दिनेश गुणवर्धने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बने:राष्ट्रपति रानिल के सहपाठी रहे,


कोलंबो। दिनेश गुणवर्धने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए हैं। राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। गुणवर्धने एजुकेशन मिनिस्टर रह चुके हैं। उन्हें साल 2020 के संसदीय चुनाव के बाद विदेश संबंध मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। वे रानिल विक्रमसिंघे के सहपाठी रहे हैं। विक्रमसिंघे और गुणवर्धने की जोड़ी पर अब श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने का भार है।

श्रीलंका में नए राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन तेज
इधर, रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद भी श्रीलंका में शांति में बहाली नहीं हुई है। उन्हें गोटबाया का मोहरा बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन और तेज कर दिया है। इधर, गुरुवार देर रात कोलंबो में श्रीलंका के राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर, गाले फेस में फोर्स और सैकड़ों प्रदर्शनकारी आमने-सामने हो गए।

राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए सशस्त्र सैनिकों को तैनात किया गया था। प्रदर्शन को कंट्रोल करने के लिए सैनिकों ने प्रदर्शनकारियों के टेंट उखाड़ना शुरू कर दिए तो वे उग्र हो उठे। गाले फेस पर प्रदर्शनकारी जमा हो गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने कहा- रानिल विक्रमसिंघे हमें नष्ट करना चाहते हैं, वे फिर से ऐसा कर रहे हैं, लेकिन हम कभी हार नहीं मानेंगे। सशस्त्र बलों की कार्रवाई के बीच एक प्रदर्शनकारी ने कहा- हम अपने देश को ऐसी घटिया राजनीति से मुक्त बनाना चाहते हैं।

रानिल के राष्ट्रपति बनते ही जनता फिर सड़कों पर
आर्थिक और सियासी संकट के बीच श्रीलंका की पार्लियामेंट ने 20 जुलाई को पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना। बावजूद इसके सड़कों पर अब भी विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि राजपक्षे परिवार ने अपने मोहरे के रूप में विक्रमसिंघे को गद्दी पर बैठाया है। इससे हालात नहीं बदलने वाले हैं। उन्होंने कहा कि अपनी गद्दी को बचाने के लिए राजपक्षे कुनबे ने विक्रमसिंघे के साथ डील की है। ये लोगों के साथ धोखा है।

नहीं सुधर रहे देश के हालात
गॉल फेस कोलंबो के प्रोफेसर एमजी थाराका का कहना है कि पिछले तीन महीनों के दौरान सरकार में शामिल नेताओं ने हालात सुधारने के लिए कई बातें की ओर दावे किए, लेकिन जमीनी हालात सुधरे नहीं हैं। अब लोगों का राजपक्षे परिवार और उनके द्वारा बैठाए गए किसी भी नेता पर कोई भरोसा नहीं है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका के राष्ट्रपति पद पर बैठकर राजपक्षे परिवार खुद को आरोपों से बचाना चाहता है।

दो माह बाद पहली बार दिखे पूर्व PM महिंदा
सदन में नए राष्ट्रपति के लिए वोटिंग के दौरान बुधवार को दो महीने के बाद पहली बार पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे नजर आए। महिंदा इतने समय तक किसी गुप्त ठिकाने पर थे। पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया के सिंगापुर भागने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि महिंदा भी श्रीलंका से भाग सकते हैं। राजपक्षे कुनबे के चमल और नमल भी वोटिंग के लिए संसद में पहुंचे।


Jagruk Janta

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