Haryana News: हरियाणा के तीन निर्दलीय विधायकों ने राज्य की भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।
चंडीगढ़. हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी की नायब सिंह सैनी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। निर्दलीय विधायकों के बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद राज्य की बीजेपी सरकार अल्पमत में आ गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया है।
किस-किसने लिया समर्थन वापस?
हरियाणा में जिन तीन निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लिया है, उनमें चरखी दादरी से विधायक सोमवीर सांगवान, नीलोखेड़ी से धर्मपाल गोंदर और पुंडरी से रणधीर गोलन शामिल हैं। इन तीनों विधायकों ने रोहतक में पूर्व सीएम और हरियाणा कांग्रेस के सीनियर नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मौजूदगी में समर्थन का ऐलान किया।
क्या बोले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी?
तीन निर्दलीय विधायकों के सरकार से हटने के सवाल पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, “मुझे इस बारे में जानकारी मिली है। हो सकता है कि अब कांग्रेस कुछ लोगों की इच्छा की पूर्ति करने में लगी हो। कांग्रेस को जनता की इच्छाओं से कोई लेना-देना नहीं है।”
अभी क्या है हरियाणा विधानसभा की स्थिति?
90 सदस्यों वाीली हरियाणा विधानसभा में फिलहाल 88 विधायक हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं। उनके अलावा हिसार से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रणजीत चौटाला भी विधायक पद से इस्तीफा दे चुके हैं। राज्य में बीजेपी के मौजूदा विधायकों की संख्या चालीस है। बीजेपी के पास हरियाणा में फिलहाल दो निर्दलीयों और एक हलोपा विधायक गोपाल कांडा का समर्थन है। बात विपक्षी की करें तो राज्य में कांग्रेस के तीस, जजपा के दस विधायकों सहित विपक्ष के कुल विधायकों की संख्या 45 है।
क्या अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है कांग्रेस?
मार्च 2024 में कांग्रेस पार्टी बजट सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। इस वजह से वह दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती है। दो अविश्वास प्रस्ताव के बीच छह महीने का समयह होना जरूरी है। इस वजह से कांग्रेस पार्टी नायब सिंह सैनी सरकार के खिलाफ सितंबर से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती। हरियाणा में अक्टूबर और नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है।
क्या बोले निर्दलीय विधायक
विधायक धर्मपाल गोंदर ने कहा कि जब उन्हें सरकार बनाने के लिए हमारे समर्थन की जरूरत थी, तब हमें बार-बार बुलाया जा रहा था। हमने तय किया था कि जब तक मनोहरलाल खट्टर सत्ता में रहेंगे, हम समर्थन करेंगे। हमें दुख है कि वह अब सत्ता में नहीं हैं…किसानों के हित में हम सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं।