फ्रांस के रेने लेने ने किया दुनिया के पहले स्टेथस्कोप का आविष्कार

आप जब भी किसी डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाते हैं, तो डॉक्टर सबसे पहले स्टेथस्कोप के जरिए आपके दिल की धड़कन सुनते हैं, लेकिन पहले ऐसा नहीं होता था। पहले डॉक्टर मरीज की छाती पर अपना कान लगाते थे और उसके दिल की धड़कन सुना करते थे। ये चेकअप उस समय असहज हो जाता था, जब कोई महिला मरीज आती थी। इसी वजह से फ्रांस के रेने लेने ने स्टेथस्कोप का आविष्कार किया।

आप जब भी किसी डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाते हैं, तो डॉक्टर सबसे पहले स्टेथस्कोप के जरिए आपके दिल की धड़कन सुनते हैं, लेकिन पहले ऐसा नहीं होता था। पहले डॉक्टर मरीज की छाती पर अपना कान लगाते थे और उसके दिल की धड़कन सुना करते थे। ये चेकअप उस समय असहज हो जाता था, जब कोई महिला मरीज आती थी। इसी वजह से फ्रांस के रेने लेने ने स्टेथस्कोप का आविष्कार किया। रेने लेने का जन्म आज ही के दिन 1781 में पेरिस में हुआ था।

रेने जब 5 साल के थे, तभी उनकी मां गुजर गईं। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई अपने अंकल की देखरेख में की, लेकिन बाद में उनके पिता ने उन्हें डॉक्टरी की पढ़ाई करने से मना कर दिया। 1799 में रेने ने दोबारा मेडिकल की पढ़ाई शुरू की। पढ़ाई पूरी होने के बाद रेने पेरिस के नेक्कर अस्पताल में काम करने लगे।

एक दिन हुआ ये कि रेने के पास एक महिला अपना इलाज कराने पहुंची। उस समय स्टेथस्कोप नहीं हुआ करता था, इसलिए डॉक्टर मरीज की छाती पर कान लगाकर उनकी धड़कन सुना करते थे। रेने को ये सब बहुत अजीब लगा। उन्होंने कागज को रोल किया और फिर महिला की धड़कन सुनी। यहीं से उन्हें स्टेथस्कोप बनाने का आइडिया आया।

रेने ने 1816 में स्टेथस्कोप का आविष्कार किया। पहला स्टेथस्कोप लकड़ी का था। इसको लकड़ी का बनाने के पीछे शायद एक वजह ये भी थी कि रेने डॉक्टर होने के साथ-साथ म्यूजिशियन भी थे। उन्हें बांसुरी बजाने का शौक था। और बांसुरी की तरह ही उन्होंने स्टेथस्कोप को डिजाइन किया।

1820 के दशक में रेने के बनाए स्टेथस्कोप का इस्तेमाल फ्रांस, जर्मनी, इटली और इंग्लैंड में होने लगा। हालांकि, उस समय कुछ डॉक्टर ऐसे भी थे, जो इसका मजाक उड़ाते थे। 1885 में एक डॉक्टर ने कहा था कि जब हमारे पास सुनने के लिए कान हैं, तो फिर स्टेथस्कोप का इस्तेमाल क्यों करें?

डॉक्टर की पहचान माने जाने वाले स्टेथस्कोप का आविष्कार करने वाले रेने 45 साल ही जी सके। 13 अगस्त 1826 को उनकी टीबी से मौत हो गई।

आज जो स्टेथस्कोप डॉक्टर इस्तेमाल करते हैं, उसे 1851 में आयरलैंड के डॉक्टर आर्थर लियर्ड ने बनाया था।

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