अबकी बार 400 पार के नारे को हकीकत में बदलने के लिए बीजेपी की ओर से खास रणनीति तैयार की जा रही है। लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा की खाली सीटों के लिए बीजेपी की ओर से जो लिस्ट जारी हुई है उससे इसके संकेत साफ मिलते हैं। पार्टी कई बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतार सकती है।
- बीजेपी राज्यसभा उम्मीदवारों की लिस्ट में 24 नए चेहरों को मिला मौका
- कई बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतारने की बीजेपी ने बनाई रणनीति
- राज्यसभा लिस्ट से मिले लोकसभा चुनाव के संकेत, बदली है रणनीति
नई दिल्ली: राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की जो लिस्ट बीजेपी की ओर से जारी की गई है उस पर कई लोगों को थोड़ा यकीन करना मुश्किल हो रहा है। बीजेपी के भीतर भी इस लिस्ट को लेकर चर्चा हो रही है साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी के कई बड़े नेता अब लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर लें। पीएम मोदी ने पिछले साल अगस्त के महीने में एनडीए सांसदों को संबोधित करते हुए कहा था कि प्रत्येक राज्यसभा सांसद को कम से कम एक लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए, ताकि उन्हें चुनावों का अनुभव हो सके। पीएम मोदी की इस बात के बाद से ही चर्चा शुरू है कि दो बार से अधिक के राज्यसभा सांसदों में से कई नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। इस बार 27 फरवरी को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से 28 उम्मीदवारों की घोषणा की गई है उसमें 24 नए चेहरे हैं। केवल 4 मौजूदा सांसदों को ही फिर से मौका दिया गया है। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन का तरीका बदला है और इस बार इसमें और भी बदलाव देखने को मिल रहा है।
इन नेताओं को लोकसभा चुनाव में उतारने की तैयारी
जिन चार मौजूदा सांसदों को रिपीट किया गया है उनमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन और बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का नाम शामिल है। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने पहले ही इस बात के संकेत दे दिए थे पार्टी कई वरिष्ठ नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहती है। राज्यसभा की लिस्ट आ जाने के बाद यह लगभग साफ हो गया है कि केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, नारायण राणे, पीयूष गोयल जैसे नेताओं को पार्टी इस बार लोकसभा के चुनावी मैदान में उतार सकती है।
किस राज्य से मिलेगा इन नेताओं को मौका
कुछ और राज्यसभा सांसद जिन्हें रिपीट नहीं किया गया है उनमें बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी, बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडे शामिल हैं। ऐसी चर्चा है कि ओडिशा में किसी सीट से धर्मेंद्र प्रधान, गुजरात की किसी सीट से मनसुख मंडाविया, केरल में पीयूष गोयल, राजस्थान या हरियाणा में किसी सीट से भूपेंद्र यादव को लोकसभा चुनाव में उतारा जा सकता है। पार्टी का मानना है कि इन नेताओं के चुनाव लड़ने से राज्य के भीतर भी एक अच्छा मैसेज जाएगा।
इन मंत्रियों को क्यों रखा गया इस नियम से दूर
पार्टी अध्यक्ष के साथ ही कुछ ही मंत्री अपवाद हैं और इसके पीछे यह तर्क है कि पार्टी के महत्वपूर्ण कार्य और वैसे मंत्री जो वैसे विभाग संभाल रहे हैं जहां काफी व्यस्तता है। इसलिए अश्विनी वैष्णव को राज्यसभा में रखा गया है, जो रेलवे और आईटी विभाग संभालते हैं। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए शायद नहीं कहा जाएगा। राज्यसभा की लिस्ट देखकर कहा जा रहा है कि इस बार लोकसभा चुनाव में भी पार्टी कई नए चेहरों को मैदान में उतार सकती है। बीजेपी की ओर से 370 सीटों का टारगेट रखा गया है और पार्टी उस लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति के तहत काम कर रही है।
लिस्ट के जरिए कार्यकर्ताओं को दिया गया संदेश
इस बार राज्यसभा के चुनाव में यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश से कई ऐसे नेताओं को मौका दिया गया है जिनकी चर्चा नहीं थी। इसके पीछे यह भी संदेश है कि जो भी पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है उसे मौका मिल सकता है। कई ऐसे नेताओं को टिकट मिला है जिनको यकीन ही नहीं हो रहा है कि उन्हें पार्टी राज्यसभा भेज रही है। राज्यसभा टिकटों का वितरण उस नीति का समर्थन करता है जिसे बीजेपी ने हाल ही में तीन राज्यों में जीत के बाद अपनाया था। उस रणनीति की पुष्टि भी करता है कि जो पार्टी के लिए कड़ी मेहनत और लंबे समय से काम कर रहे हैं उनको इनाम मिलेगा। 28 उम्मीदवारों में से पांच महिलाएं हैं साथ ही पार्टी की ओर जाति संतुलन का भी ध्यान रखा गया है।