- दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित; कटारिया बोले- सरकार बताए किस-किसके फोन टैप करवाए
- स्पीकर ने शून्यकाल में फोन टैपिंग का मुद्दा उठाने की मंजूरी नहीं दी
- स्पीकर बोले- आपको मेरे फैसले पर विश्वास नहीं तो अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं
जयपुर। फोन टैपिंग पर सरकार के कबूलनामे पर सियासी हलकों से लेकर विधानसभा तक माहौल गरमा गया है। फोन टैपिंग पर मंगलवार को विधानसभा में भाजपा ने जमकर हंगामा किया। हंगामे के कारण स्पीकर को दो बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। पहले 12:30 बजे और फिर एक बजे आधे घंटे के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित की गई।
शून्यकाल शुरू होते ही स्थगन प्रस्ताव खारिज होने से नाराज भाजपा विधायकों ने वेल में आकर नारेबाजी की। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और विधायक कालीचरण सराफ ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए फोन टैपिंग का मामला उठाना चाहा, लेकिन स्पीकर सीपी जोशी ने इसकी मंजूरी नहींं दी। इस पर नाराज भाजपा विधायकों ने सदन में वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी।
कटारिया बोले- सरकार बताए किस-किसके फोन टैप करवाए
शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि सरकारी मुख्य सचेतक ने एक एफआईआर करवाई थी उसका आधार फोन टैपिंग ही था। इससे यह तय हो गया कि सरकार की किसी एजेंसी ने फोन टैपिंग करवाई। सरकार को सदन में यह बताना चाहिए कि किस अधिकार से सरकार ने किन किन लोगों के फोन टैप करवाए। हम यही जानना चाहते हैं कि जिस रिफरेंस में मुकदमा दर्ज हुआ। उसमें अनुमति लेकर फोन टैप हुआ या नहीं? गृह विभाग की अनुमति लेकर अभियुक्तों के लिए फोन टैप करवाते हैं। हम जानना चाहते हैं कि मुख्य सचेतक ने जो एफआईआर करवाई थी क्या उसका आधार फोन टैपिंग थी?
बिना सबूत विधायकों- केंद्रीय मंत्रियों के फोन टैप के सबूत दीजिए
स्पीकर ने कहा- राजेंद्र राठौड़ का स्थगन है जिसमें लिखा है- सांसदों, विधायकों और केंद्रीय मंत्रियों के बिना अधिकृत प्राधिकारियों के फोन टैप करवाए गए। आपने इसके सबूत नहीं दिए। आप सबूत दीजिए और नाम बताइए। आपके पास सबूत या रिकॉर्ड हैं तो दीजिए, इसके बिना सदन में चर्चा की अनुमति नहीं दे सकता।
आपको मेरे फैसले पर विश्वास नहीं तो मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं
अध्यक्ष के स्थगन खारिज होने के बाद भाजपा विधायकों ने वेल में आकर हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी। नाराज स्पीकर ने कहा, मैंने सोच समझकर व्यवस्था दी है। मैं अध्यक्ष की व्यवस्था पर आपको सवाल उठाने की अनुमति नहीं दे सकता। आपको अध्यक्ष के फैसले पर विश्वास नहीं हैं तो आप मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं।