बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, बांसवाड़ा और जोधपुर में किसान संकट में, नलों में पानी तक नहीं आ रहा, बर्बाद हो रही फसलें
बीकानेर। इस बार मानसून ने पूर्वी राजस्थान को तो हराभरा कर दिया, लेकिन पश्चिमी राजस्थान के लंबे-चौड़े हिस्से में अकाल जैसे हालात कर दिए हैं। पूर्वी राजस्थान में अच्छी बारिश के बावजूद बुआई का लक्ष्य सौ परसेंट तक नहीं पहुंच पाया है। सिर्फ छह जिलों में ही बुआई का लक्ष्य पूरा हो पाया है। शेष 27 जिलों में स्थिति खराब है। जहां अच्छी बुआई हुई है, वहां बाढ़ और अत्याधिक बारिश के कारण फसल खराब हुई है।
इस बार राजस्थान के 33 में से 27 जिलों में बुआई का लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया है। सिर्फ नागौर, अलवर, करौली, बारां, उदयपुर व प्रतापगढ़ में ही बुआई का लक्ष्य पूरा हो पाया है। कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के 27 जिलों में 17 अगस्त तक बुआई का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। आमतौर पर इस सीजन में किसान खेत में मोठ बाजरा, ग्वार, मूंग, मूंगफली और कपास की बुआई करते हैं। इस बार भी जुलाई में बुआई का सिलसिला शुरू हो गया था, जो महीने के अंत तक चला। राजस्थान के कई हिस्सों में हुई अच्छी बारिश के बाद किसान को बीकानेर में मानसून के बरसने की उम्मीद थी। प्रति बीघा करीब दो हजार रुपए खर्च करके किसानों ने बुआई कर दी, लेकिन फल के रूप में कुछ नहीं मिला। कई किसानों ने पच्चीस बीघा तक की बुआई कर दी। यानी करीब पचास हजार रुपए खर्च कर दिए, लेकिन मिला कुछ नहीं।
नलकूपों में पानी नहीं
बारिश नहीं होने के कारण सिचिंत क्षेत्र में पानी का लेवल नीचे जाने से नलकुपों (ट्यूबवेल) में पानी की कमी आ गई है। किसान को बिजली कटौती का सामना भी करना पड़ रहा है। ऐसे में अब ट्यूबवेल वाले खेतों में भी हालात खराब हैं।
इन जिलों में भी संकट
बारिश नहीं होने से बीकानेर के अलावा जैसलमेर, बाड़मेर, बांसवाड़ा, जोधपुर में किसान संकट में है। इन सभी एरिया में इस बार अच्छे मानसून की उम्मीद थी। पहले दौर में मानसून ने यहां प्रभावी आगाज किया, लेकिन बाद में बारिश नहीं हुई। यहां तक कि श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में भी कम बारिश का असर खेतों में नजर आ रहा है।
पश्चिमी राजस्थान में बुआई के आंकड़े
- जिला टारगेट बुआई सामान्य बारिश बारिश हुई
- अजमेर 430 414 301.10 309.78
- जयपुर 581 510 360.80 398.63
- दौसा 201 180 417.70 480.13
- टौंक 333 267.81 396.70 517.63
- सीकर 487 474 292 297.50
- झुंझूनूं 395 378.61 291.40 235.75
- नागौर 1210 1120 258.10 249.08
- अलवर 422 362 380.90 372.76
- भरतपुर 245 194.50 365.60 396.46
- धौलपुर 108 85.15 408.80 449.50
- करौली 161 161.80 432.30 512.25
- बीकानेर 1374 1032.98 166.70 152.44
- चूरू 1112 1055.36 228.70 258.06
- जैसलमेर 712 583.30 121 145.83
- श्रीगंगानगर 580 413 150.30 72.56
- हनुमानगढ़ 806 698.58 195.50 194.29
- बाडमेर 1496 1193.21 178.70 86.50
- जोधपुर 1255 1153 201.60 117.43
- सिरोही 164 124.25 856 236.67
- जालौर 618 413.42 276.50 124.03
- पाली 571 517 318.60 220.94
- कोटा 274 227.70 500.80 879.89
- बारां 351 327.73 540 1025.38
- बूंदी 274 227.99 445.70 713.67
- झालावाड़ 341 313.32 563.90 826.65
- बांसवाड़ा 246 229 573.40 396.79
- डूंगरपुर 134 124.44 432.70 237.08
- उदयपुर 238 237.43 404.80 228.60
- प्रतापगढ़ 187 190.88 578.80 643.40
- भीलवाड़ा 476 371.70 408.60 314.52
- चित्तौड़गढ़ 323 297.42 475.40 415.55
- राजसमन्द 95 90.62 351.80 235.86
- (आकड़ें लाखों में)
बीकानेर के इन गांवों में हालात खराब
बीकानेर के लूणकरणसर के खोखराणा, बीरमाना, कंकरालिया, लालेरा, रेख मेघाणा, भीखनेरा, खिलेरियां, डेलाणा सहित 70 प्रतिशत बारानी गांवों में 100 प्रतिशत फसल खराब हो गई। नहरी क्षेत्र में बारिश नहीं होने के कारण लूणकरणसर क्षेत्र में 50 प्रतिशत खराब हो गई है। अगर 10-15 दिन में बारिश नहीं हुई और नहरी क्षेत्र में 10-15 दिनों में नहर से पानी नहीं मिला तो 100 प्रतिशत फसल खराब हो जाएगी। खाजूवाला जैसे सिंचित एरिया के कई गांवों भी फसल बिल्कुल नहीं है। पूगल में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हो रहे हैं, जहां पिछले दिनों कुछ पानी मिला है। श्रीकोलायत, नोखा और बीकानेर तहसील के बारानी खेतों में दूर-दूर तक फसल नहीं है।
इनका कहना है
खोखराना गांव के सत्यनारायण गोदारा का कहना है कि एक और बारिश के इंतजार में किसानों की खेती लगभग नष्ट हो गई है। बीज बोया था उसे गरम हवाओं ने पूरी तरह नष्ट कर दिया। तपती धरती बारिश के इंतजार में एक बार फिर बंजर हो गई है। ट्रैक्टर की मंहगी बुआई और बीज के पैसे अकाल की भेंट चढ़ गए हैं। अब किसान के पास कोई चारा नहीं है।
बारिश के आसार नहीं
अरजनसर के लाधुराम थालोड़ का कहना है कि किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। दक्षिणी पश्चिमी हवाओं ने पानी गिरने के आसार ही खत्म कर दिए हैं। हजारों हेक्टेयर जमीन में अकाल है, किसान का अपना और पशुओं का पेट पालना बहुत मुश्किल है, अब कोई रास्ता नहीं है। वहीं खोखराणा गांव की सरपंच कविता गोदारा का कहना है कि इलाके के काश्तकार खेती बाड़ी से अब परेशान हो गए हैं। लगातार अकाल पड़ रहे हैं। बीज और बुआई के पैसे भी कर्ज करके किसान मरा जा रहा है। केसीसी के लोन से किसानों की फसलों का भारी बीमा कट रहा है और क्लेम के नाम पर कुछ नहीं है।