बीकानेर की गांधी कॉलोनी का पार्क बना विवादों का घर,आरोप प्रत्यारोप के बीच महापौर के ससुर ने मीडिया में दी सफाई, कहा-सभी आरोप बेबुनियाद
बीकानेर@जागरूक जनता। राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार अक्सर गर्म रहता ही है, चाहे वो कॉंग्रेस हो या बीजेपी या अन्य कोई राजनीतिक पार्टी हो, इन सबके भीतर आपसी कलह अक्सर देखी गई है । देश प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक कई बार अपनी ही पार्टी के नेता एक दूसरे से उलझते नजर आए है । कुछ ऐसा ही विवाद का मामला इन दिनों अभी बीकानेर की राजनीति में उथल पुथल मचा रहा है । विवाद महापौर निवास के सामने व लालगढ़ कैंपस के पीछे की दीवार से लगते एक तथाकथित अवैध पार्क को लेकर है, जिसको लेकर राजपरिवार व महापौर परिवार के बीच वाकयुद्ध का दौर चल पड़ा है । इसको लेकर महापौर शुशीला राजपुरोहित के ससुर व भाजपा नेता गुमानसिंह राजपुरोहित ने शनिवार को प्रेस वार्ता कर एक समाचार पत्र द्वारा प्रकाशित ख़बर में तथाकथित कब्जे को लेकर सफाई देते अपना पक्ष मीडिया के सामने रखा और कहा कि उन्हें व उनके परिवार को बेवजह इस मामले में घसीटा जा रहा है । राजपुरोहित ने कहा कि यूआईटी ने नवंबर 2019 में इस पार्क की फैंसिंग के कार्य हेतु टेंडर निकाला था। जिसके बाद फैंसिंग का कार्य हुआ। महापौर ससुर के अनुसार पार्क के आसपास सरकारी विभाग है। ऐसे में लोग पार्क की दीवारों पर मूत्र विसर्जन कर उन्हें गंदा कर देते थे। इसी समस्या से निजात पाने के लिए कॉलोनी वासियों ने मिलकर एक टॉयलेट बनवाया। वहीं चार दिवारी हो रखे खांचे पर टीन शेड लगवाकर एक कमरा भी बनवाया। इस कमरे का उपयोग पार्क के लिए प्रयोग होने वाली कुल्हाड़ी, फावड़ा आदि सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। लेकिन इसे लेकर गंगा सिंह ट्रस्ट द्वारा पार्क पर कब्जा करने के गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। जबकि पार्क सबके लिए खुला है। राजपुरोहित ने कहा कि निर्माण के दौरान ट्रस्ट के सचिव हनुमंत सिंह तीन बार उनके घर चाय पर चर्चा करके गए थे। निर्माण होने तक उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी, जहां आपत्ति थी वहां समाधान भी कर दिया गया। ऐसे में बाद में उनके परिवार का नाम उछालना गलत है। वंही बीकानेर राजघराने की राजकुमारी व पूर्व विधानसभा क्षेत्र की विधायक सिद्धि कुमारी का नाम भी इस विवाद में कहीं ना कहीं घसीटा जा रहा है, हालांकि राजपरिवार से जुड़े सूत्रों ने मामले में सिद्धि कुमारी के सीधे तौर पर हस्तक्षेप से इन्कार किया गया है। ऐसे में अब देखना होगा कि एक ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी सामंजस्य की दीवार कितनी मजबूत है यह तो आने वाला समय ही बताएगा ।
।
।