सीएम के ऐलान से पहले ही शिवकुमार ने सिद्धारमैया को दे दीं शुभकामनाएं, क्या आलाकमान का मन भांप चुके हैं डीके?

कर्नाटक के अगले सीएम के ऐलान से पहले ही डीके शिवकुमार ने सिद्धारमैया को बधाई दे दी है। इससे पहले उन्होंने अपना दिल्ली दौरा भी कैंसल कर दिया। सियासी गलियारों में अटकलें हैं कि डीके शिवकुमार हाईकमान के मन को भांप चुके हैं।

बेंगलुरु। कर्नाटक में मुख्यमंत्री को लेकर जारी सस्पेंस के बीच डीके शिवकुमार ने अचानक दिल्ली न जाने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने पेट में संक्रमण का हवाला दिया है। वहीं एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में उन्होंने सिद्धारमैया को शुभकामनाएं दे दी हैं। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि डीके शिवकुमार आलाकमान का मन भांप चुके हैं और वह इसके चलते नाराज हैं। इसी के चलते उन्होंने अपना दौरा भी रद्द कर दिया।

टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में डीके शिवकुमार ने कहा, मैं बच्चा नहीं हूं। मेरी अपनी सोच है। अपना विजन है। मेरी ईमानदारी है। मैं बगावत नहीं करता। ब्लैकमेल नहीं करता। विधायकों ने सीक्रेट बैलेट वोटिंग से अपनी पसंद बताई। बताया जा रहा है कि सिद्धारमैया को सबसे अधिक वोट मिले। इस सवाल पर डीके शिवकुमार ने कहा, ‘मेरी शुभकामनाएं। उनके पास पर्याप्त संख्याबल है।’

‘मैं ब्लैकमेल नहीं करूंगा’
दिल्ली का टूर कैंसल करने पर डीके शिवकुमार ने कहा, ‘मुझे दिल्ली बुलाया गया था। कुछ काम थे जिन्हें पूरा करना है। इसलिए अभी दिल्ली नहीं जाऊंगा। मैंने अपनी बात रखी है लेकिन आलाकमान ने मुझे कुछ और जिम्मेदारियां दी हैं। उन्हें पूरा करना है बाकी सब भगवान देखेंगे।’

डीके शिवकुमार ने इंटरव्यू में कहा,’सोनिया गांधी ने मुझसे कहा था कि मुझे आप पर भरोसा है कि आप कर्नाटक को जिताकर देंगे। मैं यहां बैठा हूं, अपनी नियमित जिम्मेदारी निभा रही हूं। आपके पास बुनियादी शिष्टाचार होना चाहिए, थोड़ा सा आभार कि जीत के पीछे कौन है।’
यह पूछने कि उनके इस कदम को बगावत के रूप में देखा जा सकता है, डीके शिवकुमार ने कहा, ‘मैं ब्लैकमेल नहीं करूंगा, मैं ऐसा नहीं हूं। कुछ भी अनुमान मत लगाइए। मेरा अपना प्रेजेंस ऑफ माइंड है। मैं बच्चा नहीं हूं। मैं किसी जाल में नहीं फसूंगा।’

सीएम पद को लेकर खुला मोर्चा
75 साल के सिद्धारमैया पहले भी एक बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2018 में उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था लेकिन बहुमत से कम सीटें हासिल हुई थीं। ऐसे में कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस ने जेडीएस से समझौता किया। उस गठबंधन में भी डीके शिवकुमार की खास भूमिका बताई जाती है। हालांकि 14 महीने बाद ही सरकार गिर गई और बीजेपी के येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ली।

डी के शिवकुमार आज 61 साल के हो गए हैं। कर्नाटक में कांग्रेस को मिली प्रचंड जीत में उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है। पहले दिन से ही शिवकुमार कांग्रेस की जीत का खाका तैयार करने में जुट गए थे। ऐसे में सीएम पद को लेकर कांग्रेस में मोर्चा खुल गया है।

पेट में इंफेक्शन की बात बताई थी
इससे पहले डीके शिवकुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मेरे पेट में इंफेक्शन है, इसलिए आज दिल्ली नहीं जाऊंगा। 135 कांग्रेस विधायक हैं। मेरे पास कोई विधायक नहीं है। मैंने पार्टी के हाई कमान पर फैसला छोड़ दिया है।’ इससे पहले सिद्धारमैया पहुंचे हैं। उनके साथ कुछ विधायक भी हैं। दिल्ली में सिद्धारमैया की खरगे से मुलाकात हो सकती है।’

वहीं शाम को अपने आवास में पत्रकारों से बातचीत में डीके शिवकुमार ने कहा था, ‘मैं किसी दावे पर जवाब नहीं देना चाहता। मैं अकेला आदमी हूं। मुझे एक बात पर विश्वास है कि हिम्मत के साथ एक अकेला आदमी भी बहुमत बना सकता है। मैं वो सब नहीं बताना चाहता कि पिछले 5 सालों में क्या-क्या हुआ है। लेकिन एक दिन मैं सब बताउंगा।’

दिल्ली में चल रहा मंथन
दूसरी ओर सिद्धारमैया दिल्ली में मौजूद हैं। वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर सकते हैं। कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने को लेकर नवनिर्वाचित विधायकों की राय जानने के बाद तीनों पर्यवेक्षकों ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की और ऐसे में पूरी निगाहें पार्टी आलाकमान पर टिक गई हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के तीनों पर्यवेक्षक खरगे को रिपोर्ट सौंप सकते हैं और फिर खरगे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श करने के बाद मुख्यमंत्री को लेकर फैसला करेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कर्नाटक में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) का नेता चुनने के लिए वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे, जितेंद्र सिंह और दीपक बाबरिया को पर्यवेक्षक नियुक्त किया। तीनों पर्यवेक्षकों ने पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों से अलग-अलग बात कर उनकी राय जानी थी।

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