अरुणाचल के सीएम पेमा खांडू ने कहा, मुद्दा यह है कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। कोई नहीं जानता कि वे कब क्या करेंगे। उन्होंने कहा, चीन से सैन्य खतरे के अलावा, मुझे लगता है कि यह किसी भी अन्य समस्या से कहीं ज्यादा बड़ा मुद्दा है।

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि राज्य की सीमा के निकट चीन द्वारा बनाया जा रहा विशाल बांध एक ‘‘वाटर बम’’ होगा और यह सैन्य खतरे के अलावा, किसी भी अन्य समस्या से कहीं ज्यादा बड़ा मुद्दा है। खांडू ने ‘पीटीआई वीडियो’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि यारलुंग त्सांगपो नदी पर दुनिया की सबसे बड़ी बांध परियोजना गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि चीन ने अंतरराष्ट्रीय जल संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, जो उसे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करने के लिए मजबूर कर सकती थी। ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में यारलुंग सांगपो नाम से जाना जाता है।
‘चीन पर नहीं किया जा सकता भरोसा’
सीएम खांडू ने कहा, ‘‘मुद्दा यह है कि चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। कोई नहीं जानता कि वे कब क्या करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन से सैन्य खतरे के अलावा, मुझे लगता है कि यह किसी भी अन्य समस्या से कहीं ज्यादा बड़ा मुद्दा है। यह हमारी जनजातियों और हमारी आजीविका के लिए अस्तित्व का खतरा पैदा करने वाला है। यह काफी गंभीर मुद्दा है क्योंकि चीन इसका इस्तेमाल एक तरह के ‘वॉटर बम’ के रूप में भी कर सकता है।’’
चीन की विशाल बांध परियोजना
यारलुंग त्सांगपो बांध के नाम से जानी जाने वाली इस बांध परियोजना की घोषणा चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ली केकियांग द्वारा 2021 में सीमा क्षेत्र का दौरा करने के बाद की गई थी। खबरों के अनुसार, चीन ने 137 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाली इस पंचवर्षीय परियोजना के निर्माण को 2024 में मंजूरी दी। इससे 60,000 मेगावाट बिजली उत्पादन होने का अनुमान है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बन जाएगा।
भारत के लिए क्यों है खतरा?
खांडू ने कहा कि अगर चीन ने अंतरराष्ट्रीय जल संधि पर हस्ताक्षर किए होते, तो कोई समस्या नहीं होती क्योंकि जलीय जीवन के लिए बेसिन के निचले हिस्से में एक निश्चित मात्रा में पानी छोड़ना अनिवार्य होता। उन्होंने कहा कि असल में, अगर चीन अंतरराष्ट्रीय जल-बंटवारे समझौतों पर हस्ताक्षर करता, तो यह परियोजना भारत के लिए वरदान साबित हो सकती थी। इससे अरुणाचल प्रदेश, असम और बांग्लादेश में, जहां ब्रह्मपुत्र नदी बहती है, मानसून के दौरान आने वाली बाढ़ को रोका जा सकता था। खांडू ने कहा, ‘‘लेकिन चीन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, और यही समस्या है… मान लीजिए कि बांध बन गया और उन्होंने अचानक पानी छोड़ दिया, तो हमारा पूरा सियांग क्षेत्र नष्ट हो जाएगा। खास तौर पर, आदि जनजाति और उनके जैसे अन्य समूहों को… अपनी सारी संपत्ति, जमीन और विशेष रूप से मानव जीवन को विनाशकारी प्रभावों का सामना करते देखना पड़ेगा’’
‘कोई जानकारी शेयर नहीं करता चीन’
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी वजह से भारत सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद अरुणाचल प्रदेश सरकार ने सियांग ऊपरी बहुउद्देशीय परियोजना नामक एक परियोजना की परिकल्पना की है, जो रक्षा तंत्र के रूप में काम करेगी और जल सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि चीन या तो अपनी तरफ काम शुरू करने वाला है या शुरू कर चुका है। लेकिन वे कोई जानकारी शेयर नहीं करते। अगर बांध का निर्माण पूरा हो जाता है, तो आगे चलकर हमारी सियांग और ब्रह्मपुत्र नदियों में जल प्रवाह में काफी कमी आ सकती है।’’
भारत का काउंटर प्लान क्या है?
खांडू ने कहा कि भारत की जल सुरक्षा के लिए, अगर सरकार अपनी परियोजना को योजना के अनुसार पूरा कर पाती है, तो वह अपने बांध से पानी की जरूरतें पूरी कर सकेगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में अगर चीन पानी छोड़ता है, तो निश्चित रूप से बाढ़ आएगी, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। खांडू ने कहा कि इसी वजह से राज्य सरकार स्थानीय आदि जनजातियों और इलाके के अन्य लोगों के साथ बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस मुद्दे पर और जागरूकता बढ़ाने के लिए जल्द ही एक बैठक आयोजित करने जा रहा हूं।’’
चीन के इस कदम के खिलाफ क्या कर सकती है सरकार?
यह पूछे जाने पर कि सरकार चीन के इस कदम के खिलाफ क्या कर सकती है, मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार केवल विरोध दर्ज करा कर हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकती। उन्होंने कहा, ‘‘चीन को कौन समझाएगा? चूंकि हम चीन को वजह नहीं समझा सकते, इसलिए बेहतर है कि हम अपने रक्षा तंत्र और तैयारियों पर ध्यान केंद्रित करें। इस समय हम इसी में पूरी तरह लगे हुए हैं।’’ चीन का बांध हिमालय पर्वतमाला के एक विशाल खड्ड पर बनाया जाएगा, जहां से नदी अरुणाचल प्रदेश में प्रवाहित होने के लिए एक ‘यूटर्न’ लेती है।