संस्कारों की शिक्षा ही सर्वोच्च:नरेंद्र सिंह रावत

जीवन में कुछ शक्सियत ऐसी होती हैं जो बहुत कम समय में औरों के लिए प्रेरणा बन जाती हैं। उनकी हर बात हर कार्य एक नवीन राह की ओर अग्रसर करता है। ऐसी ही एक शक्सियत हैं रावत एजुकेशनल ग्रुप के निदेशक श्री नरेंद्र सिंह रावत।
श्री रावत अक्षेंद्र वेलफेयर सोसायटी के सचिव,समर्पण संस्था के एजुकेशन ब्रांड एंबेसेडर होने के साथ साथ मोटिवेशनल स्पीकर और सोशल वर्कर भी हैं। श्री रावत ने अपने अथक प्रयासों,सरल व्यक्तित्व और नवाचारों के माध्यम से रावत एजुकेशनल ग्रुप को सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाया है। श्री रावत के प्रयासों से रावत पब्लिक स्कूल प्रताप नगर क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा प्रमाणित हो चुका है और ब्रिटिश काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा IDS award से सम्मानित हो चुका हैं।
बोर्ड रिजल्ट में भी रावत ग्रुप के सभी सीबीएसई और आर बी एस ई स्कूल अग्रणी रहे हैं और यहां के एल्युमिनी विभिन्न उच्च प्रशासनिक सेवाओं के साथ विज्ञान ,कला आदि क्षेत्रों में अपनी खास पहचान बना रहे हैं।
श्री रावत सदैव संस्कारयुक्त शिक्षा के लिए प्रयासरत रहते हैं इस हेतु ये अक्षय पात्र फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं और नैतिक मूल्यों की शिक्षा के साथ ,भारतीय परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हवन,हनुमान चालीसा पाठ जैसे उद्धरण समस्त में परिचित करा चुके हैं। श्री रावत को अनेक अंतर्राष्ट्रीय एवम राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा जा चुका है जिनमे हाल ही में मॉरीशस में मिला राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह दुकुन द्वारा दिया गया एजुकेशनल इंटरप्रेन्यर ऑफ द ईयर का अवार्ड प्रमुख हैं। अक्षेंद्र वेलफेयर सोसायटी के सचिव के रूप में अन्नदान ,वस्त्र दान,रक्तदान, गौ सेवा,आदि कार्यों में ये अपनी पूरी टीम के साथ जुड़े हुए हैं। हाल ही में इन्होंने सोसायटी की ओर से 21,,000 परिंडे लगाने के संकल्प के तहत पंछियों के लिए एक प्रशंसनीय प्रयास किया है।
श्री रावत एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं जो सोशल मीडिया में बहुत सक्रिय रहकर यूथ आइकन के रूप में सभी को प्रेरित करते रहते हैं, सोशल मीडिया के माध्यम से इनके फॉलोअर्स इनकी गतिविधियों और कृत्यों से मोटिवेट होते रहते हैं।
बहुत कम ही समय में इतनी उपलब्धियों को प्राप्त करने वाले सरल स्वभाव के नरेंद्र अपनी सफलता के श्रेय अपने पिता रावत एजुकेशनल ग्रुप के चेयरमैन श्री बी एस रावत एवम माता श्रीमती निर्मला रावत को देते हैं। अपनी मां के प्रति उनके समर्पण का प्रत्यक्ष उदाहरण है कि उन्होंने राजस्थान के प्रसिद्ध ऑडिटोरियम से एक निर्मला ऑडिटोरियम का नाम अपनी मां के नाम पर रखा।
श्री रावत अपनी उपलब्धि में अपनी जीवनसंगिनी डाक्टर अक्षिता रावत एवम पुत्र अक्षेंंद्र को एक प्रमुख स्तंभ के रूप में देखते हैं। उनका मानना हैं कि परिवार का स्नेह उन्हे एक नई ऊर्जा देता है।

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