मराठा आरक्षण को लेकर लंबे समय से मांग उठती रही है। महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक दिन के लिए विशेष विधानसभा सत्र आयोजित कर बिल पास कर दिया है।
नई दिल्ली. महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास हो गया है। सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% मराठा आरक्षण के विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी है। महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को एक दिन के लिए विशेष विधानसभा सत्र आयोजित किया था जिसमें ‘मराठा आरक्षण’ प्रमुख एजेंडा था। इस मांग को लेकर लंबे समय से महाराष्ट्र में आंदोलन जारी था।
सीएम एकनाथ शिंदे ने क्या कहा था?
पिछले हफ्ते सीएम एकनाथ शिंदे ने दावा किया था कि उनकी सरकार अन्य समुदायों के आरक्षण में किसी भी तरह का बदलाव किए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण देगी। जारंगे पाटिल के नेतृत्व में मराठा समुदाय ओबीसी श्रेणी के तहत शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा था। महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा सरकार को दी गई सिफारिशों पर विधानसभा के विशेष सत्र में चर्चा हुई और बिल को एक राय से पास कर दिया गया है।
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग ने क्या पेश किया था?
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से पेश की गई सिफ़ारिश : सआरक्षण दिया जाना चाहिए क्योंकि सरकार के अनुसार मराठा समुदाय एक सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग है और ऐसे वर्ग को भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 सी (3) और अनुच्छेद 15 (4), 15 (5) के तहत शामिल किया जाना चाहिए। संविधान के 16(4) वर्ग के लिए आरक्षण दिया जाना चाहिए।
शिक्षा और रोजगार में आरक्षण: सरकार ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट को समझकर यह जरूरी है क मराठा समुदाय को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया जाना चाहिए। इसलिए मराठा समुदाय को सार्वजनिक सेवाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाए।
3) विशेष प्रावधान की आवश्यकता: सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के विकास के लिए अनुच्छेद 30 के खंड (1) में शामिल सार्वजनिक सेवाओं और अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अलावा अन्य शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए कानून द्वारा विशेष प्रावधान है।
4) नियुक्तियों के लिए एक नए कानून की आवश्यकता: मराठा समुदाय के विकास के लिए महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में उनके लिए सीटों के आरक्षण और आरक्षण के लिए एक नया कानून बनाया जाना चाहिए।