कैलाश ने कच्चे और पथरीले रास्तों पर दौड़ जीता सिल्वर मेडल
सांचौर। कहावत है कि जब इंसान अपने लक्ष्य पर अडिग रहकर कड़ी मेहनत करता है तो सफलता उसके कदम चूमती है। राष्ट्रीय स्तर के खेलों में एक बार फिर सांचौर के लाल ने अपना लोहा मनवाया है इस बार सांचौर ज़िले के दाता ग्राम पंचायत के धावक कैलास बिश्नोई ने ऑल इंडिया क्रॉस कंट्री इंटर यूनिवर्सिटी चैम्पियन में सिल्वर पदक जीतकर प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त कर क्षेत्र का गौरव बढ़ाया है। 10 किलोमीटर की दौड़ 32.52 मिनट में पूरी कर सिल्वर मेडल जीता और राजस्थान का यह रिकॉर्ड अपने नाम किया। उसने देश के सभी राज्यों के प्रतियोगिओं को पछाड़ कर ये मुक़ाम हासिल किया। साथ ही राजस्थान यूनिवर्सिटी को 13 साल बाद पदक मिला है। राजधानी की राजस्थान यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कैलाश बिश्नोई को फ़ोन पर बधाई देकर हौसला अफजाई किया।जयपुर पहुँचने पर स्वागत भी किया गया। ये प्रतियोगिता स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय नांदेड़ में जिसमें कैलास बिश्नोई ने राजस्थान राज्य के राजस्थान यूनिवर्सिटी से प्रतिनिधित्व करते हुए कामयाबी हासिल की है। सांचौर उपखण्ड क्षेत्र निकटवर्ती दाता गाँव के कैलाश विश्नोई ऑल इंडिया क्रॉस कंट्री इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप दौड़ में दूसरा स्थान प्राप्त करते हुए सिल्वर पदक हासिल किया। कैलास बिश्नोई इन दिनों जयपुर शहर में निजी महाविद्यालय से BA सेकंड ईयर में अध्ययनरत है। कैलास ने प्रारंभिक शिक्षा पहली से बारहवीं तक की शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से ही की।अभी आर्ट्स लेकर 2nd ईयर की पढ़ाई कर रहा हैं।
जिले में संसाधनों के अभाव में खेल प्रतिभाएं निखरी
कम संसाधनों के साथ भी सांचौर के खिलाड़ी देश में अपना नाम कमा रहे हैं। हाल ही में ओलिंपिक में युवाओं ने गोल्ड मेडल जीते हैं। जिसके बाद सांचौर के युवा खिलाड़ी भी राज्य स्तर के मेडल लेकर गोल्ड जीतने का लक्ष्य बना रहे हैं।सरनाऊ पंचायत समिति के दाता ग्राम पंचायत मुख्यालय का रहने वाला एक 20 साल कैलाश बिश्नोई ने महाराष्ट्र राज्य के नांदेड ज़िले में आयोजित ऑल इंडिया क्रॉस कंट्री इंटर यूनिवर्सिटी प्रतियोगिता को 10 किलो मीटर की दौड़ में तमिलनाडु राज्य की यूनिवर्सिटी को पीछे छोड़कर सिल्वर मेडल जीता। अब उसका लक्ष्य 2025 में होने वाले ओलिंपिक में भाग लेने का है। कैलाश ने जिला स्तरीय,राज्यस्तरीय पर खेलते हुए कैलाश विश्नोई ने अभी तक ग्रामीण स्तर से लेकर राज्य स्तर प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल पर अपना नाम किया है।
पथरीले ग्राउंड में करता था प्रैक्टिस, फिर हाईवे को बनाया ट्रैक
युवा खिलाड़ी कैलास बिश्नोई का कहना है कि वो पढ़ाई में होनहार था। फिर भी उसका मन सिर्फ स्पोर्ट्स में लगता था। उसने 16 साल की उम्र से ही दौड़ने की प्रैक्टिस शुरू की और धावक बनने का सोच लिया। गांव में ही कच्चा ग्राउंड है, जो कि पथरीला है। वहां प्रैक्टिस शुरू की और उसके बाद सांचोर-रानीवाड़ा हाईवे पर दौड़ना शुरू किया। उसी को अपना ट्रैक बना लिया। कैलाश बिश्नोई का कहना है कि स्कूल में कोई भी इतना कोई खिलाड़ी नहीं था जो गाइड करें,ना ही कोई सुविधा। जब पहली बार जिला स्तरीय मैच खेलने गया तो वहां काँटोल गाँव के गोल्ड मेडलिस्ट गोवाराम मेघवाल ने मेरी दौड़ देखकर मुझे हौसला दिया।गाइड करके मेरी मदद की। आज दिन तक भी उनके निर्देशन में प्रतियोगिताओं का अभ्यास करता है और ये मेडल जीतने का भी श्रेय गोवा राम मेघवाल को दिया।