भारत क्या रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति लाने के कगार पर पहुंच गया है, क्या भारत दुनिया को अपनी विदेश नीति से चौंकाने जा रहा है। पीएम मोदी के प्रयासों से तो फिलहाल कुछ ऐसा ही लगता है। यूक्रेन शांति योजना के तहत इस वक्त एनएसए अजीत डोभाल मॉस्को में तो जयशंकर जर्मनी में हैं।
बर्लिन/मॉस्कोः जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा और फिर इसके 6 हफ्ते बाद उनके यूक्रेन दौरे ने रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति बहाल की उम्मीदों को बढ़ा दिया है। भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों देशों को युद्ध में शांति के लिए बातचीत को प्रेरित किया था। पीएम मोदी ने यूक्रेन युद्ध में हुई विशेषकर बच्चों की मौत पर गहरा दुख जाहिर किया था। उन्होंने कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं है और युद्ध के जरिये कभी भी शांति नहीं लाई जा सकती। पीएम मोदी की रूसी राष्ट्रपति पुतिन और उसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ हुई गर्मजोशी से मुलाकात ने दोनों देशों में युद्ध विराम की संभावनाओं को बल दिया है। अब पूरी दुनिया की निगाहें इसमें भारत के रोल पर है। विश्व को उम्मीद है कि भारत चाहे तो युद्ध में शांति लाई जा सकती है।
इस बाबत भारत ने अपना प्रयास शुरू कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्री इस वक्त जर्मनी में हैं, जहां उन्होंने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज से मुलाकात की है। इसके अलावा वार्षिक राजदूत सम्मेलन में वह अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव समेत अन्य देशों के विदेश मंत्रियों से मिले थे। इस दौरान भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति के लिए सभी को प्रेरित किया था। अब भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस मुद्दे का समाधान खोजने के लिए मॉस्को में हैं। इससे पहले डोभाल अमेरिकी एनएसएस से भी मिल चुके हैं। इसके बाद दावा किया जा रहा है कि भारत की ओर से तैयार युद्ध शांति के एक मसौदे को वह रूस के राष्ट्रपति पुतिन के समक्ष पेश करेंगे। अगर भारत रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति कायम करने में कामयाब होता है तो यह विश्व के मानस पटल पर उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। साथ ही विदेश नीति का डंका भी बजेगा।
जयशंकर ने क्या कहा?
यूक्रेन शांति योजना के साथ अजीत डोभाल इस वक्त मास्को में हैं। जबकि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर जर्मनी में हैं। विदेश मंत्री कहते हैं, “भारत इसके लिए तैयार है। इस बाबत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एनएसए की एक महत्वपूर्ण बैठक करने के लिए मॉस्को में हैं। जयशंकर ने कहा है कि रूस और यूक्रेन को युद्ध के मैदान से बाहर बातचीत करके अपने संघर्ष को हल करना होगा और भारत उन्हें सलाह देने को तैयार है। बता दें कि जयशंकर की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित एक शांति योजना लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करने वाले हैं।
रूस और यूक्रेन क्या स्वीकार करेंगे प्रस्ताव
भारत द्वारा तैयार प्रस्ताव को क्या रूस और यूक्रेन स्वीकार करेंगे, इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। मगर सूत्र कहते हैं कि भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति को लेकर पहला प्रस्ताव तैयार कर दिया है। जिसे पुतिन और जेलेंस्की के सामने पेश किया जाएगा। भारत ने संघर्ष को समाप्त करने में दोनों देशों को मदद की पेशकश की है। अपनी यूक्रेन यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति वज़ेलेंस्की से कहा था कि भारत शांति बहाल करने के हर प्रयास में “सक्रिय भूमिका” निभाने के लिए हमेशा तैयार है और वह संघर्ष को समाप्त करने में व्यक्तिगत रूप से योगदान देना चाहेंगे। बता दें कि पीएम मोदी एक मात्र ऐसे बड़े नेता हैं, जिनके पुतिन और ज़ेलेंस्की दोनों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। यही वजह है कि दोनों देशों की उनकी हालिया यात्राओं के दौरान दोनों नेताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया था।
पुतिन के बयान ने भी जगाई उम्मीद
गौरतलब है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में कहा है कि भारत उन तीन देशों में शामिल है, जिनसे वह यूक्रेन संघर्ष में शांति को लेकर लगातार संपर्क में हैं और इसे सुलझाने के लिए ईमानदारी से प्रयास कर रहे हैं।”अगर यूक्रेन की इच्छा है कि वह बातचीत जारी रखे, तो मैं ऐसा कर सकता हूं।”पुतिन की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा के दो सप्ताह के भीतर आई थी। पुतिन ने कहा था कि “हम अपने दोस्तों और साझेदारों का सम्मान करते हैं। मेरा मानना है कि वे ईमानदारी से इस संघर्ष से जुड़े सभी मुद्दों को हल करना चाहते हैं। इसमें मुख्य रूप से भारत, चीन और ब्राजील हैं।
जयशंकर ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज से क्या बात की?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज से बुधवार को बर्लिन में मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से उन्हें व्यक्तिगत शुभकामनाएं दीं। जयशंकर तीन देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण के तहत जर्मनी में हैं। वह ‘भारत-खाड़ी सहयोग परिषद मंत्रिस्तरीय बैठक’ में भाग लेने के बाद सऊदी अरब से यहां पहुंचे हैं। जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘आज बर्लिन में चांसलर ओलाफ शोल्ज से मिलकर सम्मानित महसूस हुआ। उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की ओर व्यक्तिगत शुभकामनाएं दीं। सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के लिए उनकी भारत यात्रा की प्रतीक्षा है।’’ मंत्री ने ‘‘चांसलर के सुरक्षा और विदेश नीति सलाहकार जेन्स प्लॉटनर के साथ भी गहन चर्चा की।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारी बातचीत आईजीसी की तैयारियों और महत्वपूर्ण रणनीतिक घटनाक्रम पर केंद्रित रही।’’
इससे पहले विदेश मंत्री ने मंगलवार को बर्लिन में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन द्वारा आयोजित विदेशी मामलों एवं सुरक्षा नीति विशेषज्ञों से बातचीत भी की। इस दौरान रूस-यूक्रेन में शांति के मुद्दे पर भी चर्चा हुई थी। जयशंकर ने कहा, ‘‘बदलती वैश्विक व्यवस्था, सुरक्षा चुनौतियों और भारत तथा जर्मनी के बीच रणनीतिक समानता पर विचार विमर्श किया गया।’’ उन्होंने जर्मनी की संसद के सदस्यों से भी बातचीत की। जयशंकर ने कहा, ‘‘समकालीन वैश्विक मुद्दों पर उनकी अंतर्दृष्टि की सराहना करता हूं। भारत-जर्मनी संबंधों को मजबूत बनाने के लिए उनके समर्थन को महत्व देता हूं।’