- 10 वर्ष पुराने मामलें में दो अलग-अलग न्यायालयों में पेश जमानत याचिका हुई खारिज
- कोर्ट से नही मिली कोई राहत!
- वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप कुमार शर्मा की दमदार पैरवी से केस हुआ मजबूत
नारायण उपाध्याय,ब्यूरो हैड
बीकानेर@जागरूक जनता।आरटीआई एक्टिविस्ट एंव अधिवक्ता गोर्वधन सिंह की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। जंहा एक के बाद एक जमानत याचिका खारिज हो रही है। वर्ष 2012 के एक मारपीट व छीनाझपटी के मामले में बीकानेर कोर्ट ने आरोपी गोर्वधन सिंह को दोषी करार देते हुए जेसी किया है। इस पर आरोपी गोर्वधन सिंह के वकीलों द्वारा कोर्ट में जमानत याचिका पेश कर मामले में राहत देने की गुजारिश कोर्ट से की गई और आरोपो के पक्ष में काफी तर्क कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किये गए। जिसका परिवादिया के अधिवक्ता जयदीप कुमार शर्मा ने पटाक्षेप करते हुए मजबूती से अपना पक्ष रखा। शर्मा ने आरोपी द्वारा पेश जमानत याचिका खारिज करने की दलील पेश करते हुए आरोपी गोर्वधन सिंह के पुराने रिकॉर्ड व लंबित मुकदमों की और कोर्ट का ध्यानाकर्षण करवाया। काफी जिरह बहस के बाद कोर्ट-2 के पीठासीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत जानू ने 22 जून को आरोपी गोर्वधन सिंह के अधिवक्ताओं द्वारा तमाम दलीलें सिरे से खारिज कर जमानत याचिका को नामंजूर करने का आदेश दिया है ।
निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज होने पर आरोपी गोर्वधन सिंह के अधिवक्ताओं ने सेशन न्यायालय में जमानत की अर्जी पेश कर अंतरिम राहत मांगी। लेकिन यंहा भी वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप कुमार शर्मा व उनकी टीम की पैरवी दमदार असर लाई। और कोर्ट ने दोनो पक्षों को सुनने के बाद निचली अदालत का आदेश यथावत रखते हुए आरोपी द्वारा पेश किया गया जमानत का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
38 प्रकरणों में अधिकतर ब्लैकमेलिंग के!
परिवादिया के अधिवक्ता जयदीप कुमार शर्मा ने कोर्ट में बहस के दौरान तर्क दिया कि आरोपी गोर्वधन सिंह सूचना का अधिकार अधिनियम की आड में ब्लैकमैलिंग का कार्य करता है । आरोपी के खिलाफ अब तक कुल दर्ज 38 प्रकरणों में अधिकतम केस ब्लैकमेलिंग के दर्ज है। अधिवक्ता शर्मा ने कोर्ट को बताया कि आरोपी गोर्वधन सिंह ने तत्कालीन अनुसंधान अधिकारी को ब्लैकमैल कर अपने पक्ष में फैसला रिपोर्ट पेश करने का दबाव बनाया जिसके चलते अनुसंधान अधिकारी द्वारा निष्पक्ष जांच ना कर आरोपी के प्रभाव में आकर रिपोर्ट पेश की। जिसके बाद कोर्ट ने अभियुक्त गोर्वधन सिंह द्वारा पेश किया गया ज़मानत का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
केस डायरी में आपराधिक मामलों का कच्चा चिट्ठा
अधिवक्ता जयदीप कुमार शर्मा ने बताया केस डायरी के अनुसार अभियुक्त गोर्वधन सिंह के खिलाफ अब तक कुल 38 प्रकरण दर्ज है। जिनमें से 5 प्रकरणों मे राजीनामा हो चुका है । दो प्रकरणो में दोषमुक्त घोषित किया जा चुका है। वंही 18 प्रकरणों में एफआर पेश की जा चुकी है। एक प्रकरण कोटगेट थाने का वर्तमान में कोर्ट में विचारणीय स्तर पर लंबित है। इसके साथ ही 11 प्रकरणों में पुलिस अनुसंधान लम्बित है । साथ ही जेएनवीसी पुलिस द्वारा पेश आरोप पत्र न्यायालय में लंबित है। वंही 2 प्रकरणो में अभियुक्त ने स्वयं से इस प्रकरणों से कोई लेना देना नही बताया है।
यह है 10 वर्ष पुराना मामला..
वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप कुमार शर्मा ने बताया मामला वर्ष 2012 में नयाशहर थाना क्षेत्र का है। जंहा विजयलक्ष्मी पत्नी शांतिप्रसाद ब्राह्मण के घर मे आरोपी गोर्वधन सिंह व उसके साथियों ने घर मे घुसकर मारपीट व गाली गलौज की थी, और जाते समय आरोपी सोने की चेन ले भागे थे। जिस पर नयाशहर पुलिस थाने में आरोपी के खिलाफ भादसं 392, 397, 452, 323, 341 व 325 के तहत मामला दर्ज किया था। चूंकि आरोपी गोर्वधन सिंह जयपुर की केंद्रीय कारागार में बंद था तो ऐसे में बीकानेर पुलिस आरोपी को जयपुर जेल से प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर 8 जून को बीकानेर लाई जंहा से उसे कोर्ट में पेश किया गया, जंहा से उसे 14 जून तक पुलिस रिमांड पर सौंप उसके बाद दिया गया। रिमांड अवधि पूरी होने के बाद उसे फिर से कोर्ट में पेश किया जंहा अनुसंधान अधिकारी व परिवादिया के अधिवक्ता के तर्क पर 17 जून तक रिमांड पर सोंपा। ओर रिमांड अवधि पूरी होने पर फिर से आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया । कोर्ट ने दोनो पक्षों को सुनने के बाद आरोपी गोर्वधन सिंह को जेसी करने के आदेश दिये थे।