राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 74 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने संविधान निर्माताओं को याद करते हुए गणतंत्र दिवस की बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने भारत के सार तत्व के बारे में भी बताया।
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु परंपरा को कायम रखते हुए 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधिन की शुरुआत में राष्ट्रपति ने कहा कि “चौहत्तरवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश और विदेश में रहने वाले आप सभी भारत के लोगों को, मैं हार्दिक बधाई देती हूं। जब हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तब एक राष्ट्र के रूप में हमने मिल-जुल कर जो उपलब्धियां प्राप्त की हैं, उनका हम उत्सव मनाते हैं। हम सब एक ही हैं, और हम सभी भारतीय हैं। इतने सारे पंथों और इतनी सारी भाषाओं ने हमें विभाजित नहीं किया है बल्कि हमें जोड़ा है। इसलिए हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में सफल हुए हैं। यही भारत का सार-तत्व है।”
इसके साथ ही राष्ट्रपति ने कहा कि “भारत एक गरीब और निरक्षर राष्ट्र की स्थिति से आगे बढ़ते हुए विश्व-मंच पर एक आत्मविश्वास से भरे राष्ट्र का स्थान ले चुका है। संविधान-निर्माताओं की सामूहिक बुद्धिमत्ता से मिले मार्गदर्शन के बिना यह प्रगति संभव नहीं थी। कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है। कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है, हम पूरी तरह से तैयार हैं। पिछले साल भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यह उपलब्धि, आर्थिक अनिश्चितता से भरी वैश्विक पृष्ठभूमि में प्राप्त की गई है। कोविड-19 से भारत की अर्थव्यवस्था को भी काफी नुकसान हुआ लेकिन सक्षम नेतृत्व और प्रभावी संघर्षशीलता के बल पर हम शीघ्र ही मंदी से बाहर आ गए, और अपनी विकास यात्रा को फिर से शुरू किया।”
महिला सशक्तीकरण और समानता अब केवल नहीं रहे नारे
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि “महिला सशक्तीकरण तथा महिला और पुरुष के बीच समानता अब केवल नारे नहीं रह गए हैं। मेरे मन में कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं ही आने वाले कल के भारत को स्वरूप देने के लिए अधिकतम योगदान देंगी। सशक्तीकरण की यही दृष्टि अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों सहित, कमजोर वर्गों के लोगों के लिए सरकार की कार्य-प्रणाली का मार्गदर्शन करती है। वास्तव में हमारा उद्देश्य न केवल उन लोगों के जीवन की बाधाओं को दूर करना और उनके विकास में मदद करना है, बल्कि उन समुदायों से सीखना भी है। जनजातीय समुदाय के लोग, पर्यावरण की रक्षा से लेकर समाज को और अधिक एकजुट बनाने तक, कई क्षेत्रों में सीख दे सकते हैं।”
बच्चों के लिए जीवन शैली बदलने की जरूरत
जीवन शैली को बदलने की जरूरत पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि “मेरे विचार सेव ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना शीघ्रता से करना है। वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और मौसम में बदलाव के चरम रूप दिखाई पड़ रहे हैं। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हमें प्राचीन परम्पराओं को नई दृष्टि से देखना होगा। हमें अपनी मूलभूत प्राथमिकताओं पर भी पुनर्विचार करना होगा। परंपरागत जीवन-मूल्यों के वैज्ञानिक आयामों को समझना होगा। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे इस धरती पर सुखमय जीवन बिताएं तो हमें अपनी जीवन शैली को बदलने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र ने भारत के सुझाव को स्वीकार किया है और वर्ष 2023 को The International Year of Millets घोषित किया है। यदि अधिक से अधिक लोग मोटे अनाज को भोजन में शामिल करेंगे, तो पर्यावरण-संरक्षण में सहायता होगी और लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।”
भारत शांति और समृद्धि का पक्षधर
महामहिम मुर्मू ने कहा कि इस साल भारत G20 देशों के ग्रुप की अध्यक्षता कर रहा है। विश्व-बंधुत्व के अपने आदर्श के अनुरूप, हम सभी की शांति और समृद्धि के पक्षधर हैं। G20 की अध्यक्षता बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान हेतु भारत को अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेरे विचार से ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना शीघ्रता से करना है। वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और मौसम में बदलाव के चरम रूप दिखाई पड़ रहे हैं।
सीमा पर तैनात जवानों की राष्ट्रपति ने विशेष सराहना की
किसानों, वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि “मैं किसानों, मजदूरों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भूमिकाओं की सराहना करती हूं जिनकी सामूहिक शक्ति हमारे देश को “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान” की भावना के अनुरूप आगे बढ़ने में सक्षम बनाती है। मैं उन बहादुर जवानों की विशेष रूप से सराहना करती हूं जो सीमाओं की रक्षा करते हैं और किसी भी त्याग तथा बलिदान के लिए सदैव तैयार रहते हैं। देशवासियों को आंतरिक सुरक्षा प्रदान करने वाले अर्ध-सैनिक बलों तथा पुलिस-बलों के बहादुर जवानों की मैं सराहना करती हूं।”
राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तारीफ की
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि “राष्ट्रीय शिक्षा नीति शिक्षार्थियों को इक्कीसवीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करते हुए हमारी सभ्यता पर आधारित ज्ञान को समकालीन जीवन के लिए प्रासंगिक बनाती है। हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों पर गर्व का अनुभव कर सकते हैं। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत गिने-चुने अग्रणी देशों में से एक रहा है। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए गगनयान कार्यक्रम प्रगति पर है, यह भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान होगी।”