधपुर,एवं जापान की संस्था लक्ष्मी के संयुक्त तत्वावधान में हो रहा आयोजन।

जोधपुर। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के कुलपति प्रोफेसर वैद्य प्रदीप कुमार प्रजापति के नेतृत्व में , आयुर्वेद वि वि,आयुष विभाग भारत सरकार , कल्टीवेटर प्राइवेट लिमिटेड जोधपुर,एवं जापान की संस्था लक्ष्मी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित औषध मानकीकरण पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नवाचारों पर केंद्रित रहा।
कॉन्फ्रेंस के आयोजन अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद सहाय शुक्ला एवं उपाध्यक्ष प्रोफेसर चंदन सिंह ने बताया कि इस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका,ब्रिटेन,जापान ,नेपाल श्रीलंका सहित 8 देशों एवं 13 राज्यो के प्रतिभागी शामिल हो रहे है ।कॉन्फ्रेंस के दौरान प्लेनरी और पैरेलल सेशन्स का आयोजन हुआ, जिसमें विषय विशेषज्ञों ने आयुर्वेदिक औषधियों के मानकीकरण, प्रमाणिकता और औषधीय अनुसंधान पर अपने विचार रखे।दूसरे दिन कुल चार प्लेनरी सेशन हुए जिसमे कुल 13 वक्ताओं ने शोध पत्रों का वाचन किया ।जिनमें आयुर्वेदिक औषधियों के मानकीकरण, न्यूट्रास्यूटिकल्स, और वैज्ञानिक अनुसंधान के विविध पहलुओं पर चर्चा हुई।सुश्रुत ऑडिटोरियम में आयोजित तीसरे सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. एस. एस. सावरिकर (डायरेक्टर, जीवनरेखा एनालिटिकल सर्विसेज) रहे।प्रो. आनंद चौधरी (बीएचयू) ने अध्यक्षता की।वक्ताओं में डॉ. बालेंदु प्रकाश ने गंधक की जारण और पारद विश्लेषण पर व्याख्यान दिया।

वैद्य बालेंदु प्रकाश का यह शोध पारंपरिक आयुर्वेदिक प्रक्रियाओं को आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़ने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। यह न केवल आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देगा, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में आयुर्वेदिक दवाओं की उपयोगिता और प्रभावशीलता को भी मजबूत करेगा।डॉ. दिलीप जानी ने सिंगल ड्रग्स की प्रभावशीलता और नैदानिक उपयोग पर चर्चा की।अन्य वक्ताओं में डॉ. तन्मय गोस्वामी और श्रीलंका से आए डॉ. यूएसआरके सेनारथने ने भारत और श्रीलंका के औषधीय मानकीकरण पर अपने विचार साझा किए।चौथे प्लेनरी सेशन में इस सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. महेश चंद्र शर्मा (पूर्व निदेशक, एनआईए) रहे।वक्ताओं में डॉ. बी. रविशंकर ने आयुर्वेदिक औषधियों के जैविक मानकीकरण पर प्रकाश डाला।प्रो. रेणु दीक्षित और डॉ. राज नारायण ने न्यूट्रास्यूटिकल्स और सब्जियों के औषधीय महत्व पर व्याख्यान दिए।पाचवे सेशन में से श्रीलंका से आए डॉ. पंग परेरा ने हर्बल ड्रग्स के निष्कर्षण तकनीकों पर चर्चा की।इन सत्रों में आयुर्वेदिक औषधियों के वैज्ञानिक मानकीकरण और न्यूट्रास्यूटिकल्स के वैश्विक प्रसार पर गहन चर्चा की गई।
इसी के साथ ही दूसरे दिन 7 प्लेनरी सेशन में 7 गेस्ट ऑफ़ ऑनर 7 चेयरपर्सन 14 को चेयरपर्सन एवम् 14 रिसोर्स पर्सन की उपस्थिति में 124 वक्ताओं ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया ।

सेमिनार के दौरान, कल्टीवेटर फाइटोलैब प्राइवेट लिमिटेड, जोधपुर ने प्रतिभागियों को अपने अत्याधुनिक परीक्षण और अनुसंधान प्रयोगशाला का दौरा कराया। फाइटो लैब के निदेशक डॉ तरुण प्रजापति ने बताया कि इस दौरे का उद्देश्य प्रतिभागियों को लैब की उन्नत सुविधाओं और गुणवत्ता परीक्षण प्रक्रियाओं से अवगत कराना रहा।

प्रतिभागियों को लैब में उपलब्ध नवीनतम उपकरणों और अत्याधुनिक तकनीकों का लाइव प्रदर्शन दिखाया गया। उन्हें बताया गया कि लैब में खाद्य, औषधीय पौधों, हर्बल मेडिसिन, आयुर्वेदिक दवाओं, और कॉस्मेटिक उत्पादों का गहन परीक्षण किया जाता है।प्रतिभागियों को यह भी बताया गया कि यह लैब न केवल उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करती है, बल्कि अनुसंधान और विकास में भी योगदान देती है। लैब औद्योगिक प्रशिक्षण के माध्यम से पेशेवरों को विशेषज्ञता प्रदान करती है और नवीनतम तकनीकों के जरिए परीक्षण के नए मानक स्थापित करती है।प्रतिभागियों ने लैब विजिट को एक अनूठा और ज्ञानवर्धक अनुभव बताया। उन्होंने लैब के उच्च मानकों और आयुर्वेदिक उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता की सराहना की। अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों ने लैब के कामकाज और इसकी क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर उपयोगी बताया ।

मीडिया प्रभारी एवं क्रिया शारीर विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिनेश शर्मा ने बताया कि औषध मानकम “सेमिनार के कार्यक्रमों के अंतर्गत सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेद के स्नातकोत्तर अध्येताओं एवं होम्योपैथी महाविद्यालय के छात्रों ने मारवाड़ी, मराठी ,गुजराती, बंगाली, हरियाणवी संस्कृति से संबंधित नृत्य प्रस्तुतियां प्रस्तुत की साथ ही स्वस्थवृत्त विभाग के स्नातकोत्तर अध्येता एवं योग नेचुरोपैथी महाविद्यालय के छात्रों ने म्यूजिकल योगासनों की प्रस्तुति दी एवं अगद तंत्र विभाग के छात्रों ने नशा मुक्ति जागरूकता अभियान के अंतर्गत एक नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी। सभी देश-विदेश के अतिथियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की सराहना कर छात्रों का हौसला बढ़ाया।

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