Arunachal Frontier Highway: भारत ने अपने ऐसे प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है जिससे चीन की चिंता बढ़ गई है। इस प्रोजेक्ट पर अरुणाचल प्रदेश में काम शुरू कर दिया गया है। आइए जानते हैं इस प्रोजेक्ट के बारे में।
नई दिल्ली. भारत (India) और चीन (China) के बीच बॉर्डर पास लंबे समय से विवाद चल रहा है। चीन, भारत के कुछ क्षेत्रों पर अपना अधिकार जताता है। भारत समेत दुनिया के अन्य सभी देश भी चीन के इस दावे का खंडन करते हैं। साथ ही भारत इस मामले पर चीन के आगे बिल्कुल भी नहीं झुकता। अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के कई हिस्से पर चीन अपना अधिकार जताता है, पर सब जानते हैं कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अभिन्न अंग है। चीन को इसी बात का एहसास कराने के लिए भारत ने अब एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है। यह प्रोजेक्ट अरुणाचल प्रदेश में ही बनेगा। ऐसे में मन में सवाल आना लाज़िमी है कि क्या है भारत का यह प्रोजेक्ट? इसका नाम है अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे (Arunachal Frontier Highway) प्रोजेक्ट।
क्या है अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे प्रोजेक्ट?
अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे, भारत का सबसे कठिन हाईवे प्रोजेक्ट है। इसकी लंबाई करीब 1,48 किलोमीटर होगी और यह भारत की चीन से लगती बॉर्डर पर ही होगा। इंटरनेशनल बॉर्डर के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले अरुणाचल प्रदेश के सभी गांवों को इसके ज़रिए ऑल वेदर सड़कों से जोड़ा जाएगा। इसमें 800 किलोमीटर का एक ग्रीनफील्ड कॉरिडोर भी होगा और कुछ जगहों पर इंटरनेशनल बॉर्डर से सिर्फ 20 किलोमीटर की ही दूरी रहेगी। यह भारत के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण हाईवे प्रोजेक्ट है पर रणनीतिक दृष्टि से भी बहुत ही अहम होगा। डिफेंस के नज़रिए से भी यह प्रोजेक्ट बहुत ही अहम होगा। चीन के सैनिकों पर निगरानी रखने के साथ ही ज़रूरत पड़ने पर रसद, हथियारों और दूसरी ज़रूरी चीज़ों की सप्लाई के लिए भी यह हाईवे बहुत अहम साबित होगा।
कहाँ से कहाँ तक होगा यह हाईवे?
अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे की शुरुआत भूटान बॉर्डर के पास स्थित तवांग से होगी और यह भारत-म्यांमार बॉर्डर के पास स्थित विजयनगर तक जाएगा। यह हाईवे नफरा, हुरी, मोनिगोंग, तवांग, मागो अपर सुबांसिरी, अपर सियांग, मेचुखा, टूटिंग, दिबांग वैली, किबिठू, चांगलांग और डोंग से भी गुज़रेगा।
कब तक होगा निर्माण कार्य पूरा?
अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे का निर्माण कार्य 2027 तक पूरा होगा।
कितनी लगेगी लागत?
सरकार और परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से अभी तक इस प्रोजेक्ट की लागत की आधिकारिक रूप से जानकारी नहीं दी गई है। पर इस प्रोजेक्ट की संभावित लगात 40 हज़ार करोड़ बताई जा रही है।
ड्रैगन हुआ चिंतित
भारत के इस प्रोजेक्ट से ड्रैगन यानी कि चीन चिंतित हो गया है। चीन ने अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे के निर्माण पर आपत्ति भी जताई है। पर चीन की आपत्ति की चिंता न करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस प्रोजेक्ट को ग्रीन सिग्नल दे दिया है।